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दरभंगा में 'जनता पुल'से नेताओं के गुजरने पर पाबंदी

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दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के एक गांव के लोगों ने अपने बनाए पुल से नेताओं के गुजरने पर पाबंदी लगा दी है। सरकारी उदासीनता से परेशान ग्रमीणों ने आपसी चंदे से बांस का पुल बनाया है। बहादुरपुर प्रखंड की पड़री पंचायत के कमालपुर-ब्रह्मोतर घाट गांव के लोगों ने कमला नदी पर पक्का पुल नहीं बनाए जाने के विरोध में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है। गांव के लोग लंबे समय से इसकी मांग करते आ रहे हैं।

एक ग्रामीण आशीष झा ने कहा, "हमने बीते नवंबर में कमला नदी पर बांस का पुल बनाया है। स्थानीय स्तर पर ऐसे पुल को चचरी पुल कहा जाता है। इसके लिए ग्रामीणों के बीच 3 लाख रुपये का चंदा किया गया था। वादा नहीं निभाए जाने के विरोध में हमने इस पुल से जनप्रतिनिधियों के गुजरने पर पाबंदी लगाई है।"दरभंगा में 30 अप्रैल को मतदान कराया जाएगा।

झा ने कहा कि पुल आम जनता के लिए हर समय खुला है, लेकिन स्थानीय विधायक और सांसद के लिए इससे गुजरने की मनाही है। इस पुल के पहले ग्रामीण बांस से ही निर्मित एक छोटे पुल से नदी को पार किया करते थे। बाढ़ में पुल के बह जाने के बाद इसका फिर से निर्माण किया गया है।

एक अन्य ग्रामीण जोगी यादव ने कहा, "गांव के लोग दशकों से नेताओं के झूठे वादे सुन-सुन कर तंग आ चुके हैं।" उन्होंने कहा, "जनप्रतिनिधियों के विफल रहने के बाद ग्रामीणों ने साबित कर दिखाया है कि सरकार की सहायता के बगैर वे अस्थायी पुल बना सकते हैं।" 40 मीटर लंबा और तीन मीटर चौड़ा यह पुल आसपास के दर्जनों गांवों के बीच संपर्क मुहैया कराता है।

तीन दशक पूर्व एक विधायक ने यहां पुल के लिए शिलान्यास किया था। लेकिन पुल का आज तक अता-पता नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार यह दोहराते नहीं थकते कि पिछले आठ वर्षो के दौरान उनकी सरकार ने 12000 से ज्यादा पुल व पुलियों का निर्माण कराया है। वह यह भी बताना नहीं भूलते कि 1975 से 2005 तक 30 वर्षो के दौरान केवल 375 पुलों का निर्माण हुआ था। 

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