सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा की चल और अचल संपत्तियों के इस्तेमाल पर लगी रोक को हटा लिया है, ताकि 10 हजार करोड़ की बकाया राशि निवेशकों को चुकता की जा सके। इसके लिए सहारा ने सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया है। अदालत के इस फैसले से निवेशकों की अधिकांश बकाया राशि का भुगतान हो सकेगा। सहारा के वकील सुदीप सेठ ने कंपनी की तरफ से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सहारा के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल और भारत में संपत्तियों की बिक्री के लिए क्लियरेंस दे दिया है। इसके लिए हम अदालत का आभार व्यक्त करते हैं।
बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश टीएस ठाकुर और एके सीकरी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि बिक्री से जो भी रकम आएगी, वह एक नियामक द्वारा खोले गए बैंक अकाउंट में जमा की जाएगी। इस फैसले के तुरंत बाद सहारा के वकील ने अदालत से मांग की कि सुब्रत रॉय को उनकी बीमार मां की देखभाल के लिए 5 दिन की पेरोल दी जाए। इस बारे में अदालत ने कहा कि वे इसके लिए एक आवेदन दायर करें, जिसपर निर्णय नियामक की मंजूरी के बाद ही मिलेगी।
सहारा के वकील सेठ ने कहा, हमें भारत की न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है। 37 सालों के दौरान हमें अपनी मेरिट के कारण ही न्याय मिला है। हम इस बात से आश्वस्त हैं कि भारतीय न्याय व्यवस्था कभी गलत निर्णय नहीं दे सकती। उन्होंने कहा, नवंबर 2013 से ही कंपनी के तमाम बैंक खाते, चल और अचल संपत्ति के किसी भी तरह से इस्तेमाल पर सर्वोच्च न्यायालय और सेबी ने प्रतिबंध लगा रखा था।
यही कारण था कि इस दौरान सहारा 100 करोड़ रुपये की रकम भी मार्केट में उगाहने में सक्षम नहीं था। अब सवाल यह उठता है कि बिना प्रतिबंध उठाए सुब्रत रॉय की जमानत के लिए आखिर कैसे वह जमानती आदेश दिया गया, जिसमें 5000 करोड़ की बैंक गारंटी और 5000 करोड़ रुपये नकद देने का प्रावधान था।