- चुनाव मैदान में सिर्फ एक ही बहस कौन हरा रहा भदोही लूटने वालों को
अति संवेदनशील लोकसभा भदोही के संग्राम में सोमवार को चुनाव प्रचार की समाप्ति के साथ ही तीखे शब्दों के बाण भी शांत हो गए। नेताओं की सेना भी बैरक में लौट गयी। उन्हें इंतजार है तो दो माह के गहन मंथन पर अपने भाग्य विधाता के प्रतिक्रिया की। लेकिन बचे कुछ घंटों के वक्त में नजाकत भाप खामोश मतदाताओं ने चुप्पी तोड़ बहस में लीन हो गए है। चायपान-चट्टी-चैराहों व गली के नुक्कड़ों पर मोदी समर्थन या विरोध बहस का मुद्दा बना है। मोदी लहर जातपात के जकड़न को भी कमजोर कर दी है। मोदी के नाम पर भाजपा की नैया इस बार जरुर पार हो जायेगी, लेकिन अगर 18 फीसदी से अधिक मुस्लिमों ने का झुकाव एकतरफा हुआ तो सोशल इंजिनियरिंग का जातीय ताना-बाना और परंपरागत मतदाता राह मुश्किल कर सकते है। इस आपाधापी में राजद की मौजूदगी और अरिष्ठ अधिवक्ता तेजबहादुर का व्यक्तिगत वोट व पिछड़ा कार्ड रणनीतिक वोटिंग साइकिल की हवा निकालती नजर आ रही है। चुनावी विश्लेषक रमेश चंद्र तिवारी की मानें तो भाजपा के वीरेन्द्र सिंह व बसपा के राकेशधर त्रिपाठी के बीच आमने-सामने की टक्कर है, लेकिन जदयू के वरिष्ठ अधिवक्ता तेज बहादुर यादव की मौजूदगी सपा के वोट बैंक में सेध लगाते हुए मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
हालांकि पूर्वांचल के ईनामी माफियाओं का शरणदाता व बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा अपनी बेटी सीमा मिश्रा को जीताने के लिए धनबल-बाहुबल के अलावा दहशत के बूते मैदान मारने की हर संभव कोशिश में जुटा है, लेकिन पूर्व सांसद गोरखनाथ पांडेय के भाई रामेश्वर पांडेय, इलाहाबाद में अमवा निवासी कांस्टेबिल महेन्द्र मिश्रा व बसपा प्रत्याशी राकेशघर त्रिपाठी के भाई धरनीधर त्रिपाठी की नृशंस हत्या के बाद पूर्वमंत्री नंदगोपाल नंदी पर आरडीएक्स विस्फोटक से प्राणघातक हमला बैकफूट पर ला दिया है। आम जनमानस में एक ही चर्चा है, जो माफिया को हरायेगा, उसी को पड़ेगा वोट। तभी तो सपा के राष्टीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सभा में यहकर स्वजातिय मतों को रिझाने की कोशिश किया कि विजय मिश्रा की गलती की सजा मुझे मत देना। लेकिन इस अपील का भी असर विजय के आतंक के आगे बौना नजर आया और नाराज लोग कहीं कमल खिलाते नजर आ रहे है तो कहीं गणेश की परिक्रमा। जबकि चकपड़ौना में वेटिंग पीएम नरेन्द्र मोदी की सभा में उमड़ी भीड़ और माफिया व गुंडाराज के खात्मे व जनपद के लोगों की रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया कारपेट इंडस्टी की बदहाली दूर करने व चीनी मिल की फिर से स्थापना के वादे के वाद तो भाजपा प्रत्याशी के लिए सोने पर सुहागा कर विरोधियों की राह में रोक दी है। लोगबाग भी माफिया विधायक द्वारा विकास का पैसा खुलेआम बंदरबाट करने, भ्रष्टाचार को बढ़ावा व जिले को माफियाओं के हवाले कर पिस्तौल की राजनीति पनपाने व समस्याओं को हल न करा पाने को जवाब देने का मौका नहीं चूकना चाहते।
जंगीगंज के बलराम यादव व कासिम अंसारी कहते है यहां तो लड़ाइ्र सीधे भाजपा व बसपा के बीच है। वैसे भी बसपा यहां से लगातार तीन बार जीत चुकी है। जहां तक सपा का सवाल हे तो सायकिल पंचर हो चली है। पिछले दिनों ताबड़तोड़ एक के बाद कालीन उद्यमियों, बायर एजेंटो, पत्रकारों सहित आम गरीब जनमानस सरेराह सड़कों पर पुलिस ने किसके इसारे पर लोगों को पीटा, जगह-जगह फर्जी मुकदमें दर्ज कर अवैध वसूली की गयी। गोपीगंज, औराई, मोढ़, सुरियावा, जंगीगंज, चैरी, ज्ञानपुर, डीघ सहित पूरे जनपद में जगह-जगह लोगों