बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति और देश के चर्चित कानूनविद एवं जनता दल (युनाइटेड) के नेता ताराकांत झा का सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई गई। पटना में गंगा नदी के दीघा घाट पर झा का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। झा के पुत्र कौशल कुमार झा ने मुखाग्नि दी। इसके पूर्व उनके पार्थिव शरीर को जद (यू) कार्यालय, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय और विधान परिषद परिसर ले जाया गया, जहां लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए।
ताराकांत झा का निधन रविवार को लंबी बीमारी के बाद पटना के एक निजी अस्पताल में हो गया था। वे 87 वर्ष के थे। वर्ष 1952 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ से जुड़े ताराकांत भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। इस वर्ष फरवरी में उन्होंने जद (यू) की सदस्यता ले ली थी। इनके निधन को मिथिलांचल के लिए बड़ी क्षति बताई जा रही है। झा चार अगस्त 2009 से छह मई 2012 तक विधान परिषद के सभापति रहे।
बिहार के महाधिवक्ता रहे ताराकांत झा का जन्म मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड अंतर्गत शिवनगर गांव में एक संभ्रांत बाह्मण परिवार में हुआ था। अपने पैतृक गांव को उन्होंने वे सारी सुविधाएं उपलब्ध कराईं जो एक कस्बे में होती हैं। मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल कराने में झा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पंडित झा अलग मिथिला राज्य गठन के पक्षधर थे और इसके लिए चले आंदोलनों में सक्रिय रहे।