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मनमोहन का इस्तीफा, कहा-देश पहले से मजबूत

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सत्ता के शिखर पर एक दशक तक काबिज रहने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्र के नाम अपने अंतिम संबोधन में मनमोहन ने कहा कि वे भारत को 'एक दशक पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हालत में छोड़ रहे हैं।'लोकसभा चुनाव के शुक्रवार को आए नतीजों में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को बहुमत प्राप्त हुआ है और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई है। इस्तीफा सौंपने से पहले मनमोहन सिंह ने संक्षिप्त संबोधन दिया जिसका प्रसारण टीवी चैनलों से किया गया। उन्होंने देश का नेता चुनने के लिए देश का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, "बंटवारे से बेघर हुए बच्चे को प्रधानमंत्री के पद पर देश ने चुना।"उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी क्षमता से देश की सेवा की।

मनमोहन सिंह कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे हैं।  अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों साथ अंतिम बैठक आयोजित करने के बाद दोपहर के वक्त वे अपना इस्तीफा सौंपने राष्ट्रपति भवन पहुंचे। मंत्रिमंडल की बैठक में सभी मंत्रियों ने एक दशक तक देश का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में मंत्रिमंडल के सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

इससे पहले सुबह मनमोहन सिंह ने टेलीविजन पर प्रसारित विदाई भाषण में कहा, "मुझे जो कुछ भी मिला है, इस देश से ही मिला है। एक ऐसा देश जिसने बंटवारे के कारण बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे पद तक पहुंचा दिया। यह एक ऐसा कर्ज है जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता।"उन्होंने कहा कि हाल में संपन्न चुनावों ने देश की लोकतांत्रिक राजनीति के आधार को मजबूत किया है और इसका फैसला सभी के द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत एक दशक पहले की अपेक्षा हर दृष्टि से अधिक मजबूत राष्ट्र है।"

उन्होंने कहा, "मुझे भारत के भविष्य के बारे में पूरा इत्मीनान है। मुझे पक्का विश्वास है कि वह समय आ गया है, जब भारत दुनिया की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरेगा। परंपरा को आधुनिकता के साथ और विविधता को एकता के साथ मिलाते हुए हमारा देश दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है। अपने महान देश की सेवा करने का मौका मिलना मेरा सौभाग्य रहा है। मैं इससे ज्यादा कुछ और नहीं मांग सकता था।"

उन्होंने कहा, "आज, जब प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का वक्त आ गया है, मुझे अहसास है कि ईश्वर के अंतिम निर्णय से पहले, सभी चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारों के काम पर जनता की अदालत भी फैसला करती है।"आम चुनाव के नतीजों, जिसमें कांग्रेस में बुरी तरह हार हुई, पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "आपने जो फैसला दिया है, हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए। इन लोकसभा चुनावों से हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें मजबूत हुई हैं।"

उन्होंने कहा, "जैसा कि मैंने कई बार कहा है, मेरा सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है। मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से अपने महान राष्ट्र की सेवा करने की कोशिश की है।"प्रधानमंत्री ने कहा, "संप्रग के पिछले 10 साल के कार्यकाल के दौरान देश को कई सफलताएं मिलीं और बहुत सी उपलब्धियां हैं, जिन पर हमें गर्व है। आज हमारा देश हर मायने में दस साल पहले के भारत से कहीं ज्य़ादा मजबूत है। देश की सफलताओं का श्रेय मैं आप सबको देता हूं। लेकिन अभी भी हमारे देश में विकास की बहुत सी संभावनाएं हैं, जिनका फायदा उठाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।"

नई सरकार को शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा, "मेरी शुभकामना है कि आने वाली सरकार अपने काम-काज में हर तरह से सफल रहे। मैं अपने देश के लिए और भी बड़ी सफलताओं की कामना करता हूं।"

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