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उत्तराखंड की विस्तृत खबर (27 अप्रैल)

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जनहित याचिका के बाद बढ़ी केवल खुराना की मुश्किलें
  • खुराना के राजनीतिक संबंधों के चलते  क्या वर्तमान डीजीपी उठा पायेंगे कठोर कदम !

uttrakhand news
देहरादून, 27 अप्रैल। बहुगुणा सरकार में सत्ता की मलाई चाटने और बहुगुणा के पुत्र साकेत के साझीदार के रूप में चर्चित देहरादून के कप्तान रहे केवल खुराना इन दिनों एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इससे पहले वे बहुणुणा सरकार के दौरान चर्चाओं में थे और उससे पहले वे टिहरी में हुए दरोगा भर्ती मामले में चर्चाओं में रहे थे। चर्चाओं में रहने में माहिर केवल खुराना सबसे ज्यादा तब चर्चाओं मे ंरहे जब राजधानी क्षेत्र का जिला पुलिस कार्यालय भू-मफियाओं की शरणस्थली के रूप में खासे चर्चा में रहा था। इस दौरान राजधानी क्षेत्र के तमाम भूमि विवाद न्यायालयों में निपटाये जाने के बजाय एस.एस.पी आवास व थानाकोतवालियों में सुलझाये अथवा उलझाये जाते थे। अब एक बार फिर केवल खुराना चर्चाओं में हैं इस बार वे उत्तराखण्ड में हुए टिहरी दरोगा भर्ती घोटाले को लेकर चर्चाओं में हैं वह भी तब जब यह मामला उच्च न्यायालय में गूंजा तो शासन व पुलिस मुख्यालय के होश फाख्ता हो गए कि दरोगा भर्ती घोटाले में नियमों को ताक पर रख पूर्व डीजीपी द्वारा आईपीएस केवल खुराना को सिर्फ चेतावनी देकर फाईल का बंद कर दिया गया था। अब न्यायालय ने सरकार से जब जवाब तलब कर शपथ पत्र दाखिल करने का हुक्म दिया तो शासन व पुलिस मुख्यालय में हलचल मच गई और राज्य के डीजीपी ने उत्तराखण्ड गृह सचिव को पत्र लिखा तथा कहा कि जेपी बड़ोनी बनाम राज्य व अन्य के संबंध में प्रकरण पर प्रतिशपथ पत्र तैयार करते समय संज्ञान में आया की प्रकरण में कतिपय त्रुटि हो गई है और चेतावनी का आदेश नियमानुसार नहीं है। पुलिस मुख्यालय की ओर से शासन से अनुरोध किया गया है कि आईपीएस केवल खुराना के विरूद्ध आॅल इंडिया सर्विसिस डिसिपलिन रूल 1969 के नियम 6 के अंतर्गत कार्रवाई करें। पुलिस मुख्यालय ने न्यायालय में भी इस शपथ पत्र को दाखिल किया है। जिससे अब आईपीएस केवल खुराना पर गाज गिरने की आशंकाएं काफी प्रबल होती नजर आ रही है। जिस तरह से केवल खुराना के दो साल तक मौज लेने के बाद अब तीन साल बाद दरोगा भर्ती घोटाले का जिन्न बोतल से एक बार फिर बाहर आ गया है, उससे पुलिस के कई बड़े अधिकारियों में हलचल मची हुई है और अब सबकी नजर सरकार पर जा टिकी है कि वह इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करने का मन बनाएगी। गौरतलब है कि 23 जनवरी 2011 को संपन्न हुई उपनिरीक्षक रैंकर परीक्षा के दौरान परीक्षा केन्द्र जनपद टिहरी गढ़वाल में कतिपय अभियर्थियों द्वारा अनुचित संसाधनों का प्रयोग करने विषयक जांच पुलिस मुख्यालय द्वारा सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। सूत्रों का कहना है कि अपर पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान विभाग, उत्तराखण्ड ने अपने पत्र संख्या सीबी-12ध्2011 दिनांक 7 फरवरी 2012 के द्वारा उक्त प्रकरण से संबंधित सीबीसीआईडी की अंतिम प्रगति आख्या संख्या सीबी-12ध्2011 दिनांक 16 जून 2011 को पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराई गई थी। जिसमे आईपीएस केवल खुराना, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक टिहरी गढ़वाल के विरूद्ध आॅल इंडिया सर्विसिस डिसिपलिन रूलस 1969 के नियम 6 के अंतर्गत कार्रवाई की संस्तुति की गई थी। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक द्वारा केवल खुराना से उक्त संबंध में स्पष्टीकरण प्राप्त कर उन्हें गुणदोष के आधार पर    चेतावनी प्रदान करने का निर्णय लिया गया था। जिसके क्रम में तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन ने पत्र संख्या डीजी-1-56-2012(1) दिनांक 28 सितंबर 2012 को केवल खुराना को चेतावनी प्रदान की गई थी। बताया जा रहा है कि जिसकी प्रति तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक, मुख्यालय ने 30 अक्टूबर 2012 के द्वारा शासन को प्रेषित की थी।

