1984 के सिख दंगों के दौरान सरकार ने दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करने की इजाजत नहीं दी थी और यह दिखाने की कोशिश की थी कि सुरक्षाकर्मी अपने कत्र्तव्य का पालन नहीं कर रहे। यह जानकारी एक समाचार पोर्टल के स्टिंग आपरेशन से सामने आई है। समाचार पोर्टल, कोबरापोस्ट द्वारा मंगलवार को किए गए खुलासे के अनुसार, "प्रसारित संदेश में पुलिस को उन दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई न करने के निर्देश दिए गए थे जो 'इंदिरा गांधी जिंदाबाद'के नारे लगा रहे थे।" इसके मुताबिक, "कुछ अधिकारी सजा और स्थानांतरण के डर से कार्रवाई नहीं कर रहे थे।"
यह जानकारी सिख विरोधी दंगे में दिल्ली पुलिस की मिलीभगत का खुलासा करने के लिए पोर्टल द्वारा की गई खोजबीन से सामने आई है। रपट के मुताबिक, "पुलिस ने पीड़ितों को प्राथमिकी दर्ज करने की इजाजत नहीं दी और उन्होंने विभिन्न स्थानों में हुई हत्या और आगजनी के कई मामले एक ही प्राथमिकी में दर्ज कर दिए।"
स्टिंग आपरेशन में यह दिखाया गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने सहयोगियों को दंगाइयों पर गोली नहीं चलाने दे रहे थे और दमकल की गाड़ियां उन इलाकों में नहीं गईं, जहां आगजनी की खबरें आ रही थीं। कोबरापोस्ट ने कई पुलिस अधिकारियों, दिल्ली पुलिस के तत्कालीन प्रमुख एस.सी. टंडन और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त गौतम कौल का साक्षात्कार किया है।