मौसम की निगरानी के लिए सुरकण्डा देवी मंदिर के पास लगेगा डाप्लर रडार
देहरादून, 15 जुलाई,(निस)। राजधानी के नजदीक धनोल्टी के पास जनपद टिहरी के अन्तर्गत सुरकण्डा देवी मन्दिर क्षेेत्र में 2753 मीटर ऊंचाई पर स्थित मंदिर के पश्चिम दिशा में उपलब्ध लगभग 750 वर्ग मीटर वृक्ष विहीन क्षेत्र में भारतीय मौसम विभाग के सहयोग से डाप्लर रडार लगाया जाएगा। डाॅप्लर रडार लगाये जाने हेतु उक्त भूमि को वन विभाग से आपदा प्रबन्धन विभाग को हस्तान्तरित किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव एवं उच्चधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के अन्तर्गत विश्व बैंक वित्त पोषित उत्तराखण्ड आपदा रिकवरी परियोजना हेतु गठित उच्चधिकार प्राप्त की बैठक में सम्यक विचारोपरान्त यह निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा यह भूमि डाॅप्लर रडार लगाये जाने हेतु भारतीय मौसम विभाग को उपलब्ध कराई जायेगी। भारतीय मौसम विभाग द्वारा उक्त भूमि का प्रयोग मौसम पूर्व की जानकारी उपलब्ध कराये जाने हेतु सी-बैण्ड डाॅपलर रडार लगाये जाने में किया जायेगा।
28 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते आचार संहिता लगी
देहरादून, 15 जुलाई,(निस)। राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में सम्पन्न त्रिरस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2014 के पश्चात रिक्त रहे गये पदों व स्थानों पर निर्वाचन हेतु आदर्श आचरण संहिता प्रभावी कर दी गई है। यह जानकारी देते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन ने बताया है कि हाल ही में प्रदेश में सम्पन्न हुए त्रिरस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2014 के पश्चात कुछ ग्राम पंचायतों के सदस्य ग्राम पंचायत तथा प्रधानों के पदांे तथा स्थानों के निर्वाचन न होने कारण अथवा अन्य कारणों से रिक्त रहे गये ऐसे सभी रिक्त स्थानों व पदों पर निर्वाचन हेतु आदर्श आचरण संहिता प्रभावी की गई है, जो मतगणना समाप्ति की तिथि दिनांक 28 जुलाई, 2014 तक प्रभावी रहेगी।
पर्यावरणविद पद्मश्री चण्डी प्रसाद भट्ट को गांधी शांति पुरस्कार पर जतायी खुशी
देहरादून, 15 जुलाई,(निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्मश्री चण्डी प्रसाद भट्ट को वर्ष 2013 का गांधी शान्ति पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक प्रसन्नता जाहिर की है। अपने सन्देश में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि श्री भट्ट को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किये जाने से उत्तराखण्ड का भी सम्मान बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री भट्ट को उनके द्वारा पर्यावरण व समाज सेवा से क्षेत्र में किये गये सराहनीय सेवाओ ंके लिये पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मनित किया गया है जो प्रदेश के लिये निसन्देह गौरव की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को भी इससे बल मिलेगा।
माकपा (माले) ने कांग्रेस को समर्थन देने पर जताया आक्रोश
देहरादून, 15 जुलाई,(निस)। उत्तराखण्ड राज्य के उपचुनाव में उत्तराखण्ड क्रांति दल के अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी द्वारा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को सर्मथन देकर अपने स्वार्थ की राजनीति से उत्तराखण्ड राज्य के आन्दोलनकारियों व 42 शहीदों का घोर अपमान है, और मां बहिनों के साथ मुज्जफर नगर काण्ड जैसी घटना क्यों करवायी गयी। जिस व्यक्ति ने पूर्व में भाजपा व कांग्रेस सरकारों के विरूद्ध उत्तराखण्ड के जल, जमीन, जंगल व रोजगार की मांग को लेकर राज्य की लड़ाई लड़ी थी, उन्हीं लोगों के साथ उक्रंाद को हाथ मिलाना दुर्भाग्य का विषय है। माकपा (माले) ने आरोप लगाया है कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र में नौकरी के नाम से सिडकुलों में 70 प्रतिशत सीटों में बेरोजगार पहाड़ के नहीं रखे गये है, लगभग पूरे बाहर के भरे गये है, पहाड़ी बच्चे आज भी रोजगार के नाम से होटलों के बर्तन मजने को मजबूर हो रहे है। पहाड़ी क्षेत्र में डाक्टर, अध्यापक व अन्य पदों पर कर्मचारी नहीं है ब्लाॅक कैडर लागू कर भाजपा कांग्रेस नौकरी क्यों नहीं दे रही है। खनन सिर्फ गरीब व सामान्य जनता के लिए शासनादेश है और विधायक बनकर सरकारी पदांे पर अधिकारियों की मनमर्जी तैनाती कर शासनादेश की धज्ज्यिां उड़ाकार अपना धन्धा जोरों पर चला रखा है, और पहाड़ी गरीब जनता की दिनों-दिन गाडि़यां सीज कर अधिकारियों ने अपना राज चला रखा है। जबकि राज्य बने 14 वर्ष हो गये हैं, आज तक खनन नीति नहीं लागू की गयी है। उत्तराखण्ड की सीधी सादी जनता को उत्तराखण्ड राज्य के नाम से राजनीति कर उ0क्रा0द0 को भाजपा व कांग्रेस के साथ सरकार बनाना व मुख्यमंत्री के चुनाव प्रचार कर माननीय काशी सिंह ऐरी के कदमों का उत्तराखण्ड के शहीदों व आन्दोलनकारियों का घोर अपमान है जिसे उत्तराखण्ड का आन्दोलनकारी कभी भी माफ नहीं करेगा । उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों को भाजपा व कांग्रेस सरकार द्वारा मनमर्जी से उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों का शासनादेश की धज्जियां उड़ा कर आन्दोलनकारियों को हर सुविधा से वंचित कर अपने चहेतों को उसकी सुविधा दिला रखी है जो उत्तराखण्ड के असली आन्दोलनकारी आज तक भटक रहे हैं । नेता अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी हाथ मिलाने में हिचक नहीं रहे हैं । ऊर्जा प्रदेश के नाम से उत्तराखण्ड की बिजली रू 1.20 प्रति यूनिट से बेच रही है । उत्तराखण्ड की जनता से शहरी क्षेत्र में रू0 4.70 प्रति यूनिट तथा रू0 70 अधिभार तथा ग्रामीण क्षेत्र के लिए रू0 2.40 प्रति यूनिट व रू0 50 अधिभार वसूला जा रहा है, व उत्तराखण्ड राज्य का 12.50 प्रतिशत अधिकार है जबकि गुजरात, पंजाब आदि की तर्ज पर उत्तराखण्ड का भी पूर्ण अधिकार होना चाहिए था। जब धारचूला एन0एच0पी0सी0 से 280 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है तो जनता को निःशुल्क बिजली क्यों नहीं दी जा रही है । बिजली विभाग गरीब जनता से ‘कुटीर ज्योति’ योजनान्तर्गत शासनादेश के विरूद्ध पैसा वसूला जा रहा है । इसके लिए मैं स्वयं लोकायुक्त न्यायालय में 30 वर्ष से लड़ाई लड़ रहा हूं ।
सरकार की खनन के खेल पर लगाम लगान की तैयारी
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। खनन को लेकर आरोपांे में घिर रही सरकार को बदनामी के डर से बचाने का मोर्चा प्रदेश की वरिष्ठ मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने अपने हाथों में ली है। मुख्यमंत्री हरीश रावत के अस्पताल में होने के कारण उन्हांेने यह मोर्चा संभाला है। राज्य में खनन के खेल पर संख्ती बरतने के आदेश उन्होंने हरिद्वार और उधमसिंहनगर जिलाधिकारियांे को दिए है। हालांकि प्रदेश में अवैध खनन पर नकेल के लिए बनायी गयी मुठ्ठी भर माइनिंग विजिलेंस सेल ने मात्रा 7 माह के अन्दर प्रदेश भर में खनन माफियाओं की नाक में नकेल डालकर सरकार को करोड़ों रूपया राजस्व के रूप में दिया है लेकिन सरकार माइनिंग विजिलेंस सेल को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सेल को आज तक आजादी के साथ अपना काम करने के लिए एक कार्यालय तक मुहैया नहीं कराया गया और अब लगातार जिस तरह से सरकार की माइनिंग विजिलेंस सेल पर टेढ़ी नजर हो रखी है उससे सरकार भी सवालों के घेरे में आनी शुरू हो गयी है? पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य में हो रहे अवैध खनन पर मचे बबाल को देखते हुए प्रदेश में अवैध खनन रोकने के लिए माइनिंग विजिलेंस सेल का गठन किया था। इस टीम का नेतृत्व डीआईजी संजय गुंज्याल के हाथों में सौंपा गया था और उनकी टीम में मात्रा 18 लोगों को शामिल किया गया था। इस टीम को 30 प्रतिशत अतिरिक्त भत्ता देने का भी ऐलान सरकार ने किया था लेकिन 7 माह बाद भी सरकार