मेंहदी कार्यक्रम में उमड़ रहीं महिलाएं
छतरपुर। नगरपालिका अध्यक्ष एवं भाजपा महिला मोर्चा की छतरपुर विधानसभा प्रभारी श्रीमती अर्चना गुड्डू सिंह द्वारा चलाए जा रहे मेंहदी कार्यक्रम में महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। अर्चना सिंह इन कार्यक्रमों में न सिर्फ महिलाओं के हाथों में मेंहदी से कमल का फूल बनाती है बल्कि उन्हें मेंहदी लगाने की कला भी सिखाती हैं और मोदी के नाम का संदेष देती हैं। अर्चना सिंह का मेंहदी कार्यक्रम लोकप्रिय होता जा रहा है और प्रतिदिन महिलाओं की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। शनिवार को वार्ड क्रमांक 12,13 और 23,24 में मेंहदी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर भाजपा महिला मोर्चा की मण्डल अध्यक्ष अर्चना ब्रजपुरिया, भावना अग्रवाल, प्रिंयका त्रिपाठी, नीलम त्रिपाठी, पार्षद द्वय श्रीमती गिरजा शर्मा, सुधा अनुरागी, भाजपा जिला मंत्री शोभा राजपूत, सीता सिंह, स्वाति सोनू गुप्ता, सुराज बुन्देला सहित सैकड़ों महिलाएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम में नगरपालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक देष पर राज किया, लेकिन महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है अब समय आ गया है कि ऐसी निकम्मी सरकार को उखाड़ कर फेक दिया जाए और नरेन्द्र मोदी जैसे राष्ट्र भक्त को देष का प्रधानमंत्री बनाया जाए।
खनिज विभाग में इस कदर लूट मची है................
खनिज विभाग में इस कदर लूट मची है कि प्रतिदिन शासन को करोड़ों रूपयों का चूना लगाया जा रहा है। खनिज विभाग का पूरा काम केवल कागजों पर चल रहा है। खनिज अधिकारी और निरीक्षक को रेेत, पत्थर ठेकेदार और क्रेशर संचालक चांदी के जूतों से तौल रहे हैं, यदि इन दौनों अधिकारियों की संपत्ति की जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आऐंगे रेत, पत्थर और के्रशर के खेल में सारे कायदे कानून फेल हैं।
यहां न कानून है ने कोई कायदा है बस फ ायदा ही फ ायदा है। देखा जाए तो खनिज विभाग में न तो कोई नियमों का पालन करने वाला है न कोई पालन कराने वाला है। खनिज माफि या नियमों की बलि चढ़ाकर जहां अपना खजाना भर रहे हैं वहीं सरकारी खजाने को प्रति माह करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। चांदी के जूतों की चमक के आगे खनिज विभाग के अधिकारी और निरीक्षक की आंखें इस कदर चौंधिया गई हैं कि उन्हें खनिज माफि याओं द्वारा की जा रही लूट दिखाई ही नहीं देती है। इतना ही नहीं खनिज माफियाओं के पालतू गुंड़े खनिज अधिकारी और खनिज इंस्पेक्टर से भी बदसलूकी करने से नहीं चूकते हैं। बुधवार को अवैध रूप से रेत का परिवहन कर रहे टे्रक्टरों को पकड़ने निकले ानिज विभाग के अधिकारी पीपी राय से खनिज माफियाओं ने जमकर बदसलूकी करके उन्हें जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में सिविल लाईन थाना पुलिस ने कमलेश और उत्तम पटैरिया के खिलाफ धारा 186, 294, 506 बी, 34 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया है। ये दोनों आरोपी सत्तापक्ष के संरक्षण प्राप्त बताये गये हैं। इससे जाहिर है कि छतरपुर