जेपी बड़ोनी ने उच्च न्यायालय में टिहरी दरोगा भर्ती घोटाले प्रकरण में की थी जनहित याचिका दायर 

उल्लेखनीय है कि जेपी बड़ोनी नामक एक व्यक्ति ने नैनीताल उच्च न्यायालय में टिहरी दरोगा भर्ती घोटाले प्रकरण में जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार से जब इस मामले के बारे में शपथ पत्र मांगा तो 2 अप्रैल 2014 को उत्तराखण्ड के डीजीपी बी0एस0 सिद्धू ने गृह सचिव को एक पत्र लिखा जिसमे कहा गया है कि इस प्रकरण पर प्रतिशपथ तैयार करते समय संज्ञान में आया कि प्रकरण में कतिपय त्रुटी रह गई है और पूर्व डीजीपी द्वारा दे गई चेतावनी नियमानुसार नहीं है। पत्र में कहा गया है कि 28 मार्च 2014 को प्रकरण में समय विचारोंपरांत यह निर्णय लिया गया की सीबीसीआईडी की अंतिम प्रगति आख्या को अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होने के कारण नियम 1969 के नियम 6 के अंतर्गत कार्रवाई हेतु शासन को प्रेषित किया जाए। डीजीपी द्वारा गृह विभाग को लिखे पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि आईपीएस केवल खुराना के विरूद्ध नियम 6 के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। डीजीपी द्वारा शासन को लिखे गए पत्र व उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए शपथ पत्र से यह आभास हो रहा है कि आईपीएस केवल खुराना के खिलाफ सरकार कोई सख्त कदम भी उठा सकती है।

पुलिस महकमे के अंदर दो बार हुआ दरोगा भर्ती घोटाला लेकिन किसी बड़े अधिकारी पर नहीं गिरी इन घोटालों की गाज

उत्तराखण्ड में 13 सालों से सरकारें भ्रष्टाचार व घोटालों को लेकर प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस सरकारें एक दूसरे के खिलाफ चुनावी जंग जीतती आई है लेकिन आज तक किसी भी बड़े अधिकारी के खिलाफ किसी भी सरकार ने कोई कार्रवाई करने का दम नहीं दिखाया। कितनी अजीब बात है कि इन 13 सालों में पुलिस महकमे के अंदर दो बार दरोगा भर्ती घोटाला हो गया लेकिन किसी बड़े अधिकारी पर इन घोटालों की गाज नहीं गिरी। तीन साल पूर्व टिहरी में हुए दरोगा रैंकर भर्ती घोटाले की सीबीसीआईडी ने जांच की तो उसमे वहां के तत्कालीन पुलिस कप्तान का इस घोटाले में नाम सामने आ गया और सीबीसीआईडी ने आईपीएस के खिलाफ मेजर पेनल्टी देने के लिए डीजीपी के पास फाईल भेजी थी लेकिन तत्कालीन डीजीपी विजय राघव पंत ने अपने आपको शासन से बड़ा साबित करने के लिए दरोगा भर्ती घोटाले में फंसे आईपीएस केवल खुराना की फाईल को शासन के पास न भेजकर खुद ही उन्हें नोटिस जारी कर उनका जवाब लेने के बाद फाईल पर चेतावनी की टिप्पणी लिखकर उसे सीन कर दिया था। हालांकि अब न्यायालय में मामला गूंजने पर तत्कालीन डीजीपी द्वारा आईपीएस केवल खुराना को नियमों के विरूद्ध जाकर उसे क्लीन चिट देने की गूंज अब न्यायालय व शासन तक भी पंहुच चुकी है। 24 दिन पूर्व केवल खुराना के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को लेकर पुलिस मुख्यालय ने शासन को पत्र लिखा था लेकिन सरकार ने घोटाले में शामिल केवल खुराना के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की आज तक पहल नहीं की। जिससे सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे है कि एक ओर तो सरकार के निजाम दावा कर रहे है कि राज्य में भ्रष्टाचार व घोटाले करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। वहीं राज्य के तत्कालीन डीजीपी व केवल खुराना द्वारा दरोगा भर्ती घोटाले में किए गए खेल पर भी अब तक सरकार क्यों खामोश है, यह सवाल अब राज्य के गलियारों में भी तेजी के साथ गूंजने लगा।