ने माइनिंग विजिलेंस सेल टीम को आज तक यह भत्ता देने की पहल नहीं की जिससे सरकार पर भीसवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस माइनिंग विजिलेंस सेल के कर्मचारी रातदिन जान हथेली पर लेकर खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने का दम दिखा रहे हैं उन्हें सरकार ने आज तक एक कार्यालय तक उपलब्ध नहीं कराया और माइनिंग विजिलेंस सेल का कार्यालय पुलिस मुख्यालय के खुले आंगन में चलता आ रहा है। राज्य भर में खनन माफियाओं पर नकेल लगाने वाली माइनिंग विजिलेंस सेल की पीठ थपथपाने के बजाये सरकार उसे ही क्यों गुर्राने में लगी हुई है यह राज्य की जनता की समझ में भी नहीं आ रहा है क्योंकि माइनिंग विजिलेंस सेल ने अब तक कई दर्जन पौकलैंड व जेसीबी मशीनों के साथ साथ कई स्टोन क्रेशर भी अवैध खनन को लेकर सील किये लेकिन सरकार ने खनन माफियाओं के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही करने का आज तक दम दिखाने का साहस नहीं किया? माइनिंग विजिलेंस सेल को सरकार मजबूत करने के लिए आजतक क्यों अपने कदम आगे नहीं बढ़ा पायी यह उसकी मंशा पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है? बता दें कि माइनिंग विजिलेंस सेल में सिर्फ राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में ही टीम को कहीं भी छापा मारने का अधिकार है और इस टीम में सिर्फ डीआईजी ही राजपत्रित अधिकारी हैं और सरकार हमेशा उन्हें किसी न किसी मिशन पर लगाये रखती है जिससे खनन माफियाओं पर नकेल लगाने में माइनिंग विजिलेंस सेल आगे नहीं बढ़ सकती। सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार माइनिंग विजिलेंस सेल में किसी सीओ की तैनाती क्यों नही कर रही है जिसके चलते माइनिंग विजिलेंस सेल इस अधिकारी के नेतृत्व में कहीं भी खनन माफियाओं पर बड़ी कार्यवाही कर सके । खनन माफियाओं के सिंडीकेट पर लगातार नकेल लगाने वाली माइनिंग विजिलेंस सेल आखिरकार कुछ समय से क्यों सरकार के निशाने पर है इसको लेकर राज्य में चर्चाओं का बाजार गर्म हो रखा है कि क्या सरकार माइनिंग विजिलेंस सेल को समाप्त करने के लिए एक रणनीति के तहत ताना-बाना बुन रही है जिसके चलते खनन माफियाओं का सिंडीकेट अपने काले कारोबार को अंजाम देने में सफल होता रहे।
प्रदेश में चल रहे अवैध खनन में सरकार संलिप्त:- अजय भट्ट
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय भट्ट ने कहा कि प्रदेश में चल रहे अवैध खनन में सरकार पूरी तरह से संलिप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद लगातार यहाॅ भू-माफियाओं और अवैध खनन कारोबारियों की बाढ़ सी आ गयी है। उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में विधानसभा सत्र में अवैध खनन की उच्च स्तरीय जाॅच की मांग उठायी थी। श्री भट्ट ने कहा कि अवैध खनन के विरोध में खनन माफियाओं द्वारा ग्रामीणों पर हमले किये जा रहे हैं और सरकार आॅखें मूंदकर तमाशा देख रही है। सरकार कार्यवाही करे भी तो कैसे आखिर पूरे अवैध खनन कारोबार में सरकार के सफेदपोश लोग जो शामिल हैं। श्री भट्ट ने कहा कि खनन कारोबारियों द्वारा ग्रामीणों पर हमला करने के बाद भी सरकार की चुप्पी समझ में नही आती। आखिर सरकार इन लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रही है। सरकार के हाथ पर हाथ धरे रहने से खनन माफियाओं को शह प्रदान करने की पुष्टि होती है। श्री भट्ट ने कहा कि जहाॅ प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली में एम्स से स्वास्थ्य लाभ लेते हुए राजनीतिक श्रेय लेने के उद्देश्य से आये दिन नये-नये मुद्दों पर केन्द्र सरकार को पत्र तो लिखे जा रहे हैं किन्तु अवैध खनन पर वह चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अवैध खनन कारोबारियों पर कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में आखिर मुख्यमंत्री द्वारा निर्देश क्यों नहीं जारी किये जा रहे हैं। श्री भट्ट ने कहा कि अवैध खनन कारोबारियों द्वारा ग्रामीणों पर पथराव कर उन पर जानलेवा हमला किया गया किन्तु सरकार द्वारा खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी। सरकार द्वारा एक ओर पूर्व में अवैध खनन के खिलाफ जाॅच एजेन्सियाॅ मुस्तैद किये जाने की बात कही जा रही थी लेकिन आज चारों ओर प्रदेश में सरकार की शह पर ही खनन का अवैध कारोबार इस कदर चरम पर है कि खनन माफियाओं द्वारा प्रदेश में दहशत का माहौल उत्पन्न कर दिया गया है। श्री भट्ट ने कहा कि आज प्रदेश की दुर्गति हो गयी है हल्की बारिश से ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से बाधित होने से सरकार के चार धाम यात्रा की बड़े-बड़े धरे के धरे रह गये हैं। आज प्रदेश को देखने वाला कोई नहीं है, जितने भी पुल आपदाग्रस्त क्षेत्रों में बनाये जा रहे थे, वह सभी एक-एक करके टूटते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा जब निर्माण एजेंसी पर कार्यवाही की तो सरकार ने उन्हें ही पद से हटा दिया, इससे यह स्पष्ट है कि सरकार भी इन एजेंसियों के साथ मिलीभगत है। सरकार एक ओर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कह रही है और वहीं दूसरी ओर एक साल के अन्तराल में उत्तरकाशी जिले में चार जिलाधिकारियों के तबादले कर दिये गये। इससे सरकार की पूरी सन्देह के घेरे में है। श्री भट्ट ने कहा कि राजधानी में हर दिन चोरी की धटनायें हो रही हैं किन्तु पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है, पुलिस चोरी का खुलाशा तक नहीं कर पा रही है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है।
गौरीकुंड हाईवे मार्ग के डेंजर जोन हुए सक्रिय
रूद्रप्रयाग, 15 जुलाई (निस)। गौरीकुंड केदारनाथ हाईवे गत वर्ष जून में आई आपदा से बेहाल हो गई थी, जिसे बाद में किसी तरह आवाजाही लायक बनाया गया था लेकिन अब बरसात के शुरू होते ही फिर से यह जगह-जगह धंस गई है कई स्थानों पर गड्डे हो गए हैं। वर्तमान में इस मार्ग से आवाजाही करना खतरे से खाली नहीं है। गौरीकुंड हाईवे मार्ग केदारनाथ यात्रा समेत समूची केदारघाटी को यातायात से जोड़ने व जरूरी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का एक मुख्य जरिया है। सैकड़ों गांवों के लोग रोज इस हाइवे से आवाजाही करते है। बीते वर्ष आई दैवीय आपदा में इस हाईवे को भारी नुकसान पहुंचा था। आपदा के कारण इस पर एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन बन गए थे जो जरा सी बारिश होते ही विकराल रुप ले लेते हैं। अब बरसात शुरू होते ही इस हाईवे के डेंजर जोन पर पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया है। पत्थर गोली के माफिक नीचे गिर रहे है। इसे देखते हुए यहां से आवाजाही करने वाले स्थानीय लोग एवं यात्री कतराने लगे है। स्लाइडिंग जोन पर भारी मात्रा में पत्थर एवं मलबा गिरना शुरू हो गया है। वहीं बीआरओ के लिए पूरी ताकत झोंकने के बाद भी इन स्लाइडिंग जोन से पार पाना काफी कठिन हो रहा है। इसके चलते हाईवे के अवरुद्ध होने का सिलसिला शुरु हो गया है।
वैटनरी कॉलेज के लिये 1200 नाली भूमि की नापजोख शुरु
गौचर, 15 जुलाई (निस)। वैटनरी कॉलेज के निर्माण को लेकर शासन-प्रशासन चुस्त नजर आ रहे हैं। प्रशासन ने शैल गांव में कालेज के लिए जरूरी 1200 नाली भूमि के लिये यहां भूमि की गणना और नाप शुरू कर दी है।
गौचर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय की घोषणा डेढ़ वर्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने की थी। डिप्टी स्पीकर डा. अनसूया प्रसाद मैखुरी ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में कालेज के लिए भूमि चयन के लिए तहसील प्रशासन को कहा था। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने निर्देश पर अमल करते हुए तीन दिन में शैल गांव के समीप 1200 नाली भूमि की गणना और नाप का कार्य शुरू कर दिया है। राजस्व उप निरीक्षक जगदीश चंद्र औलिया ने बताया कि शैल गांव में वैटनरी कालेज के मानक के अनुरूप पर्याप्त भूमि मिलने की संभावना है। यहां रेशम विभाग की 135 नाली भूमि सहित 1100 से अधिक नाली नाप और बेनाप भूमि भी है। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि वैटनरी कालेज खुलने से भविष्य में गौचर सहित शैल गांव के दिन बहुरेंगे। यहां पढ़ाई होगी और पशु पालन के बारे में भी बताया जाएगा। वहीं लोगों का यह भी मानना है कि इससे कालेज के भवन, हॉस्टल, लैब, फार्म आदि ढांचागत निर्माण कार्यों सहित अस्थायी, स्थायी और संविदा पदों पर भी स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