में भी खनिज माफियाओं के हौसले भिंड के खनिज माफियाओं की तरह ही बुलंद है। ये खनिज माफिया अपनी गैर कानूनी हरकतों में खलल डालने वालों को सबक सिखाने के लिये किसी भी हद तक जा सकते है। यही कारण है कि छतरपुर जिले में रेत खदानों से बड़े पैमाने पर अवैध रूप से उत्खनन करके उसका अवैध परिवहन किया जा रहा है। इसे रोकने का साहस कोई नहीं जुटा पाता है यदि जुटाता भी है तो उसे इसी तरह बदसलूकी का शिकार बनाया जाता है। इससे जाहिर है कि खनिज विभाग के प्रावधानों का खुलेआम चीरहरण हो रहा है जिसमें खनिज अधिकारी और खनिज निरीक्षक रेत, पत्थर ठेकेदारों और क्रेशर संचालकों द्वारा चांदी के जूतों से तुलकर करोड़ों में खेल रहे हैं।
कोई नहीं मानता नियम
नियमानुसार खनिज अधिकारी या निरीक्षक को रेत और पत्थर खदानों का मौके पर जाकर निरीक्षण करना चाहिए कि लीजों की नियमानुसार खुदाई हो रही है या नहीं लेकिन ऐसा होता नहीं है। यदि गाहे बगाहे निरीक्षण कर भी लिया तो मात्र नोटिस देकर खानापूर्ति की जाती है। बाद में ले देकर नोटिसों को दबा दिया जाता है। औपचारिक निरीक्षण में यह नहीं बताया जाता है कि निरीक्षण दिनांक तक खनिज उत्पादन की मात्रा क्या है? यह मात्र लिख दिया जाता है कि पटटेदार कर निर्धारण हेतु समस्त अभिलेखों सहित 7 दिन में उपस्थित हों। जिसका परिणाम यह होता है कि बिना कर निर्धारण के उत्खनन चलता रहता है और इसके एवज में खनिज अधिकारी को नजराना पेश कर दिया जाता है। ये भी नियम है कि सभी ठेकेदारों को अपनी लीजों पर सीमा स्तंभ एवं खदानों को प्रदर्शित करने वाले बोर्ड लगाना चाहिए लेकिन किसी भी खदान पर न तो कोई बोर्ड लगाए गए हैं न कहीं कोई सीमा स्तंभ नजर आते हैं। ऐसे में खदान ठेकेदार अपनी लीज क्षेत्र से बाहर से अवैध रूप से उत्खनन करते रहते हैं। इस तरह से कायदे कानून के उल्लंघन पर पर्दा डालने के लिए निर्धारित सुविधा शुल्क लेकर यह लेख कर दिया जाता है कि खनन कार्य नियमानुसार चल रहा है। नियमों में ये साफ है कि प्रत्येक लीज ठेकेदार हर माह यह बताए कि उसने कितना उत्खनन किया है, पर कोई भी ठेकेदार कभी भी यह लिखित रूप से यह नहीं बताता है। इस पर कभी भी ठेकेदार के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है। क्रेशर संचालक भी कर रहे मनमानी ठीक इसी तरह के्रशर संचालक भी खनिज अधिकारियों से सांठगांठ करके नियम विरूद्व तरीके से के्रशर चलाकर मोटा मुनाफ ा कमा रहे हैं जिसका एक तय हिस्सा खनिज अधिकारी और खनिज निरीक्षक को पहुंचा दिया जाता है। क्रेशर संचालक शासन द्वारा निर्धारित रायल्टी सरकारी खजाने में कभी जमा नहीं कराई जाती है जिससे शासन को प्रतिमाह लाखों रूपए के राजस्व का नुकसान होता है। इसी तरह के्रशर लगाने के समय ये साफ प्रावधान है कि क्रेशर संचालक अनिवार्य रूप से पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लें, लेकिन ऐसा कोई भी नहीं करता है। जिले में लगे लगभग सभी क्रेशर पर्यावरण विभाग से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए ही चलाए जा रहे हैं। इस तरह से नियम तोड़ने के एवज में खनिज अधिकारी को चढ़ोत्तरी चढ़ाई जाती है और सब कुछ नियम विरूद्ध तरीके से चलता रहता है।