संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून के विशेष सलाहकारों ने कहा है कि आईएसआईएल जैसे सशस्त्र समूहों और आतंकियों द्वारा इराकी नागरिकों पर किए जा रहे हमलों को युद्ध अपराध माना जा सकता है और उस देश में इस संकट से निपटने के लिए बनाई जाने वाली किसी भी रणनीति का प्रमुख फोकस नागरिकों की सुरक्षा होना चाहिए।
‘जनसंहार रोक’ के लिए महासचिव की विशेष सलाहकार एडेमा डिएंग और ‘सुरक्षा की जिम्मेदारी’ पर विशेष सलाहाकार जेनिफर वेल्श ने इराक के हालात और उसकी जनता पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई। इराक के भीतर और सीमा के परे व्यापक स्तर पर गुटीय हिंसा की संभावना के बारे में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख की चेतावनी को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए बनाई जाने वाली किसी भी रणनीति का मुख्य फोकस नागरिकों की सुरक्षा होना चाहिए।’
विशेष सलाहकारों ने नागरिकों के खिलाफ और उन लोगों के खिलाफ हमलों की कड़ी निंदा की जो लोग वैमनस्य या शत्रुता में सक्रिय तौर पर शामिल नहीं हैं। इन हमलों में आतंकियों और ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लैवेंट’ जैसे सशस्त्र समूहों के हमले भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय नियम का उल्लंघन हैं और इन्हें युद्ध अपराध माना जा सकता है।’ उन्होंने ‘हिंसा और विवाद की रणनीतियों को हटाने के लिए, जारी हिंसा के बीच सांप्रदायिक प्रतिहिंसा को रोकने के सभी संभव प्रयास करने के लिए और विविधता के लिए सम्मान सुनिश्चित करने के लिए’ इस संकट से जुड़े सभी पक्षों और इराक के राजनैतिक, सैन्य, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं से अपील की।
उन्होंने धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी विशेष चिंता जाहिर की। उन्होंने यह भी कहा कि आईएसआईएल के नेतृत्व में घुसपैठ के बाद इसाई समुदाय के लोग उत्तरी शहर मोसुल को छोड़ कर जा रहे हैं। डिएंग और वेल्श ने मानवीय मदद की आपूर्ति में सहयोग की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपील को दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंद लोगों को मदद सुनिश्चित करवाने के लिए सरकार और इराकी नेताओं को इराक में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन के साथ काम करना चाहिए।