 पुलिस मुख्यालय एक बार फिर चर्चाओं में   

 उत्तराखण्ड का पुलिस मुख्यालय एक बार फिर चर्चाओं में है। इस बार पूर्व डीजीपी विजय राघव पंत की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं तथा यह बात उभर कर सामने आ रही है कि जिस मामले में डीजीपी को नोटिस जारी करने का अधिकार ही नहीं था तो उन्होंने कैसे इस मामले में शासन को गुमराह करते हुए आईपीएस केवल खुराना को दरोगा रैंकर भर्ती घोटाले में अपने स्तर से ही चेतावनी देकर उन्हें क्लीन चिट दे डाली थी। सवाल तैर रहे हैं कि अगर यह मामला न्यायालय में न पंहुचता तो यह तय था कि दरोगा रैंकर भर्ती घोटाला हमेशा के लिए फाईल में ही दफन होकर रह जाता। अब देखना है कि सरकार पूर्व डीजीपी के खिलाफ क्या कार्रवाई करने का निर्णय लेती है और सीबीसीआईडी की जांच रिपोर्ट के आधर पर सरकार केवल खुराना के खिलाफ क्या और कब तक एक्शन लेने के लिए आगे आएगी।
  
सन् 2011 में हुआ था टिहरी दरोगा रैंकर भर्ती घोटाला, पूर्व डीजीपी विजय राघव पंत की संदिग्ध भूमिका पर उठे सवाल 

 सन् 2011 में टिहरी दरोगा रैंकर भर्ती घोटाला हुआ था। उस समय के डीजीपी ज्योति स्वरूप पांडे ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी थी। सीबीसीआईडी ने अपनी जांच में केवल खुराना को दरोगा भर्ती घोटाले का दोषी पाया और उन्होंने खुराना के खिलाफ शासन को मेजर पेनल्टी देने के लिए संस्तुति की थी। हालांकि पूर्व डीजीपी विजय राघव पंत ने अपने आपको शासन से बड़ा साबित करने के लिए सीबीसीआईडी द्वारा केवल खुराना के खिलाफ कार्रवाई के लिए की गई संस्तुति वाली फाईल को अपने पास रख लिया था और उन्होंने सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने स्तर से ही केवल खुराना को नोटिस जारी किया और केवल खुराना का जवाब लेने के बाद उनकी फाईल पर चेतावनी की टिप्पणी लिखकर उसे सीन कर दिया था।  फाईल को देख लेेने के बाद विजय राघव पंत ने जिस तरह से केवल खुराना को बचाने का खेल खेला उससे अब यह सवाल खड़े होने लगे है कि आखिरकार किस उद्देश्य से खुराना को दरोगा भर्ती घोटाले में बचाने के लिए विजय राघव पंत ने शासन को गुमराह किया था। अब सवाल उठ रहे है कि क्या सरकार विजय राघव पंत के खिलाफ भी कोई सख्त कदम उठाने की पहल करेगी या उन्हें वह अभयदान दे देगी।  हालांकि पुलिस मुख्यालय ने 24 दिन पूर्व खुराना के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र भेजा था लेकिन आज तक इस मामले में सरकार की खामोशी से कई सवाल खड़े होने शुरू हो गए है।