अस्थाई पुल बहने से बलाण और पिनाऊं का सम्पर्क कटा
देवाल, 15 जुलाई (निस)। कैल नदी के सुपलीगाड़ में बना लकड़ी का अस्थायी पुल बहने से बलाण और पिनाऊं गांव का ब्लाक मुख्यालय से संपर्क कट गया है। यहां लोनिवि की ओर से लगाई गई ट्राली के लंबे समय से खराब होने के चलते लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। बीते वर्ष आपदा में सुपीलगाड़ पर बलाण और पिनाऊं गांव को जोड़ने के लिए बना झूला पुल बह गया था। जब शासन-प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों ने श्रमदान कर आवागमन के लिए लकड़ी का वैकल्पिक पुल बनाया था। अब यहां हुई तेज मूलसाधार बारिश से यह पुल भी बह गया जिससे गांवों का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया है। बलाण के लोगों का कहना है कि इस वैकल्पिक पुल के टूटने से दोनों गांवों के ग्रामीणों को मीलों अतिरिक्त पैदल दूरी नापकर अन्य रास्तों से होकर अपने घरों तक पहुंचना पड़ेगा। वहीं आपदा के बाद लोक निर्माण विभाग ने सुपलीगाड़ में ट्राली लगाई थी, वह भी कुछ ही दिनों में खराब हो गई। लोगों ने विभाग से ट्राली को ठीक करने और झूला पुल के पुनर्निर्माण की कार्रवाई अतिशीघ्र शुरू न करने पर जनांदोलन की चेतावनी दी है।
रास्तों में खेतों में भरा मोटर मार्ग का मलबा
पौड़ी, 15 जुलाई (निस)। बारिश से पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग का मलबा पाबौ मल्ला गांव के संपर्क मार्ग और खेतों में आ गया। जिससे गांव का संपर्क मार्ग बंद हो गया। मलबे से कई घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है।
पाबौ मल्ला गांव के लोगों का कहना है कि पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग का सारा मलबा बहकर गांव के मार्गों और खेतों में भर गया है। जिससे गांव के संपर्क मार्ग बंद हो गए है। यही नहीं इस मलबे से गांव के कई मकानों को भी खतरा बना हुआ है। लोगों का यह भी कहना है कि पिछले साल भी सड़क का मलबा बहकर गांव में आने से काफी नुकसान हुआ था। लेकिन प्रशासन द्वारा इसको रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। लोगों ने जिला प्रशासन से मलबा साफ करने की मांग की है।
रामलीला मंचन को लेकर बैठक
पौड़ी, 15 जुलाई (निस)। शहर की ऐतिहासिक रामलीला के मंचन को लेकर हुई बैठक में नए प्रयोग करने समेत विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। मंचन में नए कलाकारों को अवसर देने की बात पर भी सहमति जताई गई। श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आशुतोष नेगी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला को लेकर लोगों में आकर्षण बढ़ा है। इस दौरान मंचन में संभावित नए प्रयोगों पर भी चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि पांच अगस्त को लक्ष्मी नारायण मंदिर से हनुमान जी का ध्वज पूजन कर रामलीला मैदान में स्थापित किया जाएगा। रक्षा बंधन से रामलीला की विधिवत रिहर्सल शुरू की जाएगी। कमेटी के संरक्षक गौरीशंकर थपलियाल ने कहा कि मंचन में नए कलाकारों को अधिक अवसर दिए जाएंगे। पुराने कलाकारों के अनुभव भी नई पीढ़ी के साथ होंगे। इसके अलावा कमेटी के बजट व स्मारिका प्रकाशित करने पर भी चर्चा की गई। इस मौके पर पूर्व एमएलसी पृथ्वीपाल सिंह, कमेटी के राम सिंह रावत, मनोज रावत अंजुल, वीरेंद्र रावत, उमाचरण बड़थ्वाल, महेशानंद आदि मौजूद रहे।
अधूरे पुलों के चलते अटका वैकल्पिक हाईवे का निर्माण
उत्तरकाशी, 15 जुलाई (निस)। गंगोत्री वैकल्पिक हाईवे पर तीन अधूरे पुल जी का जंजाल बने हैं। बीआरओ ने इन पुलों पर पांच साल पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन बजट के अभाव में इनका काम बीच में ही लटक गया। वहीं इन पुलों के आधे-अधूरे होने के चलते वैकल्पिक हाईवे का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है। आपदा के लिहाज से संवेदनशील उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में बाईपास मार्ग की बेहद जरूरत है। इसके लिए करीब दस वर्ष पूर्व बीआरओ ने बड़ेथी तेखला वैकल्पिक हाईवे का काम शुरू किया था। सात किमी इस हाईवे पर रोड कटिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। कुछ जगहों पर भूस्खलन जोन को छोड़ दें तो यह सड़क लगभग पूरी तैयार है, लेकिन सड़क पर भागीरथी के ऊपर तेखला और मनेरा सहित इंद्रावती नदी पर पुल तैयार नहीं हो सके हैं। तेखला में बन रहा आरसीसी पुल एक ऐबेटमेंट के साथ अधूरा ही बन सका है। जबकि इंद्रावती पर भी आरसीसी पुल पूरा तैयार है, लेकिन इसके लिए एक ओर से सड़क की एप्रोच तैयार नहीं हो सकी है। इस कारण यह पुल अब वाहन पार्किंग के काम आ रहा है। वहीं मनेरा में पुल का गार्डर तीन साल पहले लगाया जा चुका है, लेकिन उस पर आवाजाही के लिए कंक्रीटिंग नहीं हो सकी है। वहीं लोग इस पुल के एक ओर लकड़ी के तख्ते डालकर खतरा मोल लेकर पैदल आवाजाही करने को मजबूर हैं।
भागीरथी का जलस्तर बढने से बाढ़ सुरक्षा कार्य जलमग्न
उत्तरकाशी, 15 जुलाई (निस)। अपर भागीरथी घाटी में हुई भारी बारिश से भागीरथी का जलस्तर उफान पर रहा। इसके चलते तटवर्ती इलाकों में हो रहे बाढ़ सुरक्षा कार्य जलमग्न हो गए। वहीं मातली में आधी अधूरी दीवार के कारण बस्ती को खतरा पैदा हो गया। बारिश से भागीरथी के बढ़े हुए जलस्तर ने बाढ़ सुरक्षा कार्याे के लिए परेशानी बढ़ा दी। पानी बढ़ने के कारण मनेरी भाली प्रथम चरण परियोजना के चारों गेट खोलने पड़े जिससे अधिक पानी के चलते मनेरी से उत्तरकाशी तक बाढ़ सुरक्षा कार्य अधिकांश जगहों पर जलमग्न हो गए। ऐसे में गंगोरी, तेखला, लक्षेश्वर, तिलोथ, गंगा विहार, जोशियाड़ा व जड़भरत बस्ती के तटवर्ती हिस्सों में बाढ़ सुरक्षा कार्य पूरी तरह ठप्प हो गया। वहीं भाटूसौड़ में गंगोत्री हाईवे के एक हिस्से में कटाव हो गया जिससे निकटवर्ती बस्ती के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से मातली बस्ती को बचाने के लिए बन रही आधी अधूरी सुरक्षा दीवार ने भी परेशानी खड़ी कर दी। इससे बस्ती के लिए और कटाव की समस्या पैदा हो गई है। बारिश के कारण भागीरथी की सहायक असीगंगा व इंद्रावती नदी का भी जलस्तर भी बढ़ गया। जिला मुख्यालय में कई जगहों पर बारिश के चलते जलभराव की समस्या भी पैदा हो गई।
काश्तकारों को नहीं मिली अधिग्रहण के बदले जमीन
गोपेश्वर, 15 जुलाई (निस)। सरकार ने सैफ विंटर गेम्स के दौरान ग्रामीणों की जमीन तो अधिगृहीत कर दी, लेकिन अधिगृहीत की गई जमीन के बदले भूमि देने की बारी आई तो मामला सरकारी आलमारियों में कैद होकर ही रह गया। अब भूमि के लिए ग्रामीण कभी सरकार तो कभी प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है। जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन का कहना है कि शासन को यह मामला पहले ही संदर्भित कर दिया गया था। उन्होंने कहा है कि इस संबंध में शासन को दोबारा रिमांइडर भेजा जाएगा। वर्ष 2010 में जब औली में सैफ विंटर गेम्स का आयोजन हुआ तो स्लोप निर्माण के लिए पर्यटन विभाग ने औली से लगे सलूड़ डुंग्रा के 15 काश्तकारों की जमीन अधिगृहीत की। तब भरोसा दिलाया गया था कि बदले में ग्रामीणों को भूमि आवंटित की जाएगी। सलूड़ डुंग्रा के काश्तकारों का कहना है कि जो जमीन पर्यटन विभाग ने अधिगृहीत की, उस जमीन पर 17 परिवारों की गोशालाएं थी। अपनी भूमि गंवाने के बाद अब ये ग्रामीण भूमि के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि भूमि पाने के लिए वह कई बार सरकार व प्रशासन के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें भूमि आवंटित नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन दाताओं में चंद्र सिंह भंडारी, गब्बर सिंह, भरत सिंह, शरत सिंह, कुशल सिंह, हरीश सिंह, सुरेंद्र सिंह, शिव सिंह, गंगा सिंह, मुरली सिंह, दिलवर सिंह आदि शामिल हैं।
आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचा रहे महाजन सभा
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। सेवा में समर्पित अनूठी संस्था समस्त महाजन ने उत्तराखंड में पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा में बेहतर सहयोग दिया और कई स्थानों पर सहायता शिविर लगाये, इसके साथ ही लोगों की वहां पर निस्वार्थ रूप से सेवा कर उन्हें राहत सामग्री आदि वितरित की। संस्था के कार्यकर्ता आज तक इस सेवा कार्य में जुटे हुए है और वहां पर जरूरतमंदों को आवश्यक सामाग्री प्रदान की जा रही है। मंगलवार को जैन धर्मशाला में पत्रकारों से रूबरू होते हुए संस्था के सदस्य हीरा लाल जैन ने कहा कि उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा से वहां पर जन धन की हानि हुई है और कई लोग लापता हो गये है और आज भी वहां पर नर कंकाल मिल रहे है। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा में पीडितों की सहायता करने के लिए समस्त महाजन परिवार मुंबई से उत्तराखंड पहुंचा और बाढ पीडितों को जीवनाश्यक चीजों के किट, फूड पैकेटस, कंबल, रजाई, नकद प्रदान किये और स्वास्थ्य सहायता के साथ ही संस्था ने हरसंभव सेवा करनी आरंभ की यह सेवाकार्य अभी तक जारी है। उनका कहना है कि इन सबके पीछे संस्था का निस्वार्थ उददेश्य एक ही है कहीं भी कोई भी किसी भी जगह संकट के समय मानव और बेजुबान जीवों को सहारा देकर उनकी निस्वार्थ सेवा करना संस्था का उददेश्य है। उनका कहना है कि आज भी संस्था उत्तराखंड के उत्थान के लिए समर्पित है और एक पूर्ण सर्वेक्षण के बाद अक्षत शाह जो कि संस्था के स्वयंसेवी है ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ सर्वेक्षण किया और कई तथ्य सामने आये है। उनका कहना है कि कर्णप्रयाग, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि के अनेक अनाथ आश्रमों, वृद्धाश्रमों में पूर्ण रूप से हरसंभव सहायता दी इसके साथ अनेकों विद्यालय जहां पर बच्चों के कल्याण के लिए संस्थायें समर्पित है उन्हें भी प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान की है। उनका कहना है कि निस्वार्थ भाव से ही संस्था का कार्य व प्रमुख उददेश्य है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने चेताया जिलाधिकारियों को
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। बीते साल के आपदा के बाद राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग की सूचनाआंे को वह अब पूर्व की भांति हल्के में नहीं लेता। यहीं कारण है कि मौसम विभाग द्वारा राज्य के पर्वतीय इलाकों के जनपदों में भारी वर्षा की चेतावनी को मौसम विभाग ने गंभीरता से लेते हुये जिलाधिकारियों को सचेत रहने को कहा हैं। आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला ने जनपद अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, ऊधमसिंहनगर एवं नैनीताल के जिलाधिकारियों को भेजे पत्र के माध्यम से कहा है कि मौसम विभाग द्वारा इन जनपदों में अगले 48 घंटों में भारी वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारी जनपदों में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन इकाईयों को तत्पर रहने के निर्देश जारी कर दे। साथ ही आपदा संबंधी किसी भी प्रकार की घटना होने पर उसकी सूचना तत्काल आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र को दी जाये।
एमडीडीए आया बैक फुट पर, सील किये वैडिंग प्वाइंटस खोले
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। दून और मसूरी में विकास के नाम पर मनमानी करने वाला मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण अब न तो उच्च न्यायालय के आदेश मानता है और न ही उनसे सरकार के किसी कानून की परवाह है। अदालत का डण्डा चलने से पहले ही प्राधिकरण के अधिकारियों के सुर बदल गए। इतना ही नहीं उच्च न्यायालयों के आदेशों की अवहेलना करना उनके लिये भारी पड सकता है। उच्च न्यायालय के आदेश मिलने के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने सीज किए गए वैडिंग प्वाइंटस को बिना अन्य किसी आदेश के खोलना भी शुरू कर दिया है। बताते चले कि नैनीताल उच्च न्यायालय ने एमडीडीए के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए तुरंत सील किए गए वैडिंग प्वाइंटस को खोलने के आदेश दिए थे लेकिन एमडीडीए के अधिकारियों नेे हठधर्मिता के कारण अदालत के आदेश की ही अवहेलना शुरू कर दी। यहां तक कि प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने तो न केवल सील किए गए वैडिंग प्वाइंटस को खोलने से मना कर दिया बल्कि नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ भी अपील करने की बात कही थी। यही नहीं उन्होंने अदालत की अवहेलना के मामले में वैडिंग प्वाइंटस संचालको को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को भी कहा था। लेकिन जैसे ही एमडीडीए के अधिकारियों के खिलाफ वैडिंग प्वाइंटस संचालकों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में अदालत की अवहेलना को लेकर याचिका दायर की अपने खिलाफ कार्यवाही का अंदेशा होते ही एमडीडीए ने सील किए गए वैडिंग प्वाइंटों को बिना किसी जुर्माने और अग्रिम कार्यवाही के खोल दिया। एमडीडीए के खिलाफ दायर की इस याचिका पर अदालत 02 अगस्त को सुनवाई करेगा लेकिन इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए प्राधिकरण के अधिकारियों में हडकंप मचा हुआ है। अभी उन्हें अदालत को यह भी बताना है कि किस कानून के तहत वैडिंग प्वाइंट सील किए गए थे।
आपदा में मृतकों के आश्रितों के पुर्नवास पर हुई चर्चा
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में आपदा में मृत लोगों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिये जाने के बारे में बैठक हुई। कानूनी अड़चन के बावजूद विशेष परिस्थितियों में आरक्षण दिये जाने के सभी पहलुओं पर विचार किया गया। तय किया गया कि दूसरे राज्यों में लागू इस तरह की व्यवस्था का आकलन किया जायेगा। महाधिवक्ता से राय लेकर आरक्षण के सम्बंध में कोई न कोई रास्ता निकाला जायेगा। बैठक में प्रमुख सचिव न्याय जयदेव सिंह, प्रमुख सचिव गृह एमएच खान, सचिव आपदा प्रबंधन भास्करानंद, सचिव सचिवालय प्रशासन सीएमएस बिष्ट, अपर सचिव कार्मिक आरसी लोहनी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कारगिल शहीद दिवस शौर्य दिवस के रुप में अकीदत के साथ मनाया जायेः अक्षत गुप्ता
