कम बारिश और देश भर के पावर प्लांट में कोयले की कमी से उत्तर भारत में बिजली संकट गहरा सकता है. ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 21 पावर प्लांट में चार दिन से भी कम का कोयला बचा है. अन्य 15 पावर प्लांट के पास भी 7 दिन से कम का कोयला है. ये पावर प्लांट करीब 55,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं,जो देश के कुल ऊर्जा उत्पादन का 20 फीसदी है. इन पावर प्लांट में से 6 एनटीपीसी के हैं जो दिल्ली समेत उत्तर भारत को बिजली सप्लाई करते हैं. इन पावर प्लांट के पास कोयला ही नहीं बचा है. ये न्यूनतम कोयला आपूर्ति के आधार पर बिजली पैदा कर रहे हैं.
अधिकारी उत्तरी ग्रिड से यूपी और हरियाणा को हो रही सप्लाई पर नजर रखे हुए हैं ताकि अगस्त 2012 जैसे हालात पैदा न हों. अगस्त 2012 में उत्तरी ग्रिड के फेल होने के कारण उत्तर और पूर्वी भारत के 600 मिलियन लोग 24 घंटे तक अंधेरे में रहे थे. बारिश में देरी,पावर प्लांट को कोयले की कम आपूर्ति और बेहतर ग्रिड प्रबंधन से डील के लिए केन्द्रीय ऊर्जा सचिव पीके सिन्हा ने गुरूवार को बैठक बुलाई है ताकि आकस्मिक प्लान तैयार किया जा सके.
गौरतलब है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने दिल्ली में बिजट संकट अगले कुछ दिन में दूर हो जाने का भरोसा दिलाया है. सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश उत्तरी ग्रिड से तय मानक से अधिक बिजली ले रहा है,जिसके चलते ग्रिड पर दबाव बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश प्रतिदिन 6400 मेगावाट बिजली ले सकता है लेकिन उसने बुधवार को 300-500 मेगावाट ज्यादा बिजली ली. इससे उत्तरी ग्रिड के फेल होने का संकट बढ़ गया है.