केंद्र सरकार नक्सलवाद से निपटने के लिए मौजूदा रणनीति में बदलाव करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलवाद के मुद्दे पर केंद्रीय पुलिस बल के प्रमुखों के साथ बैठक की और नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए नई रणनीति पर चर्चा की।
बैठक के दौरान सरकार के नक्सल मैनेजमेंट डिविजन के नाम को बदलकर लेफ्ट विंग एक्सट्रिमिज्म डिविजन करने का प्रस्ताव दिया गया है। इस बारे में जल्द अधिसूचना जारी की जा सकती है। नई सरकार नक्सलवाद को लेकर काफी गंभीर है और पिछली सरकार की नीतियों में बदलाव कर रही है, जिससे नक्सलियों से सख्ती से निपटा जा सके। नई रणनीति के तहत माओवादी हिंसा प्रभावित इलाकों में काम करने वाले नौकरशाहों और सुरक्षाकर्मियों को अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद विशेष आर्थिक लाभ, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और पसंद की पोस्टिंग आदि दिए जा सकते हैं।
देश में नक्सल हिंसा प्रभावित इलाकों को 'सबसे खतरनाक इलाके'मानते हुए सरकार इन इलाकों में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवानों का 'हार्डशिप भत्ता'बढ़ाएगी। ये भत्ता जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कार्य करने के दौरान मिलने वाले भत्ते से अधिक होगा। फिलहाल जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कार्य करने वाले अर्द्धसैनिक बलों के एक कांस्टेबल को इस समय सामान्य वेतन और भत्तों के अलावा लगभग 8,000 रुपये मासिक अतिरिक्त मिलते हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि माओवादी हिंसा की समस्या को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बुलाई गई बैठक के दौरान इस बारे में चर्चा की गई। इन प्रोत्साहनों का मकसद प्रतिभाशाली आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को नक्सल हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने के लिए तैयार करना है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चूंकि नक्सल बेहद सीमित शब्द है, इसलिए नई सरकार इसे काफी बड़ा नाम देना चाहती है।