नैनीताल, 15 जुलाई (निस)। कारगिल शहीद दिवस शौर्य दिवस के रूप में 26 जुलाई को जिले भर में पूरे अकीदत के साथ मनाया जायेगा। कार्यक्रमों के निर्धारण के लिये जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता की अध्यक्षता में एक बैठक कलक्ट्रेट सभागर में संपन्न हुयी। इस बैठक में जिलेभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया गया। तयशुदा कार्यक्र्रमों के अनुसार 26 जुलाई को प्रातः 9 बजे हल्द्वानी कालाढूंगी चैराहे पर शहीद मेजर राजेश अधिकारी के स्मृति पटल पर श्रृद्धासुमन अर्पित किये जायेंगे। श्री गुप्ता ने कहा कि इस गौरवमय दिवस पर जिलेभर में सफाई का विशेष अभियान चलाया जाये। शहीद स्मारकों एवं महापुरूषों की मूर्तियों की विशेष सफाई आदि भी करायी जाये। आयोजित कार्यक्रमों में शहीदों की वीरांगाओं के साथ ही पूर्व वरिष्ठ सैनिकों व को भी प्रतिभाग करने के लिये आमंत्रित किया जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि विद्यालयों में खेल-कूद, निबंध, पेंटिंग प्रतियोगिता व कारगिल दिवस पर क्वीज प्रतियोगितायें करायी जायें। विकास खण्ड स्तर पर भी इन कार्यक्रमों को कराया जाये, जिसके पुरस्कार वितरण 26 जुलाई को किये जायें। उन्होंने कहा कि लोगों में राष्ट्रीय एकता एवं देश प्रेम की भावना को और अधिक बलवती बनाने के लिये खेल महकमा क्रास कंट्री दौड़ का आयोजन भी करे। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी बीएस रौतेला नेे बताया कि प्रातः 9.30 बजे हल्द्वानी सैनिक कार्यालय में जिलाधिकारी द्वारा शहीदों की पत्नियों को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक आर0सी0 पुरोहित ने बताया कि इस अवसर पर सभी स्कूलों के बच्चों द्वारा 22 जुलाई को कारगिल दिवस पर क्वीज प्रतियोगिता की जायेगी, इसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वाले बच्चों को पुरस्कार भी दिया जायेगा। बैठक में नीरज जोशी उपनगर अधिकारी नगरनिगम, हरबीर सिंह एसडीएम, डा0 राजेश्वर ंिसह जिला उद्यान अधिकारी, मिथिलेश कुमार सिंह सीओ आरएनआर, विनोद लोहनी मण्डी सचिव, वीके टम्टा अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, एडवोकेट ज्योती प्रकाश, वरिष्ठ नागरिक किसन लाल साह, चन्दन सिंह अधिकारी के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
39 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों का स्थानांतरण, तीन दर्जन को मिली तरक्की
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। आयुर्वेद विभाग के 39 चिकित्सा अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है। इसके अलावा 36 चिकित्सा अधिकारियों को अपर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक व वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के वेतनमान 15600-39100 ग्रेड वेतन 6600 में पदोन्नति दी गई है। आयुष विभाग के प्रमुख सचिव ओमप्रकाश द्वारा जारी तबादला आदेश के अनुसार डा. साधना रानी अग्रवाल को उधमसिंहनगर से वहज पिथौरागढ़, डा. धीरज आर्य को चंपावत से चितगल गांव, पिथौरागढ़, डा. दीपांकर बिष्ट को अल्मोड़ा से दकोट, बागेश्वर, डा. सर्वजीत सिंह को टिहरी जिला चिकित्सालय से उनाल गांव, डा. विनोद रावत को जि.चि. उत्तरकाशी से खरसाली, डा. जयकिशन को जि.चि. उत्तरकाशी से पफडियार, डा. मनीष कुमार को पिरान कलियर से नैल खंसल चमोली, ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज से डा. आरती पाठक को बडियार गांव पौड़ी, डा. कपिल शर्मा को चैड़ाकोट चंपावत, डा. पल्लवी पुष्प को बौंठ भरपूर, टिहरी व डा. भावना सिंह को खातीगांव बागेश्वर, डा. भावना भदोरिया को नथुवावाला से कथियान देहरादून, डा. पूजा कांडपाल को मोना से डालकन्या नैनीताल, डा. पल्लवी भूषण को अखोड़ी टिहरी से पांखू पिथौरागढ़, डा. प्रदीप मेहरा को नैनीताल में ही आयुष विंग जिला जिला चिकित्सालय, डा. अनिल रावत को जि.चि. हरिद्वार से सुल्तानपुर कुन्हारी, डा. शशि जोशी को मुनिकीरेती से टिहरी कार्यालय तथा अग्रिम आदेश वह पंचकर्म केंद्र मुनिकीरेती से संबद्ध, डा. नरेंद्रदत्त सेमवाल को भटवाड़ा से मुनिकीरेती, डा. ललित कुमार को मैठानाघाट से राजावाला देहरादून, डा. स्वास्तिक सुदेश को डडौली पौड़ी से ढाढेका ढाना, हरिद्वार, डा. रौली जोशी को बागेश्वर से हल्द्वानी, डा. शैलेष जोशी को बागेश्वर से उच्च न्यायालय नैनीताल, डा. आनंद प्रकाश को बागेश्वर से नथुवाखान नैनीताल, डा. अंकुर त्यागी नैनीसैंण चमोली से लंढौरा हरिद्वार, डा. रजनी वर्मा गडोली से मुस्टिक सौड़ उत्तरकाशी, डा. प्रदीप कुमार बाडव रुद्रप्रयाग से राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रुड़की, डा. ऋचा गंगवार को गोनियारो नैनीताल से मझोला उफध्मसिंहनगर, डा. विमल बडवाल को मैठाना से जाख चमोली, डा. रामेश्वरी आर्य को अस्कोट से नैनीताल, डा. जयदीप सिंह बिष्ट रैंस से कोटद्वार, डा. वंदना ध्यानी को लाखामंडल से हरबर्टपुर, डा. रंजीत रावत को अलगड़ा से मरखा पिथौरागढ़, डा. नितिन गुनसोला को जिला कार्यालय देहरादून से झाझरा, डा. पवन वर्मा को ओखड़ी से भैंसियारो टिहरी, डा. भारती चैहान को मेदाल से सेलाकुई, डा. अनिता कुकसाल को बिहारीनगर से जिला चिकित्सालय महिला आयुष विंग हरिद्वार, डा. त्रिभुवन बेंजवाल को जि.चि. महिला हरिद्वार से बिहारीनगर, डा. लता पंत को लौबांज बागेश्वर से धनाचूली नैनीताल, डा. सिद्धि पंत को जाखपंथ से नगर पिथौरागढ़ स्थानांतरित किया गया है। चिकित्सा अध्किारी से 6600 ग्रेड वेतन में पदोन्नत डा. रवि कुमार यथावत ऋषिकुल कालेज, डा. दिनेश गर्ग आयुर्वेद निदेशालय, डा. प्रमोद कुमार कपूर को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी चमोली का प्रभार, डा. अल्का अग्रवाल यथावत ऋषिकुल कालेज, डा. अशोक त्यागी को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी उत्तरकाशी का प्रभार, डा. विश्वम्भरदत्त डिमरी को जिला आयुर्वेदिक अध्किारी बागेश्वर का प्रभारी, डा. राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी अपर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी देहरादून, डा. भानुप्रताप सिंह चिकित्सा अधीक्षक पंचकर्म यूनिट उत्तरकाशी, डा. अंबरेषचन्द्र उपाध्याय को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी पौड़ी का प्रभार, डा. योगेश पाल को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी रुद्रप्रयाग का प्रभार, डा. अशोक बडोला को जिला आयु. अध्किारी उफध्मसिंगनगर का प्रभार, डा. नरेश गुप्ता वरिष्ठ चिकित्साध्किारी जि.चि. हरिद्वार, डा. सबज कुमार आनंद को जिला आयु. अध्किारी चंपावत का प्रभार, डा. महेंद्र पाल को वरिष्ठ चिकित्साधिकारी चमोली, डा. रविंद्र प्रताप सिंह अपर जिला आयुर्वेदिक अध्किारी अल्मोड़ा, डा. मिथिलेश कुमार वरिष्ठ जिला चिकित्सा अध्किारी हरिद्वार, डा. कृष्ण लाल जि.चि. रुद्रप्रयाग, डा. कृष्ण सिंह नपलच्याल को जि. आयु. एवं यूनानी अध्किारी नैनीताल का प्रभार, डा. रघुवीर सिंह को जि.चि. चमोली, डा. गिरीश जंगपांगी को जि.आयु. अध्किारी पिथौरागढ़ का प्रभार, डा. महेंद्र सिंह गुंज्याल को वरिष्ठ चिकित्सा अध्किारी उधमसिंहनगर, डा. राजेंद्र पांडे जिला चिकित्सालय चंपावत, डा. यतेंद्र रावत को वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी निदेशालय/सहायक औषधि नियंत्रक, डा. संपूर्णानंद रतूड़ी जिला चि. अल्मोड़ा, डा. राजेंद्र भट्ट जि.चि. अल्मोड़ा, डा. राजीव वर्मा गुरुकुल कालेज हरिद्वार, डा. उमेश पाठक जि.चि. पिथौरागढ़, डा. अशोक कुमार शर्मा वरिष्ठ चिकित्सा अध्किारी उत्तरकाशी, डा. जमुनादत्त द्विवेदी जि.चि. बागेश्वर, डा. महेंद्र सिंह जि.चि. उत्तरकाशी, डा. विरेंद्र कुमार जि.चि. पौड़ी, डा. सुरेश शर्मा जि.चि. टिहरी, डा. ओपी बहुखण्डी जि.चि. पौड़ी, डा. मानसिंह जि.चि. टिहरी, डा. उमेश जोशी जि.चि. चमोली व डा. मंजू अग्निहोत्री जिला चिकित्सालय हरिद्वार शामिल हैं।
सरकार की खनन के खेल पर लगाम लगान की तैयारी
