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यूपीए में 'हर नेता सोनिया भक्त'

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sanjaya baru
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश अन्य मंत्रियों की ही तरह अपनी निष्ठा मात्र सोनिया गांधी के प्रति प्रदर्शित करते रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रति निष्ठा कभी प्रदर्शित नहीं की। संप्रग-1 (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली सरकार) के कार्यकाल में मनमोहन सिंह को लज्जित करने के लिए उन्होंने सोनिया द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को मीडिया में लीक कर दिया था। इस आशय का खुलासा मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने अपनी किताब में की है।

बारू ने लिखा है, 'कांग्रेस सांसदों और नेताओं का मकसद केवल सोनिया को खुश करना होता है। वे यह नहीं देखते कि प्रधानमंत्री के प्रति निष्ठा दिखाना राजनीतिक आवश्यकता है और न ही डॉ. सिंह ने उस तरह की निष्ठा की उम्मीद की जिस तरह सोनिया और उनके सहयोगी चाहते थे।'

'जयराम की निष्ठा उनके मंत्री बनने के एक सप्ताह के भीतर ही खुलकर तब सामने आ गई जब उन्होंने सोनिया गांधी का डॉ. सिंह को लिखा वह पत्र लीक कर दिया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को आसियान के सदस्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की पहल पर कदम बढ़ाने पर सचेत किया था।'

शुक्रवार को बिक्री के लिए उपलब्ध पेंग्विन से प्रकाशित पुस्तक 'एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर : मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह'में बारू ने लिखा है, "डॉ. सिंह ने पाया था कि भारत-आसियान एफटीए एक अनिवार्य भू-राजनीतिक पहल है और इसका लक्ष्य तेजी से उभर रही एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत को एकजुट करना है।"

सोनिया का पत्र कांग्रेस की केरल इकाई की पहल पर लिखा गया था, जिसमें आसियान के साथ फाटा से प्लांटेशन कामगारों के हितों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई थी। बारू ने लिखा है कि 'सोनिया इस तरह के औपचारिक पत्र प्रधानमंत्री को नहीं लिखती थीं। वे हमेशा गंभीर चिंताएं मौखिक रूप से और सीधे या अहमद पटेल और पुलोक चटर्जी के माध्यम से अवगत कराती थीं। चूंकि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था इसलिए उन्हें भी एफटीए के बचाव में पत्र का जवाब देना ही था। और उन्होंने लिखा।'

"कुछ सप्ताह बाद सोनिया का पत्र मीडिया में पाया गया। बिजनेस स्टैंर्डड ने इसे पहले पóो की खबर के रूप में प्रकाशित किया था। आगबबूला मनमोहन ने मुझसे पूछा कि किसने इसे लीक किया।"बारू ने कहा, "अखबार के संपादक टी. एन. नाइनन से बात की लेकिन उन्होंने समाचार का स्रोत बताने से इनकार कर दिया। एक जान पहचान के पत्रकार ने हालांकि यह बता दिया कि इसके पीछे जयराम रमेश का हाथ है। मैंने इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को दी और उन्होंने तुरंत फोन कर जयराम रमेश से बात की। इसके बावजूद जयराम ने इस लीक में अपना हाथ होने से इनकार किया।"

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