9 मई को लंदन से छुट्टी मनाकर लौटे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नई राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। एग्जिट पोल्स में बीजेपी-एनडीए की बढ़त को अतिश्योक्तिपूर्ण करार देते हुए शरद पवार थर्ड फ्रंट को हकीकत में बदलने के लिए जयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे क्षत्रपों से फोन पर संपर्क कर रहे हैं। पवार के इस कदम को नरेंद्र मोदी को रोकने की अंतिम कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।
इधर एग्जिट पोल्स में भारी बढ़त के अनुमानों से जयललिता और एआईएडीएमके के नेता भी उत्साहित हैं। नए समीकरण पर अबतक जयललिता की ओर से कोई बयान तो नहीं आया है, लेकिन एआईएडीएमके के एक सीनियर नेता का कहना है कि अगर अच्छी सीटें मिलीं, तो थर्ड फ्रंट पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है।
एनसीपी के एक वरिष्ट नेता ने शरद पवार की इस नई रणनीति की जानकारी इकनॉमिक टाइम्स को दी। उन्होंने बताया, 'हालांकि शरद पवार यह मान रहे हैं कि चुनाव बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है, लेकिन उनकी नजर में सभी एग्जिट पोल्स अतिश्योक्तिपूर्ण हैं।'शरद पवार का मानना है कि अगर एनडीए की सीटें 230 के नीचे रह जाती हैं, तो नॉन-एनडीए दलों को लेकर सरकार बनाई जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि शरद पवार इस मामले को लेकर कांग्रेस हाई कमान से भी संपर्क साध चुके हैं। एनसीपी सूत्रों ने बताया कि फिलहाल शरद पवार ने वैसे क्षेत्रीय नेताओं से संपर्क किया है, जो चुनाव बाद अच्छी संख्या में सीटें जीत सकते हैं। इनमें एआईएडीएमके चीफ जयललिता, तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी, बीजेडी सुप्रीमो नवीन पटनायक, वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन जैसे नेता शामिल हैं।
यानी साफ है कि शरद पवार मोदी और एनडीए के खिलाफ लामबंदी कर रहे हैं। भारतीय राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले शरद पवार का पॉलिटिकल करियर भी इस बात का गवाह है कि वह ऐसी लामबंदियों में माहिर रहे हैं। यही वजह है कि शरद पवार तब भी केंद्र की राजनीति के लिए अहम रहे, जब एनसीपी को केवल 8 सीटें मिलीं।
हालांकि शरद पवार के इस कदम के ठीक अलग एनसीपी के ही सीनियर लीडर प्रफुल्ल पटेल ने सभी ऑप्शंस खुले रखने के संकेत दिए हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहा, 'हमारी पार्टी एक स्थायी सरकार देखना चाहती है। अभी रिजल्ट नहीं आए हैं, लेकिन बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।'हालांकि प्रफुल्ल पटेल भी इस सवाल को टाल गए कि एनसीपी एनडीए में शामिल होगी या नहीं। नवीन पटनायक की बीजेडी ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बीजेडी के कुछ नेताओं ने एनडीए को समर्थन देने के सवाल पर सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।