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। खनन को लेकर आरोपांे में घिर रही सरकार को बदनामी के डर से बचाने का मोर्चा प्रदेश की वरिष्ठ मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने अपने हाथों में ली है। मुख्यमंत्री हरीश रावत के अस्पताल में होने के कारण उन्हांेने यह मोर्चा संभाला है। राज्य में खनन के खेल पर संख्ती बरतने के आदेश उन्होंने हरिद्वार और उधमसिंहनगर जिलाधिकारियांे को दिए है। हालांकि प्रदेश में अवैध खनन पर नकेल के लिए बनायी गयी मुठ्ठी भर माइनिंग विजिलेंस सेल ने मात्रा 7 माह के अन्दर प्रदेश भर में खनन माफियाओं की नाक में नकेल डालकर सरकार को करोड़ों रूपया राजस्व के रूप में दिया है लेकिन सरकार माइनिंग विजिलेंस सेल को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सेल को आज तक आजादी के साथ अपना काम करने के लिए एक कार्यालय तक मुहैया नहीं कराया गया और अब लगातार जिस तरह से सरकार की माइनिंग विजिलेंस सेल पर टेढ़ी नजर हो रखी है उससे सरकार भी सवालों के घेरे में आनी शुरू हो गयी है? पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य में हो रहे अवैध खनन पर मचे बबाल को देखते हुए प्रदेश में अवैध खनन रोकने के लिए माइनिंग विजिलेंस सेल का गठन किया था। इस टीम का नेतृत्व डीआईजी संजय गुंज्याल के हाथों में सौंपा गया था और उनकी टीम में मात्रा 18 लोगों को शामिल किया गया था। इस टीम को 30 प्रतिशत अतिरिक्त भत्ता देने का भी ऐलान सरकार ने किया था लेकिन 7 माह बाद भी सरकार ने माइनिंग विजिलेंस सेल टीम को आज तक यह भत्ता देने की पहल नहीं की जिससे सरकार पर भीसवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस माइनिंग विजिलेंस सेल के कर्मचारी रातदिन जान हथेली पर लेकर खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने का दम दिखा रहे हैं उन्हें सरकार ने आज तक एक कार्यालय तक उपलब्ध नहीं कराया और माइनिंग विजिलेंस सेल का कार्यालय पुलिस मुख्यालय के खुले आंगन में चलता आ रहा है। राज्य भर में खनन माफियाओं पर नकेल लगाने वाली माइनिंग विजिलेंस सेल की पीठ थपथपाने के बजाये सरकार उसे ही क्यों गुर्राने में लगी हुई है यह राज्य की जनता की समझ में भी नहीं आ रहा है क्योंकि माइनिंग विजिलेंस सेल ने अब तक कई दर्जन पौकलैंड व जेसीबी मशीनों के साथ साथ कई स्टोन क्रेशर भी अवैध खनन को लेकर सील किये लेकिन सरकार ने खनन माफियाओं के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही करने का आज तक दम दिखाने का साहस नहीं किया? माइनिंग विजिलेंस सेल को सरकार मजबूत करने के लिए आजतक क्यों अपने कदम आगे नहीं बढ़ा पायी यह उसकी मंशा पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है? बता दें कि माइनिंग विजिलेंस सेल में सिर्फ राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में ही टीम को कहीं भी छापा मारने का अधिकार है और इस टीम में सिर्फ डीआईजी ही राजपत्रित अधिकारी हैं और सरकार हमेशा उन्हें किसी न किसी मिशन पर लगाये रखती है जिससे खनन माफियाओं पर नकेल लगाने में माइनिंग विजिलेंस सेल आगे नहीं बढ़ सकती। सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार माइनिंग विजिलेंस सेल में किसी सीओ की तैनाती क्यों नही कर रही है जिसके चलते माइनिंग विजिलेंस सेल इस अधिकारी के नेतृत्व में कहीं भी खनन माफियाओं पर बड़ी कार्यवाही कर सके । खनन माफियाओं के सिंडीकेट पर लगातार नकेल लगाने वाली माइनिंग विजिलेंस सेल आखिरकार कुछ समय से क्यों सरकार के निशाने पर है इसको लेकर राज्य में चर्चाओं का बाजार गर्म हो रखा है कि क्या सरकार माइनिंग विजिलेंस सेल को समाप्त करने के लिए एक रणनीति के तहत ताना-बाना बुन रही है जिसके चलते खनन माफियाओं का सिंडीकेट अपने काले कारोबार को अंजाम देने में सफल होता रहे।
प्रदेश में चल रहे अवैध खनन में सरकार संलिप्त:- अजय भट्ट
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय भट्ट ने कहा कि प्रदेश में चल रहे अवैध खनन में सरकार पूरी तरह से संलिप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद लगातार यहाॅ भू-माफियाओं और अवैध खनन कारोबारियों की बाढ़ सी आ गयी है। उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में विधानसभा सत्र में अवैध खनन की उच्च स्तरीय जाॅच की मांग उठायी थी। श्री भट्ट ने कहा कि अवैध खनन के विरोध में खनन माफियाओं द्वारा ग्रामीणों पर हमले किये जा रहे हैं और सरकार आॅखें मूंदकर तमाशा देख रही है। सरकार कार्यवाही करे भी तो कैसे आखिर पूरे अवैध खनन कारोबार में सरकार के सफेदपोश लोग जो शामिल हैं। श्री भट्ट ने कहा कि खनन कारोबारियों द्वारा ग्रामीणों पर हमला करने के बाद भी सरकार की चुप्पी समझ में नही आती। आखिर सरकार इन लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रही है। सरकार के हाथ पर हाथ धरे रहने से खनन माफियाओं को शह प्रदान करने की पुष्टि होती है। श्री भट्ट ने कहा कि जहाॅ प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली में एम्स से स्वास्थ्य लाभ लेते हुए राजनीतिक श्रेय लेने के उद्देश्य से आये दिन नये-नये मुद्दों पर केन्द्र सरकार को पत्र तो लिखे जा रहे हैं किन्तु अवैध खनन पर वह चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अवैध खनन कारोबारियों पर कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में आखिर मुख्यमंत्री द्वारा निर्देश क्यों नहीं जारी किये जा रहे हैं। श्री भट्ट ने कहा कि अवैध खनन कारोबारियों द्वारा ग्रामीणों पर पथराव कर उन पर जानलेवा हमला किया गया किन्तु सरकार द्वारा खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी। सरकार द्वारा एक ओर पूर्व में अवैध खनन के खिलाफ जाॅच एजेन्सियाॅ मुस्तैद किये जाने की बात कही जा रही थी लेकिन आज चारों ओर प्रदेश में सरकार की शह पर ही खनन का अवैध कारोबार इस कदर चरम पर है कि खनन माफियाओं द्वारा प्रदेश में दहशत का माहौल उत्पन्न कर दिया गया है। श्री भट्ट ने कहा कि आज प्रदेश की दुर्गति हो गयी है हल्की बारिश से ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से बाधित होने से सरकार के चार धाम यात्रा की बड़े-बड़े धरे के धरे रह गये हैं। आज प्रदेश को देखने वाला कोई नहीं है, जितने भी पुल आपदाग्रस्त क्षेत्रों में बनाये जा रहे थे, वह सभी एक-एक करके टूटते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा जब निर्माण एजेंसी पर कार्यवाही की तो सरकार ने उन्हें ही पद से हटा दिया, इससे यह स्पष्ट है कि सरकार भी इन एजेंसियों के साथ मिलीभगत है। सरकार एक ओर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कह रही है और वहीं दूसरी ओर एक साल के अन्तराल में उत्तरकाशी जिले में चार जिलाधिकारियों के तबादले कर दिये गये। इससे सरकार की पूरी सन्देह के घेरे में है। श्री भट्ट ने कहा कि राजधानी में हर दिन चोरी की धटनायें हो रही हैं किन्तु पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है, पुलिस चोरी का खुलाशा तक नहीं कर पा रही है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है।
गौरीकुंड हाईवे मार्ग के डेंजर जोन हुए सक्रिय
रूद्रप्रयाग, 15 जुलाई (निस)। गौरीकुंड केदारनाथ हाईवे गत वर्ष जून में आई आपदा से बेहाल हो गई थी, जिसे बाद में किसी तरह आवाजाही लायक बनाया गया था लेकिन अब बरसात के शुरू होते ही फिर से यह जगह-जगह धंस गई है कई स्थानों पर गड्डे हो गए हैं। वर्तमान में इस मार्ग से आवाजाही करना खतरे से खाली नहीं है। गौरीकुंड हाईवे मार्ग केदारनाथ यात्रा समेत समूची केदारघाटी को यातायात से जोड़ने व जरूरी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का एक मुख्य जरिया है। सैकड़ों गांवों के लोग रोज इस हाइवे से आवाजाही करते है। बीते वर्ष आई दैवीय आपदा में इस हाईवे को भारी नुकसान पहुंचा था। आपदा के कारण इस पर एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन बन गए थे जो जरा सी बारिश होते ही विकराल रुप ले लेते हैं। अब बरसात शुरू होते ही इस हाईवे के डेंजर जोन पर पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया है। पत्थर गोली के माफिक नीचे गिर रहे है। इसे देखते हुए यहां से आवाजाही करने वाले स्थानीय लोग एवं यात्री कतराने लगे है। स्लाइडिंग जोन पर भारी मात्रा में पत्थर एवं मलबा गिरना शुरू हो गया है। वहीं बीआरओ के लिए पूरी ताकत झोंकने के बाद भी इन स्लाइडिंग जोन से पार पाना काफी कठिन हो रहा है। इसके चलते हाईवे के अवरुद्ध होने का सिलसिला शुरु हो गया है।
वैटनरी कॉलेज के लिये 1200 नाली भूमि की नापजोख शुरु
गौचर, 15 जुलाई (निस)। वैटनरी कॉलेज के निर्माण को लेकर शासन-प्रशासन चुस्त नजर आ रहे हैं। प्रशासन ने शैल गांव में कालेज के लिए जरूरी 1200 नाली भूमि के लिये यहां भूमि की गणना और नाप शुरू कर दी है।
