राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मनमोहन सिंह को भावभीनी विदाई दी और सिंह के नौकरशाही के दिनों से प्रधानमंत्री बनने तक के चार दशक लंबे सफर में अपने जुड़ाव का स्मरण किया। रविवार को रात्रिभोज में मुखर्जी ने कहा कि ऐसे मौकों पर बोलने का प्रचलन नहीं है लेकिन वह सामान्य चलन से हटेंगे क्योंकि वह जिस भद्र पुरूष को ‘गुड बाय’ कहने जा रहे हैं, उसने चार दशक से अधिक समय तक उनके साथ काम किया है।
मुखर्जी ने बताया कि वह सिंह से तब मिले थे, जब वह 1974 में जूनियर वित्त मंत्री बने। राष्ट्रपति ने कहा कि महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर उनकी पकड़ से वह खुश हैं। निवर्तमान कैबिनेट मंत्रियों और 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की मौजूदगी में मुखर्जी ने सिंह की सराहना की और कहा कि देश 1991 के दौरान आपके योगदान को याद रखेगा, जब आपने आर्थिक सुधारों में नया रास्ता अपनाया था। नब्बे के दशक में विकास का नया चरण आया, जब भारत ने विकास दर के मामले में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
मुखर्जी ने ही अस्सी के दशक में सिंह की भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्ति की थी। मुखर्जी ने सिंह की सलाह लेने और विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के दौरान मिले समर्थन के मामले में खुद को भाग्यशाली बताया। सिंह ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस मौके पर यदि वह भावुक हो जाएं तो उन्हें क्षमा कर दिया जाए। सिंह ने मुखर्जी के साथ अपनी लंबी मित्रता का जिक्र किया। सिंह ने कहा कि उन्होंने योजना आयोग में सदस्य सचिव के रूप में और फिर आरबीआई गवर्नर के रूप में मुखर्जी के साथ काम किया। राष्ट्रपति संप्रग में अत्यंत महत्वपूर्ण सहयोगी रहे और सबसे अनुभवी एवं वरिष्ठ मंत्री के रूप में बोझ बांट लेते थे।
निवर्तमान सरकार के सदस्यों को राष्ट्रपति के यहां पंजाबी कड़ी पकौड़ा से लेकर, गलावटी कबाब, मुर्ग निहारी, मछली के व्यंजन, अंजीर के कोफ्ते और पनीर पसंदा जैसे व्यंजन परोसे गये।