दानापुर। सूबे के अधिकारी आश्वासन देते और दबंग जमीन पर कब्जा करके लेते हैं। कुछ इसी तरह हुआ। राजधानी से सटे दानापुर प्रखंड का मामला है। यहां से पदभार संभालने के बाद तेजतर्रार अफसर बाद में सूबे की बागडौर संभालते है। ऐसे ही अधिकारियों को वर्तमान ‘मांझी’ सरकार ने इधर से उधर करके शासकीय कार्य को अंजाम तक पहुंचाने वाला बनाए हैं। वर्तमान सरकार के खेवनहार बने सरकारी अधिकारी को चुनौती मिली है कि 26 सालों से फंसी नाव को बाहर निकाली है। अब देखना है कि खेवनहार अधिकारी सफल होते अथवा नाकामयाब होते हैं! हुजूर, अभी हमलोगों के एक हाथ में परवाना/पर्चा है। तो दूसरे हाथ में जमीन दे दें।
क्या है माजराः पटना जिले के दानापुर अंचल के जलालपुर ग्राम में 17 महादलित मुसहर समुदाय को एकड़ 0.02 डिसमिल गैरमजरूआ मालिक की जमीन बन्दोबस्ती केस न0 13 वर्ष 1987.88 के तहत की गयी। जिला कार्यालय, पटना, राजस्व शाखा के द्वारा औपबंधिक परवाना दिया गया है। महादलित मुसहर समुदाय के लोग निर्गत परवाना के आलोक में ग्राम जलालपुर, थाना न0 22,खाता न0 149,खेसरा न0 274,291 और एराजी 0.02 डिसमिल पर जाकर कब्जा करना चाहा। जब महादलित दिन में झोपड़ी बनाकर रात में अन्य ठिकाने पर रहने गये तो जलालपुर के दबंगों ने झोपड़ी में आग लगाकर आंतक का माहौल बना दिये कि जो कोई भी इस जमीन पर रहने आएगा उसे मौत के घाट उतार देंगे। इनका अत्याचार बढ़ गया। जब कभी भी महादलित उक्त जमीन से गुजरते तो दबंग बांस लेकर खदेड़कर ही दम लेते। इससे हम लोग आज भी सहमे हैं। इसके बाद भी महादलित मालगुजारी दे रहे हैं।
दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी 27 फरवरी को आश्वासन दिएःएकता परिषद के बैनर तले दानापुर अनुमंडल के आवासहीनों की रैली 27 फरवरी,2013 को निकाली गयी। मुख्यमार्ग से गुजरकर प्रखंड कार्यालय में गयी। उस समय लोगों के बीच सीओ कुमार कुंदन लाल आए। जमकर आश्वासन दिए। आश्वासन को साबित करने के लिए अभिमन्यु नगर भी गए। सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी, मरच्छिया देवी, रामचन्द्र मांझी आदि उपस्थित थे। भरोसा दिलाया कि आप लोगों की समस्या का समाधान कर देंगे। एक बार नहीं दो बार गए। कह गए कि जलजमाव खत्म होने के बाद पर्चाधारियों को जमीन पर कब्जा दिलवा देंगे। ऐसा लग रहा था कि सीओ साहब जरूर ही महादलितों के पक्ष में कारगर कदम उठाएंगे। आखिरकार महीने दो महीने के बाद गड्ढे का पानी सूख गया। इस बीच चुनाव कार्य में व्यस्त हो गए। इसी बहाने सीओ साहब अपने दिए गए वादे से मुकरने लगे। उनकी सुस्ती को देकर दबंग चुस्ती से अपने मकान के आगे बड़ा-चढ़ाकर चहारदीवारी खड़ा कर दिए।जब इतने से संतुष्ट नहीं हुए तो ईंट से राह भी बना लिए। इस अवैध कार्य करने वाले महानुभाव से प्रोत्साहित होकर लोभी लोग खेती भी करने पर उतारू है। हुजूर, अब भी ध्यान नहीं देंगे तो महादलितों की जमीन मिट्टी के भाव में चले जाएगा। जत्तन से कागजात रखे हैं। अब कागजात पीलापन भी हो गया है। बस किसी तरह से कागजात को बचाया रखा जा रहा है।
मुसहर समुदाय के लोग अनुमंडलाधिकारी महोदय पर आशा लगाएं बैठे हैंःजब मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बनेः पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में महादलितों को पर्चा मिला। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीष कुमार के कार्यकाल में पर्चाधारियों ने रैली निकालकर जमीन पर कब्जा दिलवाने की मांग की। अब सहजातीय मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आगमन पर मुसहर समुदाय सक्रिय हुए हैं। अब देखना है कि वर्तमान ‘मांझी’ सरकार के जमाने में खेवनहार बने सरकारी अधिकारी 26 सालों से फंस गयी नाव को निकालने में सफल हो पाते है! हुजूर एक हाथ में परवाना/पर्चा है। दूसरे हाथ में जमीन भी दे दें।
आलोक कुमार
बिहार