की जमीन कब्जा व लूटपाट किया गया। कार्यालय में दिनदहाड़े घुसकर एबीएसए रितुराज को मारा गया, निर्माणाधीन अस्पताल ठेकेदार से रंगदारी व कईयों से फिरौती वसूली गयी। गुंडई व सत्ता के धौंस के बल पर जीते हुए भदोही ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी को हरा दिया गया। दरोपुर में साम्प्रदायिक हिंसा में किसकी मौजूदगी में बवाल हुआ। लापरवाह अधिकारियों व संबंधित घटनाक्रम में शामिल लोगों पर कार्यवाही सिर्फ इसलिए नहीं हो सकी उन पर माफिया विधायक का छत्रछाया रहा।
जर्नादन गिरी ने कहा विकास व अपराधमुक्त भदोही चाहिए तो जज्बातों में बहकर नहीं सोच-समझकर वोट देना होगा। इसारा साफ है, लेकिन मुंह से निष्कर्ष बताने में गुरेज। ओपी मौर्या कहते है लोकसभा गठन के बाद से ही यहां अधिकांश मुस्लिम व पिछड़ी जाति के ही सांसद चुने गए, लेकिन अब बाहुबल व धनबल से इस समाज को राजनीति से दूर करने का षडयंत्र किया जा रहा, ऐसे में पिछड़ा समाज के नेता एकजुट हो रहे है, कुछ न कुछ जरुर होगा। मतदाता अब जागरुक है और अपने हक व हितों को समझते है। चुनावी चर्चा करने पर जोरई के महेश यादव कहते है इस जनपद से बड़े ही साफगोई से पिछड़े नेताओं को झांसा देकर कब्जा करने का कुचक्र किया गया। तीन-तिकड़म से चचा-बाप-भतीज से भले ही टिकट पा लिया गया हो लेकिन जनता पिछड़ों की राजनीति खत्म करने वाले को सबक सिखाएगी। सुरियावा के श्यामनारायण दुबे ने वर्तमान राजनीति से उबते हुए कहा बहुत दिन तक देश के साथ मजाक हो चुका है अब मजबूत सरकार आनी चाहिए। और छुटभैये नेताओं और दलों का खात्मा होना चाहिए। लोगों में भय खत्म हो, कानून व्यवस्था पूरी तरह सुधरे। परवेज अंसारी कहते है कि मुसलमान साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ व जीतने की अधिक संभावना रखने वाले धर्मनिरपेक्ष दल के उम्मीदवार को ही एकजूट होकर वोट देंगे।
कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के उपाध्यक्ष उमेश गुप्ता ने कहा इन सियासी नुमाइंदें बुनकरों की हाल-ए-दर्द को समझने के बजाए अपनी माली हालात व हैसियत सुधारने की ज्यादा तरजीह दी। आधारभूत व सहूलियतों के अभाव में 500 से अधिक कालीन कंपनिया, डाइंग फैक्ट्रियां बंद हो गई, 250 बीमार होकर अंतिम सांसे गिन रही है तो 100 से अधिक कालीन कंपनिया दिल्ली, पानीपत व हरियाणा शिफ्ट हो गयी। 5 लाख से अधिक बुनकर दो वक्त की रोटी के इंतजाम में दुसरे राज्यों में पलायन कर गए। चीन, ईरान, पाकिस्तान, नेपाल आदि प्रतिद्वंदी देश हमारे बाजार पर नजरें गड़ाए है। बेहतर तकनीक व फिनिशिंग की चुनौती दे रहे है। जिला सृजन के 20 साल बाद भी लोगबाग बिजली, पीने के पानी के लिए तरस रहे है। ज्ञानपुर रोड हो या औराई रोड, इंदिरामिल बाईपास, दुर्गागंज रोड, स्टेशन रोड आदि सड़कों में गड्ढों की हालात किसी से छिपी नहीं है। भदोही, ज्ञानपुर, नयी बाजार, खमरिया, सुरियावा, गोपीगंज व घोसिया सहित अन्य शहरी इलाकों में जल निकासी की व्यवस्था न होने से बारिश के दिनों इलाके झील नजर आते है। भदोही के गजिया, ज्ञानपुर नगर, गोपीगंज व औराई में फलाईओवर ब्रिज, सीतामढ़ी को पर्यटक स्थल का दर्जा, रामपुर घाट व धनतुलसी मार्ग पर पक्का पुल निर्माण की फाइले सचिवालय में सालों से धूल खां रही है। शिक्षा का हाल यह है कि इंटरमीडिएट के बाद साइंस के छात्राओं को ग्रेजूएसन के लिए गैर जनपद जाना पड़ता है। अभियान के बाद भी प्राइमरी स्कूल बदहाल है। सुविधाओं एवं योग्य चिकित्सकों के अभाव में अस्पतालें सिर्फ डाक्टरी मुआयना तक ही सीमित है। लेकिन मोदी से भदोहीवासियों की आस जगी है।
(सुरेश गांधी )