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बहुत जल्‍द अच्‍छे दिन आने वाले हैं : नरेंद्र मोदी

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प्रवासी भारतीय सम्‍मेलन के आखिरी दिन गुरुवार को भारतवंशियों को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्‍यमंत्री और बीजेपी के पीएम उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ‘आने वाला समय बेहतर होने’ की टिप्पणी पर गुरुवार को चुटकी लेते हुए कहा कि संप्रग सरकार के घोटालों, फैसले नहीं ले पाना और क्षुद्र एवं विभाजनकारी राजनीति के कारण सरकार एवं उसके नेताओं पर से जनता का विश्वास उठा है। 

प्रवासी भारतीय दिवस के परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने प्रवासी भारतीयों से चुनावी प्रक्रिया और देश में हो रही ‘क्रांति’ में हिस्सा लेने को कहा। मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कल एक अच्छी बात कही। उन्होंने कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं, अच्छे दिन जल्द ही आने वाले हैं। मैं प्रधानमंत्री से सहमत हूं। मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं। आपको चार-छह महीने इंतजार करना पड़ सकता है। अच्छे दिन निश्चित तौर पर आएंगे। मोदी संकेत दे रहे थे कि लोकसभा चुनाव के बाद उनकी पार्टी केंद्र में अगली सरकार बनायेगी। 

सिंह की प्रवासी भारतीय सम्मेलन में ही की गई टिप्पणी के दूसरे दिन उन्होंने यह कटाक्ष किया। प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों में अर्थव्यवस्था के बारे में आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा था कि देश अच्छे समय की ओर बढ रहा है और वर्तमान या भविष्य के बारे में निराश होने की जरूरत नहीं है। मोदी ने अपने लिखित भाषण में संप्रग सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछले दशक में विशेष रूप से क्षुद्र राजनीति, अपना फायदा उठाने एवं दोहन के कारण राष्ट्र निर्माण के समावेशी एवं व्यवहार्य सिद्धांत प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत, लगातार सामने आ रहे घोटाले और भ्रष्टाचार का उजागर होना, बुनियादी सुविधा सेवा की खराब स्थिति, नीतिगत निर्णय नहीं कर पाना और सम्पूर्ण रूप से विभाजनकारी माहौल ने सरकार तथा नेताओं के बारे में लोगों की सोच और विश्वास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। 

भ्रष्टाचार के सवाल पर मोदी ने कहा कि आज लोग भ्रष्टाचार के बाद की स्थिति पर जोर दे रहे है लेकिन ध्यान भ्रष्टाचार से पहले के मुद्दों पर होना चाहिए ताकि ऐसी व्यवस्था तैयार की जा सके जहां भ्रष्टाचार हो ही नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था तैयार हो जहां भेदभाव की गुंजाइश नहीं हो और शासन एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया पारदर्शी हो। इसके लिए निर्णयों को आनलाइन किये जाने की जरूरत है। गुजरात में हमने परियोजनाओं की पर्यावरण मंजूरी से जुड़ी पूरी व्यवस्था को आनलाइन किया है ताकि लोगों को पता रहता है कि उनकी फाइल किस टेबल पर है। मोदी ने कहा कि अगर अन्याय, भेदभाव नहीं होगा, तब भ्रष्टाचार भी नहीं होगा। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि नए बदलते समय में नवोन्मेष, शोध, ब्रांडिंग और विपणन पर जोर दिये जाने की जरूरत है। ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांडिंग को पुरजोर ढंग से पूरी दुनिया में फैलाये जाने की जरूरत है। अधिक संख्या में कालेज खोलने के साथ साथ शिक्षा क्षेत्र में ‘सेंटर फार एक्सेलेंस’ स्थापित किये जाने की जरूरत है। 

मोदी ने कहा कि भारतीय नेतृत्व को सभी स्तरों पर उपर उठने और उच्च विचारों एवं सिद्धांतों के आधार पर चुनौतियों से निपटने की जरूरत है। हमारे एजेंडे में सुराज और सुशासन को दृढ़ता के साथ स्थापित किये जाने की जरूरत है। इसे केवल अकादमिक चर्चा तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। हमें इन सिद्धांतों और लक्ष्यों को सभी लोगों को साथ लेकर अपने कार्यो के जरिये परिणाम में बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम महज रोजमर्रा के कार्यो को पूरा करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि सुशासन के माध्यम से राष्ट्र के बेहतर भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है। 

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि विकास और वृद्धि का लाभ समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वालों और सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाये जाने की जरूरत है। इसके बिना विकास न तो ठोस आर्थिक आधार पर आगे बढ़ सकता है और न ही समाजिक लाभ आर्जित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सरकारें लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी और इन वर्षों में स्वराज्य से सुराज में परिवर्तन नहीं आया। मोदी ने कहा कि कुछ वषरे में दुनिया का ध्यान केंद्र से हटकर राज्यों की तरफ आया है। राज्यों से सीधा सम्पर्क किया जा रहा है। भारत जैसे देश और इसके संघीय ढांचे को देखते हुए यह शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि आज भारत में राज्यों के बीच विकास नया एजेंडा बन गया है और विकास के मुद्दे पर एक दूसरे से आगे बढ़ने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है। यह अच्छी बात है। मोदी ने कहा कि दो अवसरों 1975 में आपातकाल और 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर कई देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के दौरान प्रवासी भारतीयों ने अहम भूमिका निभायी थी। अब एक और अवसर 2014 के लोकसभा चुनाव का है और इस क्रांति में वे उसी तरह से जुड़ रहे हैं।

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