आपदा घोटाले के धन से चुनाव लड़ रही कांग्रेस, घोटालें में कांग्रेस-भाजपा दोनों एक

नाचनी,(पिथौरागढ़) 27 अप्रैल। भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड में आपदा घोटाले का धन कांग्रेस लोक सभा चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए खर्च करने लगी है। निर्वाचन आयोग को उच्चस्तरीय जाॅच तत्काल करनी चाहिए लोस का चुनाव सही तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी इस मामले में चुप बैठी हुई है। क्योंकि दोनों की आदत है हमेशा घोटाले के धन से चुनाव लड़ने की। नाचनी के इंटर कालेज खेल मैदान में आयोजित माले उम्मीदवार विजय कुमार के समर्थन में हुई जनसभा में माले के केंद्रीय नेता राजा बहुगुणा ने कहा कि आपदा का राशन और राशन को पहुंचाने के लिए तय बजट को कांग्रेस के सांसद प्रतिनिधि के नाम देकर घोटाला किया गया है। मुनस्यारी तहसील में हुए इस घोटाले के साथ ही उत्तराखंड में आपदा के वक्त देश-विदेश से आए करोंड़ों रूपये की राशि का घोटाला कर कांग्रेस इस चुनाव की नैया पार करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पूर्व में हुए कांग्रेस-भाजपा के 121 घोटालें के बाद यह आपदा घोटाला सबसे बड़ा घोटाला है। अभी तक सरकार ने आपदा राहत के नाम पर जमा हुई करोंड़ों रूपये की राशि का वितरण करने का मामला सार्वजनिक नहीं किया है। कहा कि यह सवाल उठता जा रहा है कि कांग्रेस आपदा के धन से राज्य की पांच सीटों को कब्जाना चाहती है। राजा बहुगुणा ने कहा कि शहीदे आजम भगत सिंह के सपनों का भारत बनाने के लिए भाकपा माले को वोट दें। प्रत्याशी विजय कुमार ने कहा कि गाॅवों में विकास की शुरूआत तक नहींे हो पाई है। बेरोेजगारी का समाधान नहींे होने और सुविधाओं के अभाव में राज्य के गाॅव खाली होते जा रहे है। पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए अलग नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए कांग्रेस-भाजपा केेे पास कोई एजेंडा नहीं है। माले जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने कहा कि तल्ला जौहार की जनता के साथ पहले भाजपा अब कांग्रेस सौतेला व्यवहार कर रही है। तहसील, विकासखंड के गठन के मामले को नजरअंदाज कर दिया गया। पाॅलटेक्निक कालेज खोलने की झूठी घोषणा की गई। कहा कि तल्लाजौहार की जनता इस ठगी का जवाब सात मई को वोट देकर दे। सभा शुरू होने से पहले सुशील खत्री, चंचल बोरा, गिरीश पंत की टीम ने ’तू खुद बदल तब ये जमाना बदलेगा’ जनगीत गाया। संचालन मुनस्यारी के ब्लाक सचिव सुरेंद्र बृजवाल ने किया। सभा को भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य पुरूषोत्तम शर्मा, कमला टोलिया, कमला पंचपाल, राम सिंह गनघरिया, विमला, राधा, उषा, उदीमा, कल्याण सिंह, हीरा सिंह ने अपने विचार रखें।  

कांग्रेस को झटका, नौटियाल का इस्तीफा, रामशरण नौटियाल का ईस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण: धीरेन्द्र प्रताप 

