सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया, जिसमें 28 फरवरी, 2002 को हुए गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार के समय कथितरूप से जानबूझकर कार्रवाई न करने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच के लिए नए एसआईटी के गठन की मांग की गई थी। मौजूदा एसआईटी मोदी को क्लीन चिट दे चुका है। न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू और एस.ए. बोबडे की पीठ ने अधिवक्ता फातिमा ए. द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया और कहा कि इस मुद्दे पर एसआईटी का फिर से गठन अच्छा नहीं होगा।
स्वयं अदालत में पेश हुईं फातिमा ने तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ एसआईटी गठित करने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति दत्तू ने पूछा कि तीन न्यायाधीश उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के होंगे। फातिमा ने कहा कि तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के होंगे। इस पर न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि हमारे पास नहीं हैं और याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने हालांकि अधिवक्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
उल्लेखनीय है कि गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में 28 फरवरी, 2002 को पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 37 लोग मारे गए थे। याचिका एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की ओर से दायर की गई थी।