लोकसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होने का फैसला बिलकुल सही था। नीतीश कुमार ने शनिवार को राज्यपाल डी़ वाई़ पाटिल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया है। अब आगे रणनीति पर चर्चा के लिए जनता दल (युनाइटेड) के विधायक दल की बैठक रविवार को शाम चार बजे बुलाई गई है।
इस्तीफा सौंपने के बाद उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, "मैं बिहार में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहा था। परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने के कारण इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है।" नीतीश ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की है, इसलिए किसी भी वैकल्पिक सरकार का गठन अभी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि रविवार को पार्टी के विधायक दल की बैठक होगी और उसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होने के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा, "वह फैसला एकदम सही था। कोई फायदे के लिए गठबंधन नहीं टूटा था। वह नीतिगत और सैद्धांतिक फैसला था।"
नीतीश ने कहा कि जनादेश का सम्मान होना चाहिए। मतदाताओं ने भाजपा को जनादेश दिया है। आशा है कि चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वायदे सरकार पूरा करेगी और हमलोगों को भी अच्छे दिन आने का अनुभव होगा। उन्होंने कहा, "इस बार चुनाव विकास के मुद्दे पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप लगाकर लड़ा गया। मैंने आज तक इस तरह का चुनाव नहीं देखा था। इस चुनाव का कुछ पक्ष अच्छा नहीं है।"
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से जद (यू) को दो सीट मिली है। पिछले चुनाव में जद (यू) को 20 सीट पर विजय हासिल हुई थी। बिहार विधानसभा में जद (यू) के 115 विधायक हैं। वर्ष 2009 में जद (यू) भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, संभवत: इससे जद (यू) को हानि हुई है।