प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू एक और नया खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दागी नेताओं को चुनाव लड़ने की इजाजत देने वाला बिल फाड़ा था तो पीएम बेटी काफी आहत हुई थीं और चाहती थीं कि उनके पिता इस्तीफा दे दें। विवादों में घिरी अपनी किताब 'द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'के मुंबई में बुधवार को लोकार्पण के अवसर पर बारू ने कहा कि 2009 में संप्रग के दोबारा सत्ता में आने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को कई बार इस्तीफे की सलाह दी थी।
बारू के मुताबिक राहुल गांधी के बिल फाड़ने की घटना के बाद आखिरकार मैं टीवी पर आया और कहा कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। मुझे उनकी बेटी की ओर से एक मेसेज मिला, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह मुझसे सहमत हैं।'बारू ने हालांकि यह नहीं बताया कि पीएम की दोनों में से किस बेटी ने अपने पिता के इस्तीफा देने की बात पर सहमति जताई थी। हालांकि पहले पीएम की बेटी उपिंदर सिंह ने बारू को धोखेबाज बताया था। बारू ने कहा कि प्रधानमंत्री मानते थे कि 2009 लोकसभा चुनावों में संप्रग की जीत उनकी जीत थी। लेकिन उन्हें किसी ने उस जीत का श्रेय नहीं दिया। मेरे दोस्त पृथ्वीराज चव्हाण, जिन्हें सिंह ही पीएमओ में लाए थे, उन्होंने भी कहा कि जीत का श्रेय राहुल गांधी को जाता है।
बारू ने कहा कि उनकी किताब भारतीय राजनीति में एक अनूठे प्रयोग का विश्लेषण है, ऐसा प्रयोग जो पहले पांच साल सफल रहा और उसके बाद के पांच साल में विफल हो गया। बारू ने एक और घटना का जिक्र किया, जो किताब में नहीं है। उन्होंने बताया कि 2007 में जब लक्ष्मी मित्तल फ्रांसीसी कंपनी आर्सेलर मित्तल का अधिग्रहण कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री ने मित्तल के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति से बात की थी। किताब को जारी करने की टाइमिंग पर बारू ने कहा कि मेरे कई मित्रों ने, जिनसे मैंने सलाह ली, मुझसे कहा कि चुनावों के बाद मनमोहन सिंह इतिहास बन जाएंगे। उसके बाद उनमें किसी की दिलचस्पी नहीं होगी। इसलिए इसे आम चुनावों से पहले जारी किया। एक सवाल के जवाब में बारू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव का मानना था कि गांधी परिवार के आगे भी कांग्रेस में एक जीवन होना चाहिए और यह उनके खिलाफ रहा। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि नरसिंह राव का दिल्ली में एक स्मारक होना चाहिए।