गौचर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय की घोषणा डेढ़ वर्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने की थी। डिप्टी स्पीकर डा. अनसूया प्रसाद मैखुरी ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में कालेज के लिए भूमि चयन के लिए तहसील प्रशासन को कहा था। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने निर्देश पर अमल करते हुए तीन दिन में शैल गांव के समीप 1200 नाली भूमि की गणना और नाप का कार्य शुरू कर दिया है। राजस्व उप निरीक्षक जगदीश चंद्र औलिया ने बताया कि शैल गांव में वैटनरी कालेज के मानक के अनुरूप पर्याप्त भूमि मिलने की संभावना है। यहां रेशम विभाग की 135 नाली भूमि सहित 1100 से अधिक नाली नाप और बेनाप भूमि भी है। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि वैटनरी कालेज खुलने से भविष्य में गौचर सहित शैल गांव के दिन बहुरेंगे। यहां पढ़ाई होगी और पशु पालन के बारे में भी बताया जाएगा। वहीं लोगों का यह भी मानना है कि इससे कालेज के भवन, हॉस्टल, लैब, फार्म आदि ढांचागत निर्माण कार्यों सहित अस्थायी, स्थायी और संविदा पदों पर भी स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
अस्थाई पुल बहने से बलाण और पिनाऊं का सम्पर्क कटा
देवाल, 15 जुलाई (निस)। कैल नदी के सुपलीगाड़ में बना लकड़ी का अस्थायी पुल बहने से बलाण और पिनाऊं गांव का ब्लाक मुख्यालय से संपर्क कट गया है। यहां लोनिवि की ओर से लगाई गई ट्राली के लंबे समय से खराब होने के चलते लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। बीते वर्ष आपदा में सुपीलगाड़ पर बलाण और पिनाऊं गांव को जोड़ने के लिए बना झूला पुल बह गया था। जब शासन-प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों ने श्रमदान कर आवागमन के लिए लकड़ी का वैकल्पिक पुल बनाया था। अब यहां हुई तेज मूलसाधार बारिश से यह पुल भी बह गया जिससे गांवों का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया है। बलाण के लोगों का कहना है कि इस वैकल्पिक पुल के टूटने से दोनों गांवों के ग्रामीणों को मीलों अतिरिक्त पैदल दूरी नापकर अन्य रास्तों से होकर अपने घरों तक पहुंचना पड़ेगा। वहीं आपदा के बाद लोक निर्माण विभाग ने सुपलीगाड़ में ट्राली लगाई थी, वह भी कुछ ही दिनों में खराब हो गई। लोगों ने विभाग से ट्राली को ठीक करने और झूला पुल के पुनर्निर्माण की कार्रवाई अतिशीघ्र शुरू न करने पर जनांदोलन की चेतावनी दी है।
रास्तों में खेतों में भरा मोटर मार्ग का मलबा
पौड़ी, 15 जुलाई (निस)। बारिश से पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग का मलबा पाबौ मल्ला गांव के संपर्क मार्ग और खेतों में आ गया। जिससे गांव का संपर्क मार्ग बंद हो गया। मलबे से कई घरों के लिए खतरा पैदा हो गया है।
पाबौ मल्ला गांव के लोगों का कहना है कि पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग का सारा मलबा बहकर गांव के मार्गों और खेतों में भर गया है। जिससे गांव के संपर्क मार्ग बंद हो गए है। यही नहीं इस मलबे से गांव के कई मकानों को भी खतरा बना हुआ है। लोगों का यह भी कहना है कि पिछले साल भी सड़क का मलबा बहकर गांव में आने से काफी नुकसान हुआ था। लेकिन प्रशासन द्वारा इसको रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। लोगों ने जिला प्रशासन से मलबा साफ करने की मांग की है।
रामलीला मंचन को लेकर बैठक
पौड़ी, 15 जुलाई (निस)। शहर की ऐतिहासिक रामलीला के मंचन को लेकर हुई बैठक में नए प्रयोग करने समेत विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। मंचन में नए कलाकारों को अवसर देने की बात पर भी सहमति जताई गई। श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आशुतोष नेगी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला को लेकर लोगों में आकर्षण बढ़ा है। इस दौरान मंचन में संभावित नए प्रयोगों पर भी चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि पांच अगस्त को लक्ष्मी नारायण मंदिर से हनुमान जी का ध्वज पूजन कर रामलीला मैदान में स्थापित किया जाएगा। रक्षा बंधन से रामलीला की विधिवत रिहर्सल शुरू की जाएगी। कमेटी के संरक्षक गौरीशंकर थपलियाल ने कहा कि मंचन में नए कलाकारों को अधिक अवसर दिए जाएंगे। पुराने कलाकारों के अनुभव भी नई पीढ़ी के साथ होंगे। इसके अलावा कमेटी के बजट व स्मारिका प्रकाशित करने पर भी चर्चा की गई। इस मौके पर पूर्व एमएलसी पृथ्वीपाल सिंह, कमेटी के राम सिंह रावत, मनोज रावत अंजुल, वीरेंद्र रावत, उमाचरण बड़थ्वाल, महेशानंद आदि मौजूद रहे।
अधूरे पुलों के चलते अटका वैकल्पिक हाईवे का निर्माण
उत्तरकाशी, 15 जुलाई (निस)। गंगोत्री वैकल्पिक हाईवे पर तीन अधूरे पुल जी का जंजाल बने हैं। बीआरओ ने इन पुलों पर पांच साल पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन बजट के अभाव में इनका काम बीच में ही लटक गया। वहीं इन पुलों के आधे-अधूरे होने के चलते वैकल्पिक हाईवे का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है। आपदा के लिहाज से संवेदनशील उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में बाईपास मार्ग की बेहद जरूरत है। इसके लिए करीब दस वर्ष पूर्व बीआरओ ने बड़ेथी तेखला वैकल्पिक हाईवे का काम शुरू किया था। सात किमी इस हाईवे पर रोड कटिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। कुछ जगहों पर भूस्खलन जोन को छोड़ दें तो यह सड़क लगभग पूरी तैयार है, लेकिन सड़क पर भागीरथी के ऊपर तेखला और मनेरा सहित इंद्रावती नदी पर पुल तैयार नहीं हो सके हैं। तेखला में बन रहा आरसीसी पुल एक ऐबेटमेंट के साथ अधूरा ही बन सका है। जबकि इंद्रावती पर भी आरसीसी पुल पूरा तैयार है, लेकिन इसके लिए एक ओर से सड़क की एप्रोच तैयार नहीं हो सकी है। इस कारण यह पुल अब वाहन पार्किंग के काम आ रहा है। वहीं मनेरा में पुल का गार्डर तीन साल पहले लगाया जा चुका है, लेकिन उस पर आवाजाही के लिए कंक्रीटिंग नहीं हो सकी है। वहीं लोग इस पुल के एक ओर लकड़ी के तख्ते डालकर खतरा मोल लेकर पैदल आवाजाही करने को मजबूर हैं।
भागीरथी का जलस्तर बढने से बाढ़ सुरक्षा कार्य जलमग्न
उत्तरकाशी, 15 जुलाई (निस)। अपर भागीरथी घाटी में हुई भारी बारिश से भागीरथी का जलस्तर उफान पर रहा। इसके चलते तटवर्ती इलाकों में हो रहे बाढ़ सुरक्षा कार्य जलमग्न हो गए। वहीं मातली में आधी अधूरी दीवार के कारण बस्ती को खतरा पैदा हो गया। बारिश से भागीरथी के बढ़े हुए जलस्तर ने बाढ़ सुरक्षा कार्याे के लिए परेशानी बढ़ा दी। पानी बढ़ने के कारण मनेरी भाली प्रथम चरण परियोजना के चारों गेट खोलने पड़े जिससे अधिक पानी के चलते मनेरी से उत्तरकाशी तक बाढ़ सुरक्षा कार्य अधिकांश जगहों पर जलमग्न हो गए। ऐसे में गंगोरी, तेखला, लक्षेश्वर, तिलोथ, गंगा विहार, जोशियाड़ा व जड़भरत बस्ती के तटवर्ती हिस्सों में बाढ़ सुरक्षा कार्य पूरी तरह ठप्प हो गया। वहीं भाटूसौड़ में गंगोत्री हाईवे के एक हिस्से में कटाव हो गया जिससे निकटवर्ती बस्ती के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से मातली बस्ती को बचाने के लिए बन रही आधी अधूरी सुरक्षा दीवार ने भी परेशानी खड़ी कर दी। इससे बस्ती के लिए और कटाव की समस्या पैदा हो गई है। बारिश के कारण भागीरथी की सहायक असीगंगा व इंद्रावती नदी का भी जलस्तर भी बढ़ गया। जिला मुख्यालय में कई जगहों पर बारिश के चलते जलभराव की समस्या भी पैदा हो गई।
काश्तकारों को नहीं मिली अधिग्रहण के बदले जमीन