देहरादून ,27 अप्रैल (निस)। केन्द्र सरकार विरोधी लहर का सामना कर रही कांग्रेस के कई नेता अब तक पार्टी को बाॅय-बाॅय कर दूसरे दलों का दामन थाम चुके हंै। पूर्व सांसद सतपाल महाराज के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के झटके से प्रदेश कांग्रेस अभी उबर भी नहीं पाई थी कि कांग्रेस के एक ओर वरिष्ठ नेता ने पार्टी से इस्तीफा देकर सीएम व प्रदेश अध्यक्ष पर पार्टी कार्यकर्ताओ की उपेक्षा का आरोप लगाया। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष राम शरण नौटियाल ने रविवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उनके पार्टी छोड़ने से लोकसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही कांग्रेस को करारा झटका लगा है। रविवार को कचहरी रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष राम शरण नौटियाल ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को अपना इस्तीफा भेज दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा पार्टी की मजबूती और उसे जिताने के लिए लंबे समय तक तन-मन-धन से काम किया। लेकिन पिछले कुछ समय से उन्हे पार्टी में सम्मान नहीं मिल रहा था। जिसके चलते वे अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न तो उन्हे कभी पार्टी के कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दी गई और न ही चुनाव के दौरान कोई सूचना दी जा रही थी। यहां तक की जब भी वे सीएम आवास जाते थे तो उनकी तलाशी इस तरह ली जाती थी कि जैसे वे कोई संदिग्ध व्यक्ति हों। इसी के चलते वे अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे और यही वजह रही कि उन्होंने पार्टी से त्याग पत्र देने का निर्णय लिया। हालांकि किसी अन्य दल में शामिल होने की बात से उन्होंने इन्कार किया है। लेकिन चर्चा है कि वे शीघ्र ही भाजपा का दामन थाम सकते हंै। वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड  काग्रेंस प्रवक्ता धीरेन्द्र प्रताप ने प्रदेश काग्रेस उपाध्यक्ष रामशरण नौटियाल द्वारा रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ईस्तीफे दिए जाने के फैसले को ‘अत्यत दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है ! यहां जारी एक बयान में धीरेन्द्र प्रताप ने उनसे अपने ईस्तीफे पर पुर्नविचार की अपील की है। उन्होने कहा श्री नौटियाल ने सदैव निष्ठापूर्वक पार्टी का कार्य किया है व उनके द्वारा कोई भी कदम जल्दबाजी में उठाया जाना,दुखद होगा !उन्होने कहा श्री नौटियाल पार्टी के स्तभं है व पार्टी अध्यक्ष श्री यशपाल आर्य समेत सभी चाहते हैं उनका सहयोग पार्टी को सदैव मिलता रहे व पार्टी भी उनका सम्मान सदैव रखना चाहेगी। उन्होने कहा हमे दलीय हितो को व राष्ट हित को प्राथमिकता देनी है। प्रताप व पार्टी के अन्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी रामशरण नौटियाल के निवास गए व देर तक उन्हे समझाने की कोशिश की। 

रामदेव के बयान पर छात्रों में उबाल, दिया धरना, डा. अम्बेडकर जनता दल ने किया रामदेव के बयानों का कडा विरोध 

देहरादून ,27 अप्रैल (निस)। योगगुरू बाबा रामदेव के बयान से आक्रोश की आग भड़कने लगी है। दलितों के घर राहुल के जाने संबधी दिए गए आपत्तिजनक बयान पर छात्रों का गुस्सा भड़क गया। रविवार को छात्र नेत्री स्वाती नेगी के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने गांधी पार्क स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे धरना देकर रामदेव के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ ऐसी बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। रविवार सुबह डीएवी काॅलेज की छात्र नेत्री स्वाती नेगी के नेतृत्व में छात्र-छात्राओ ंने गांधी पार्क में धरना दिया। उन्होंने कहा कि बाबा राम देव का मानसिक संतुलन बिगड चुका है। जिसके चलते वे बेतुकी व आपत्तिजनक बयानबाजी पर उतर आए है। रामदेव के दलितों के घर हनीमून मनाने जाने संबधी बयान को छात्र नेत्री ने संकीर्ण मानसिकता का परिचायक बताया। उनका कहना था कि एक बाबा का इस तरह का बयान अपराध की श्रेणी में मानते हुए उनके खिलाफ ठोस कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रामदेव के इस बयान से न केवल दलित महिलाओं बल्कि देश की समस्त नारी जाति का अपमान हुआ है। जिसके लिए उन पर न केवल एससी/एसटी बल्कि महिला उत्पीड़न का भी मुकदमा लगना चाहिए। धरना देने वालों में पल्लवी क्षेत्री, अनुज, सूरज, संदीप, प्रियांशू, अनुज कुमार, विकास आदि शामिल थे। वहीं दूसरी ओर रूडकी में डा. अम्बेडकर जनता दल’ के तत्वाधान में शेखपुरी स्थित रविदास मंदिर में बाबा रामदेव के दलितों के प्रति बयानों का कडा विरोध करते हुए एक निन्दा सभा का आयोजन किया गया। डा. अम्बेडकर जनता दल के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि बाबा रामदेव ने दलित समाज के मां, बहन, बेटियों का अपमान किया है और दलित समाज के आत्म सम्मान को ठेस पहंुचायी है। यदि बाबा रामदेव अपने शब्दांे को वापस नहीं लेते व दलित समाज से माफी नहीं मांगते तो डा. अम्बेडकर जनता दल के कार्यकर्ता जगह-जगह व सडकों पर उतरकर बाबा रामदेव के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस मौके पर डा. अम्बेडकर जनता दल के संस्थापक सदस्य शिवकुमार गौतम ने कहा कि हम बाबा रामदेव के इस बयान की घोर निंदा करते हैं और उन्हें अपने शब्दों को वापस लेना चाहिए। बाबा रामदेव पर एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर सीधे जेल में भेज देना चाहिए अन्यथा दलित समाज के लोग सडकों पर उतरकर जगह-जगह उग्र आन्दोलन करेगा। इसके बाद दल के उपाध्यक्ष गोविंद गौतम ने अपने विचारों में बाबा रामदेव की कडे शब्दों में निंदा की और कहा कि यदि बाबा रामदेव जैसे लोग देश की सत्ता में पहुंच गये तो देश में अराजकता व सामंतवादी ताकतों को पनाह मिलेगी और देश का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। सभा में उपस्थित डा. अम्बेडकर जनता दल के महासचिव रविन्द्र कुमार ने कहा कि ऐसे व्यक्ति जो हमारे दलित समाज पर अभद्र टिप्पणी करते हैं ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का केाई हक नहीं है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ चुनाव आयोग को चाहिए कि सख्त से सख्त कार्यवाही करे। सभा में अमित कुमार, संदीप कुमार, साहब सिंह, नरेश कुमार, नरेन्द्र मौर्य, सुनील कुमार, दीपक कुमार, सचिन गौतम, सोनू कुमार, सोमपाल सिंह, धर्मवीर कुमार, दीपक रविदासय, भीम सिंह, प्रीतम सिंह, संजीव कुमार, अरविंद, धीरसिंह, रविन्द्र आदि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

