शिमला, 18 मई (विजयेन्दर शर्मा) । हिमाचल प्रदेश में चुनाव नतीजे सामने आते ही सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में जहां मतभेद सामने आ गये हैं, वहीं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कुर्सी भी खतरे में पड़ गई है। कांग्रेस के भीतर वीरभद्र सिंह को लेकर पहले ही अंसतोष है। लेकिन नतीजों ने विरोधी खेमे को सक्रिय कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर लोग इस हार के लिये वीरभद्र सिंह को ही दोषी मान रहे हैं। व उन पर इस्तीफा देने के लिये दवाब बनने लगा है। वहीं नये सी एम के लिये भी कांग्रेस के अंदर लाबिंग तेज हो गई है। एक आला कांग्रेस नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि जब आसाम के मुख्यमंत्री हार की जिम्मेवारी ले सकते हैं तो हिमाचल की हार के लिये वीरभद्र सिंह को भी जिम्मेवारी लेनी चाहिये। आरोप लगाया जा रहा है कि भले ही वीरभद्र सिंह ने पार्टी हाईकमान पर दवाब डालकर प्रदेष की चारों लोकसभा सीटों के अतिरिक्त सुजानपुर विधानसभा के उप-चुनाव में अपनी पसन्द के उम्मीदवारों को टिकट दिलाकर यह एहसास दिलाने का प्रयास किया हो कि चाहे सरकार हो या संगठन, कांग्रेस पार्टी में केवल वे ही सर्वेसर्वा हैं, लेकिन चुनावी नतीजों ने जमीनी हकीकत दिखा दी है।
पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविन्दर सिंह शुरू से ही कहते रहे कि हमीरपुर से पार्टी से जुड़े किसी कार्यकर्ता करो ही टिकट मिले। लेकिन वीरभद्र सिंह के दवाब की राजनिति के आगे उनकी बात अनसुनी हो गई। व चंद दिन पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में आये राजेन्दर राणा को कांग्रेस ने टिकट थमा दिया। यहीं बस नहीं उनकी पत्नी को सुजानपुर से विधानसभा चुनाव क्षेत्र से मैदान में उतारा गया। दलील दी जा रही है कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्यमान थे जिन्होंने अपने होश सम्भालने से लेकर इस पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है और जाहिर सी बात है कि उन्हें भी पार्टी का टिकट दिया जा सकता था लेकिन वीरभद्र सिंह की स्वार्थपरक राजनीति और अहम ने उन नेताओं को अनदेखा करके ऐसे व्यक्ति और उसकी पत्नी को टिकट दिलाकर संगठन को तो कमजोर किया ही साथ ही हमीरपुर जैसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को एक ग्रहण लगाने पर भी मजबूर कर दिया । इन टिकटों के आबंटन से जिस प्रकार संगठन से जुड़े नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को जिस प्रकार से आघात पहुॅचा है उससे लगता है कि ना केवल हमीरपुर अपितु पूरे प्रदेष में वीरभद्र सिंह की हठधर्मिता के कारण पार्टी को नुकसान पहुंचा ।
यही हाल कांगड़ा में चंदर कुमार व शिमला से मोहन लाल ब्राकटा को मैदान में उतारने को लेकर था। मंडी से पहले ही वीरभद्र सिंह की पत्नी मैदान में उतार दी गई। पूरे चुनाव अभियान में वीरभद्र सिंह ने संगठन की पूरी तरह अनदेखी की। पार्टी अध्यक्ष को कई जगह दरकिनार किया गया। चुनाव नतीजे सामने आते ही अब वीरभद्र सिंह विरोधी लाबी सक्रिय हो गई है। मिली जानकारी के मुताबिक अगले एक दो दिनों में कांग्रेस के विधायक दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविन्दर सिंह के अलावा राज्यसभा सांसद विप्लव ठाकुर , बनीखेत से कांग्रेस विधायक, आशा कुमारी समेत सत्तारूढ़ दल के करीब अठारह विधायक बगावत पर उतर आये हैं। जो अपना दो टूक फैसला पार्टी आलाकमान को सुनाने जा रहे हैं। कि वीरभद्र सिंह को बदलो नहीं तो हम चले।