बिहार के कृषि और खाद्य उद्योग में इतनी क्षमता है कि वर्ष 2015 तक इसका उपार्जन 10 खरब रुपये तक पहुंच सकता है। यह बात उद्योग संघ एसोचैम द्वारा कराए गए एक अध्ययन में सामने आई। अध्ययन के मुताबिक, बिहार में कृषि आधारित कच्चे माल की प्रचुरता है। यह प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध है। यहां का पशुधन, जल संसाधन और सबसे ऊपर उद्योग अनुकूल नीति ये सभी इस लक्ष्य को हासिल करने में योगदान कर सकते हैं।
अध्ययन में कहा गया है, "बिहार में 1.5 करोड़ अनाज का उत्पादन होता है, जिसमें चावल, गेहूं, मक्का शामिल हैं, इसके अलावा कई प्रकार के फलों और सब्जियों का उत्पादन होता है। इसके कारण वैश्विक कंपनियां और ब्रांड बिहार की ओर आकर्षित हुए हैं, जो राज्य के कृषि-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं।"
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने रिपोर्ट में कहा, "प्रसंस्करण, गोदाम और भंडारण तथा उत्पादन क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिए माल ढुलाई और अधोसंरचना के तेज विकास से बिहार में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में और विकास होगा।"
रावत ने कहा, "आयात और निर्यात की सुविधा बढ़ाने के अलावे सस्ते माल ढुलाई प्रबंधन से बिहार को घरेलू और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।"बिहार में 80 फीसदी श्रम शक्ति का इस्तेमाल इस क्षेत्र में होता है। यह राज्य के कुल सकल घरेलू उत्पादन (जीएसडीपी) में आधे से अधिक योगदान करता है।