40 हजार महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभाल रहे सामुदायिक केन्द्र में नहीं महिला चिकित्सक

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देहरादून ,27 अप्रैल (निस)। प्रदेश में अब तक आई सभी सरकारें पहाडी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने के बडे-बडे दावे तो करती रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत इन हवाई दावों से खासी अलग है। पहाडों पर चिकित्सकों की आज भी भारी कमी है और अलग महिला चिकित्सकों की बात करें तो पहाडों में उनकी संख्यां तो न के बराबर है। ऐसी ही स्थिति है कपकोट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की। इस केन्द्र पर ब्लाक की करीब 40 हजार महिलाओं के स्वास्थ्य को संभालने की जिम्मेदारी है लेकिन यहां महिला डाक्टर एक भी नहीं। पूर्व में एक संविदा डाक्टर की यहां तैनाती की गई थी अब वह भी यहां से चली गई हैं। हालत यह है कि महिलाए इलाज के लिए बागेश्वर पर निर्भर हैं। कपकोट ब्लाक की जनसंख्या के अनुसार यहां 40185 महिलाएं हैं। ऐसे में यहां की महिलाओं के स्वास्थ्य की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे सामुदायिक केन्द्र पर शासन ने बीते वर्ष एक महिला डाक्टर को तैनात किया था, पर यह कामचलाऊ व्यवस्था भी ज्यादा समय नहीं रह पाई। महिला डाक्टर की कमी से महिला रोगियों खासकर प्रसव पीडि़त महिलाओं को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने शासन और स्वास्थ्य विभाग पर क्षेत्र की घोर उपेक्षा का आरोप लगाया है। इधर, महिलाओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी एक बार फिर वादे-दावों के साथ वोट मांगने आ रहे हैं, उनसे इस संबंध में सवाल किया जाएगा।

