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हिमाचल : कैट ने जारी किया अपना आर्थिक एजेंडा

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  • कॉर्पोरेट सेक्टर के बजाय घरेलू व्यापार को मजबूत करने से ही होगी अर्थव्यवस्था मजबूत

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आने वाले दिनों में केंद्र में नई सरकार के गठन पर नजरे टिकाते हुए व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने नई सरकार की प्राथमिकताओं में व्यापारिक मुद्दों को शामिल कराने हेतु अभी से अपनी कमर कस ली है! इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैट ने गत 27 फरवरी को नई दिल्ली में हुए व्यापारियों के राष्ट्रीय महाधिवेशन में जिसका उद्घाटन भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उमीदवार श्री नरेंद्र मोदी नई किया था में व्यापारियों का एक राष्ट्रीय चार्टर भी जारी किया था ! महाधिवेशन में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्री कपिल सिबल सहित अन्य अनेक दलों के नेताओं ने भी भाग लिया था !

आज नागपुर में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने केंद्र में गठित होने वाली नई सरकार के लिए व्यापारियों का आर्थिक एजेंडा जारी करते हुए कहा की भारतीय अर्थव्यवस्था इस वक्त बेहद बुरे दौर से गुजर रही है जिसे पटरी पर लाना नई सरकार के पहली प्राथमिकता होगी और इस हेतु बजाय कॉर्पोरेट घरानों या बहुराष्ट्रीय कम्पनिओं का मुह ताकने के सरकार को घरेलू संसाधनों के भरपूर दोहन पर ही जोर देना होगा और इस दृष्टि से देश के रिटेल व्यापार जो राष्ट्रीय जी डी पी में लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देता है को मजबूत करने से ही अर्थव्यवस्था तेजी से सुधारि जा सकती है !

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की इस बात को ध्यान में रखते हुए कैट नई सरकार से एक राष्ट्रीय व्यापार नीति बनाने और केंद्र एवं राज्यों में पृथक रूप से एक आंतरिक व्यापार मंत्रालय गठित करने पर जोर देगा ! जब तक यह मंत्रालय गठित नहीं होता तब तक केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में आंतरिक व्यापार हेतु एक राज्य मंत्री नियुक्त हो जिसके अंतर्गत पृथक रूप से एक प्रभावी आंतरिक व्यापार निदेशालय काम करे जो घरेलू व्यापार के सुनियोजित विकास और उस से सम्बंधित सभी विषयों की देख रेख करे ! देश के रिटेल व्यापार में 6 करोड़ से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान काम करते हैं जो लगभग 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोज़गार देते हैं ! अर्थव्यवस्था के इतने महत्वपूर्ण सेक्टर की अब तक अनदेखी ही की गयी है लेकिन अब और अनदेखी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगी और जरूरत पड़ी तो इसके लिए कैट देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन छेड़ने में भी पीछे नहीं रहेगा !

श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने कहा की व्यापारियों के लिए व्यापार करने हेतु सरलता से ऋण मिले इस हेतु एक वैकल्पिक वित्तीय ढांचे की बेहद जरूरत हैं क्योंकि बैंक इस मामले में अब तक बेहद नाकाम साबित हुए है और यह तथ्य रिज़र्व बैंक के गवर्नर श्री रघुराम राजन द्वारा गठित डॉ. नचिकेत मोर कमिटी ने भी हाल ही में रिज़र्व बैंक को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में स्वीकार भी किया है ! कैट का मत है की व्यापारियों को ऋण उपलब्ध करने हेतु कोआपरेटिव बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियों के ढांचे को मजबूत किया जाए और यहाँ तक की नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियों में ही स्माल बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियों की एक अलग श्रेणी बनायीं जाए जो केवल छोटे व्यापारियों और निम्न आय वर्गों के लोगों के लिए आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराएं !

रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई को किसी भी प्रकार की अनुमति व्यापारियों के लिए बेहद घातक है और ऐसी किसी भी कोशिश का ताल ठोंक कर देश भर में पुरजोर विरोध किया जाएगा ! कैट ने कहा की इसके बजाय सरकार वर्तमान रिटेल व्यापार के ढांचे को मजबूत और चुस्त दुरुस्त करने की योजना बनाये और इसको उच्च स्तरीय बनाते हुए आधुनिकीकरण किया जाए ! एक तरफ केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने विभागों में ई गवर्नेंस पर जोर दे रहीं हैं वहीँ दूसरी ओर व्यापारियों में अब तक कम्प्यूटरीकरण न होने के कारण से एक बड़ा अंतर बना हुआ है जिसके कारण व्यापारियों को कानूनों  की पालना करने में अनेक मुश्किलें आ रही है ! इसके लिए सरकार व्यापारियों को ई गवर्नेंस के प्रति शिक्षित करने और कंप्यूटर आदि खरीदने में वित्तीय सहायता देने की योजना बनाये, इस पर भी कैट का जोर होगा ! हाल हे में कैट और ई कॉमर्स में विश्व की बड़ी कम्पनियों में से एक ईबे के साथ देश भर में व्यापारियों के आधुनिकीकरण और  ऑनलाइन व्यापार हेतु एक समझौता किया गया है जिसकी औपचारिक घोषणा कैट एवं ईबे संयुक्त रूप से आगामी 17 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में करेंगे !

श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने यह भी बताया की कैट के आर्थिक अजेंडे में व्यापारियों पर लागू सभी तरह के कानूनों की पुन : समीक्षा किये जाने हेति एक समीक्षा आयोग गठित करने की भी मांग शामिल है ! भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में इसे शामिल भी किया है ! इसके अलावा फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट की पुन:समीक्षा, देश भर में समान रूप से एक करीय कर प्रणाली लागू करने, व्यापारियों सहित अन्य सभी वर्गों से बातचीत के बाद जल्द से जल्द जी एस टी को लागू करना,  वायदा कारोबार पर लगाम लगाना, एपीएमसी एक्ट की पुन : समीक्षा जैसे मुद्दे भी कैट के आर्थिक अजेंडे में शामिल हैं!



( विजयेन्दर शर्मा)

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