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इंसेफलाइटिस से बिहार में लीची की बिक्री प्रभावित


बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में घातक वायरस की पहचान के लिए शाही लीची के नमूने विशेषज्ञों द्वारा इक्कट्ठे किए जाने की खबर से तीन दिनों में इस फल के व्यवसाय पर असर पड़ा है। इस वायरस ने अब तक 70 से अधिक बच्चों की जान ले ली है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का शाही लीची से संबंध होने की खबर से इसकी बिक्री और निर्यात में कमी आई है, जिससे शाही लीची के निर्यातक और व्यापारी चिंतित नजर आ रहे हैं।

लिचिका इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक के.पी.ठाकुर ने शनिवार को बताया, "एईएस के इस मीठे और रसीले फल से संबंध होने की खबर आने के बाद से हमने लीची की बिक्री में गत तीन दिनों में करीब 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की है।"ठाकुर ने कहा कि उनकी कंपनी मुजफ्फरपुर से देश के दक्षिणी हिस्से में लीची की आपूर्ति करती है। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि एईएस के डर से थोक विक्रेताओं ने इसकी मांग कम कर दी है।"

लीची व्यापारी आर.के. केडिया ने कहा कि देशभर के निर्यातकों ने मुजफ्फरपुर में एईएस के वायरस के लीची में पाए जाने की खबर से इसकी मांग कम कर दी है। ठाकुर के विपरीत केडिया को इसमें लीची उत्पादकों के खिलाफ षड्यंत्र नजर आता है। दक्षिणी राज्यों में आम का स्वाद लीची के मुकाबले अच्छा नहीं होता है। 

उन्होंने कहा, "मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के लोग लीची खाना पसंद करते हैं। इसलिए आम उत्पादकों ने लीची को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र रचा है।"कई दशकों से लीची का निर्यात कर रही चांदी राम एंड सन्स के हरेश प्रसंदानी ने कहा कि एईएस के लीची से जुड़े होने की खबर ने हाल के दिनों में मांग को बुरी तरह प्रभावित किया है। 

सप्ताह की शुरुआत में राजेंद्र मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की छह सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे प्रभात कुमार सिन्हा ने प्रभावित इलाके के बाग से वायरस की जांच करने के लिए लीची के नमूने इक्कट्ठे किए थे। यह कदम एईएस से बच्चों की मौत पर हो रहे हंगामे को देखते हुए उठाए गए हैं।

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