केदारबगड़ बस्ती की दशा बयां कर रही सरकार के पुनर्वास की कहानी

देहरादून,27अप्रैल (निस)। आपदा के बाद से प्रदेश सरकार पुनर्निमाण व पुनर्वास के लम्बे-चैडे वायदे तो कर रही है लेकिन अभी भी कई स्थान ऐसे हैं जहां कि स्थिति देखने से साफ हो जाता है कि सरकार के अधिकतर वायदे हवा-हवाई ही हैं। थराली के केदारबगड़ बस्ती के हवा में झूल रहे भवन इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
पिछले वर्ष जून माह में आई भीषण बाढ़ में मुख्य बाजार से राड़ीबगड़ और केदारबगड़ तक लगभग एक किमी मोटर मार्ग नदी में समा गया था और मार्ग के किनारे बने कई भवन क्षतिग्रस्त हो गये थे जिसमें केदारबगड़ की बस्ती की बुनियाद खोखली हो गई थी। हालांकि आपदा के दौरान प्रशासन ने बस्ती खाली कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पंहुचा दिया था, लेकिन बरसात समाप्त होने के बाद प्रभावित फिर से अपने असुरक्षित घरों में लौट गए। केदारबगड़ के लोगों का कहना है कि गत जून में पिंडर नदी जहां बस्ती के नीचे लोनिवि का देवाल-थराली मोटर मार्ग बहा ले गई थी जिससे बस्ती के तकरीबन 20 से अधिक आवासीय भवन हवा में लटक गए। प्रभावित तब से गातार सुरक्षा दीवार बनाने की मांग कर रहे हैं और प्रशासन कभी सिंचाई विभाग तो कभी लोनिवि द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है। ग्रामीणों को चिंता है कि यदि नदी में पानी छह मीटर भी बढ़ा तो केदारबगड़ की इस बस्ती का भगवान ही मालिक होगा।

भूस्खलन से तीन गांवों पर मंडरा रहे संकट के बादल 

देहरादून,27 अप्रैल (निस)। नौ महीने से जारी भूस्खलन के कारण गवाणा ग्राम पंचायत के तीन गांवों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। डागर पट्टी की ग्राम पंचायत गवाणा के खुरसाली गांव के ठीक ऊपर का पहाड़ तेजी से दरक रहा है। जून में आई आपदा के बाद पहाड़ पर करीब 200 मीटर लंबी दरार आ गई थी, जो अब बढ़कर 600 मीटर हो चुकी है। दरार के बढ़ने के साथ ही भूस्खलन ने भी रफ्तार पकड़ ली है। इसके चलते खुरसाली, नौटी व सिल्ला गांव गंभीर खतरे की जद में आ गए हैं। साथ ही ढुंडसीर और डागर पट्टियों के दर्जन भर गांवों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है। इसके बावजूद तहसील प्रशासन ने अब तक कोई सुध नहीं ली है। ग्रामीणों का आरोप है कि राजस्व विभाग ने 27 हजार के चेक बांटकर अपना पल्ला झाड लिया। इसमें भी ग्रामीणों के हिस्से महज 500 रुपए ही आए हैं। इस बात को लेकर स्थानीय लोग खासे गुस्साये हैं उनका कहना है कि यदि अब भी उनकी समस्या पर गौर नहीं किया गया तो वह आंदोलन करने को विवश होंगे।

टीम अन्ना ने खोला रामदेव के खिलाफ मोर्चा

देहरादून,27 अप्रैल,(निस) । रामदेव के राहुल गांधी के दलितों के घर हनीमून मनाने संबंधी बयान पर अन्ना हजारे के जनतंत्र मोर्चा ने कड़ी आपत्ति जताई है। मोर्चा के प्रदेश संयोजक भोपाल सिंह चैधरी ने कहा कि रामदेव ने इस बयान से देश के लाखों-करोड़ों लोगों का अपमान किया है। उन्होंने सीधे-सीधे दलितों के चरित्र पर सवाल उठाया है, जिसके लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता। रविवार को जारी बयान में चैधरी ने कहा कि रामदेव का बयान उनकी मानसिकता को दर्शाता है। लाखों-करोड़ों का कारोबार कर रहे बाबा धर्म और आध्यात्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। एक पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान की अपील कर रहे रामदेव को अपने कारोबार पर ध्यान लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के बयान की जितनी भी भर्त्सना की जाए वह कम है। चैधरी ने कहा कि बाबा रामदेव ने दलितों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव को इस मामले में बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। साथ ही उन्होंने बाबा की बयानबाजी पर रोक लगाने की भी मांग की। भोपाल सिंह चैधरी ने कहा कि अगर रामदेव की बयानबाजी इसी तरह जारी रही तो अन्ना मोर्चा के नेतृत्व में देशभर में जनतंत्र मोर्चा उनके खिलाफ प्रदर्शन करेगा।

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