राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा हिमाचल सरकार को सामूहिक दुष्कर्म की एक पीड़िता को आर्थिक राहत के निर्देश का मामला विवादों में आ गया है। हिमाचल सरकार ने कहा है कि घटना के समय आरोपी तीनों पुलिसकर्मी ड्यूटी पर नहीं थे, इसलिए राहत का कोई सवाल पैदा नहीं होता। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने हिमाचल सरकार को पीड़िता को 3 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया था। हालांकि मामला अभी अदालत में है। आयोग ने गुरुवार को मुख्य सचिव को छह सप्ताह के अंदर भुगतान का प्रमाण भी पेश करने को कहा है।
आयोग ने उस शिकायत पर संज्ञान लिया, जिसमें आरोप था कि मंडी टाउन इलाके में 1 जुलाई, 2013 को तीन पुलिसकर्मियों ने एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। मंडी जिले के जोगिंदरनगर की रहने वाली महिला किसी काम से मंडी गई थी। वहीं आरोपियों में से एक महिला को फुसलाकर पुलिस स्टेशन स्थित अपने घर ले गया, जहां तीनों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
जबकि राज्य सरकार ने दावा किया है कि वारदात के समय तीनों पुलिसकर्मी छुट्टी पर थे। तीनों में से किसी ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल नहीं किया और यह घटना पुलिस स्टेशन परिसर में नहीं हुआ है। इसलिए सरकार इस मामले में कोई आर्थिक मदद नहीं दे सकती।
हालांकि एनएचआरसी ने कहा है कि जांच में यह सामने आया है कि घटना के समय एक आरोपी पुलिसकर्मी ड्यूटी पर था और शराब के नशे में था। आयोग के अनुसार, तीनों पुलिसकर्मियों का चरित्र एक लोकसेवक होने के नाते अशोभनीय है और उन्होंने पीड़िता के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। इसलिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आर्थिक मदद की सिफारिश की थी।