प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि देश के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों को सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए एक साथ कार्य करना चाहिए। सांप्रदायिक सौहार्द में बाधा आने से हमारे देश की छवि खराब होती है। राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के विपरीत कार्य करते हुए धर्मनिरपेक्षता को नए सिरे से परिभाषित करने के प्रति चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों को सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए एक साथ काम करना होगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण है, लेकिन ऐसी भी घटनाएं हुई हैं जिनके कारण दोनों समुदायों के संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे हमारे देश और समाज की छवि खराब होती है। इससे प्रभावित लोगों को दर्द और दुख का सामना करना पड़ता है। पिछले वर्ष मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा में अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसके कारण हजारों लोग बेघर हुए।
भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मूल आधार बहुलवाद को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल सहिष्णुता नहीं वरन सांप्रदायिक सौहार्द भारतीय धर्मनिरपेक्षता की बनियाद है। मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने कई संस्थाओं की स्थापना की है जिससे अल्पसंख्यकों को न केवल पर्याप्त सुरक्षा हासिल हो वरन उनको विकास में भी बराबर का अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि 17 राज्यों में अल्पसंख्यक अयोग अस्तित्व में हैं और अन्य राज्यों में भी उनकी स्थापना करने की योजना है।