गोपेश्वर, 15 जुलाई (निस)। सरकार ने सैफ विंटर गेम्स के दौरान ग्रामीणों की जमीन तो अधिगृहीत कर दी, लेकिन अधिगृहीत की गई जमीन के बदले भूमि देने की बारी आई तो मामला सरकारी आलमारियों में कैद होकर ही रह गया। अब भूमि के लिए ग्रामीण कभी सरकार तो कभी प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है। जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन का कहना है कि शासन को यह मामला पहले ही संदर्भित कर दिया गया था। उन्होंने कहा है कि इस संबंध में शासन को दोबारा रिमांइडर भेजा जाएगा। वर्ष 2010 में जब औली में सैफ विंटर गेम्स का आयोजन हुआ तो स्लोप निर्माण के लिए पर्यटन विभाग ने औली से लगे सलूड़ डुंग्रा के 15 काश्तकारों की जमीन अधिगृहीत की। तब भरोसा दिलाया गया था कि बदले में ग्रामीणों को भूमि आवंटित की जाएगी। सलूड़ डुंग्रा के काश्तकारों का कहना है कि जो जमीन पर्यटन विभाग ने अधिगृहीत की, उस जमीन पर 17 परिवारों की गोशालाएं थी। अपनी भूमि गंवाने के बाद अब ये ग्रामीण भूमि के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि भूमि पाने के लिए वह कई बार सरकार व प्रशासन के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें भूमि आवंटित नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन दाताओं में चंद्र सिंह भंडारी, गब्बर सिंह, भरत सिंह, शरत सिंह, कुशल सिंह, हरीश सिंह, सुरेंद्र सिंह, शिव सिंह, गंगा सिंह, मुरली सिंह, दिलवर सिंह आदि शामिल हैं।
आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचा रहे महाजन सभा
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। सेवा में समर्पित अनूठी संस्था समस्त महाजन ने उत्तराखंड में पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा में बेहतर सहयोग दिया और कई स्थानों पर सहायता शिविर लगाये, इसके साथ ही लोगों की वहां पर निस्वार्थ रूप से सेवा कर उन्हें राहत सामग्री आदि वितरित की। संस्था के कार्यकर्ता आज तक इस सेवा कार्य में जुटे हुए है और वहां पर जरूरतमंदों को आवश्यक सामाग्री प्रदान की जा रही है। मंगलवार को जैन धर्मशाला में पत्रकारों से रूबरू होते हुए संस्था के सदस्य हीरा लाल जैन ने कहा कि उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा से वहां पर जन धन की हानि हुई है और कई लोग लापता हो गये है और आज भी वहां पर नर कंकाल मिल रहे है। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा में पीडितों की सहायता करने के लिए समस्त महाजन परिवार मुंबई से उत्तराखंड पहुंचा और बाढ पीडितों को जीवनाश्यक चीजों के किट, फूड पैकेटस, कंबल, रजाई, नकद प्रदान किये और स्वास्थ्य सहायता के साथ ही संस्था ने हरसंभव सेवा करनी आरंभ की यह सेवाकार्य अभी तक जारी है। उनका कहना है कि इन सबके पीछे संस्था का निस्वार्थ उददेश्य एक ही है कहीं भी कोई भी किसी भी जगह संकट के समय मानव और बेजुबान जीवों को सहारा देकर उनकी निस्वार्थ सेवा करना संस्था का उददेश्य है। उनका कहना है कि आज भी संस्था उत्तराखंड के उत्थान के लिए समर्पित है और एक पूर्ण सर्वेक्षण के बाद अक्षत शाह जो कि संस्था के स्वयंसेवी है ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ सर्वेक्षण किया और कई तथ्य सामने आये है। उनका कहना है कि कर्णप्रयाग, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि के अनेक अनाथ आश्रमों, वृद्धाश्रमों में पूर्ण रूप से हरसंभव सहायता दी इसके साथ अनेकों विद्यालय जहां पर बच्चों के कल्याण के लिए संस्थायें समर्पित है उन्हें भी प्रोत्साहित करने के लिए सहायता प्रदान की है। उनका कहना है कि निस्वार्थ भाव से ही संस्था का कार्य व प्रमुख उददेश्य है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने चेताया जिलाधिकारियों को
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। बीते साल के आपदा के बाद राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग सक्रिय हो गया है। मौसम विभाग की सूचनाआंे को वह अब पूर्व की भांति हल्के में नहीं लेता। यहीं कारण है कि मौसम विभाग द्वारा राज्य के पर्वतीय इलाकों के जनपदों में भारी वर्षा की चेतावनी को मौसम विभाग ने गंभीरता से लेते हुये जिलाधिकारियों को सचेत रहने को कहा हैं। आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला ने जनपद अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, ऊधमसिंहनगर एवं नैनीताल के जिलाधिकारियों को भेजे पत्र के माध्यम से कहा है कि मौसम विभाग द्वारा इन जनपदों में अगले 48 घंटों में भारी वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारी जनपदों में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए जनपद स्तर पर आपदा प्रबंधन इकाईयों को तत्पर रहने के निर्देश जारी कर दे। साथ ही आपदा संबंधी किसी भी प्रकार की घटना होने पर उसकी सूचना तत्काल आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र को दी जाये।
एमडीडीए आया बैक फुट पर, सील किये वैडिंग प्वाइंटस खोले
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। दून और मसूरी में विकास के नाम पर मनमानी करने वाला मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण अब न तो उच्च न्यायालय के आदेश मानता है और न ही उनसे सरकार के किसी कानून की परवाह है। अदालत का डण्डा चलने से पहले ही प्राधिकरण के अधिकारियों के सुर बदल गए। इतना ही नहीं उच्च न्यायालयों के आदेशों की अवहेलना करना उनके लिये भारी पड सकता है। उच्च न्यायालय के आदेश मिलने के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने सीज किए गए वैडिंग प्वाइंटस को बिना अन्य किसी आदेश के खोलना भी शुरू कर दिया है। बताते चले कि नैनीताल उच्च न्यायालय ने एमडीडीए के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए तुरंत सील किए गए वैडिंग प्वाइंटस को खोलने के आदेश दिए थे लेकिन एमडीडीए के अधिकारियों नेे हठधर्मिता के कारण अदालत के आदेश की ही अवहेलना शुरू कर दी। यहां तक कि प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने तो न केवल सील किए गए वैडिंग प्वाइंटस को खोलने से मना कर दिया बल्कि नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ भी अपील करने की बात कही थी। यही नहीं उन्होंने अदालत की अवहेलना के मामले में वैडिंग प्वाइंटस संचालको को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को भी कहा था। लेकिन जैसे ही एमडीडीए के अधिकारियों के खिलाफ वैडिंग प्वाइंटस संचालकों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में अदालत की अवहेलना को लेकर याचिका दायर की अपने खिलाफ कार्यवाही का अंदेशा होते ही एमडीडीए ने सील किए गए वैडिंग प्वाइंटों को बिना किसी जुर्माने और अग्रिम कार्यवाही के खोल दिया। एमडीडीए के खिलाफ दायर की इस याचिका पर अदालत 02 अगस्त को सुनवाई करेगा लेकिन इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए प्राधिकरण के अधिकारियों में हडकंप मचा हुआ है। अभी उन्हें अदालत को यह भी बताना है कि किस कानून के तहत वैडिंग प्वाइंट सील किए गए थे।
आपदा में मृतकों के आश्रितों के पुर्नवास पर हुई चर्चा
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में आपदा में मृत लोगों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिये जाने के बारे में बैठक हुई। कानूनी अड़चन के बावजूद विशेष परिस्थितियों में आरक्षण दिये जाने के सभी पहलुओं पर विचार किया गया। तय किया गया कि दूसरे राज्यों में लागू इस तरह की व्यवस्था का आकलन किया जायेगा। महाधिवक्ता से राय लेकर आरक्षण के सम्बंध में कोई न कोई रास्ता निकाला जायेगा। बैठक में प्रमुख सचिव न्याय जयदेव सिंह, प्रमुख सचिव गृह एमएच खान, सचिव आपदा प्रबंधन भास्करानंद, सचिव सचिवालय प्रशासन सीएमएस बिष्ट, अपर सचिव कार्मिक आरसी लोहनी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कारगिल शहीद दिवस शौर्य दिवस के रुप में अकीदत के साथ मनाया जायेः अक्षत गुप्ता
नैनीताल, 15 जुलाई (निस)। कारगिल शहीद दिवस शौर्य दिवस के रूप में 26 जुलाई को जिले भर में पूरे अकीदत के साथ मनाया जायेगा। कार्यक्रमों के निर्धारण के लिये जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता की अध्यक्षता में एक बैठक कलक्ट्रेट सभागर में संपन्न हुयी। इस बैठक में जिलेभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया गया। तयशुदा कार्यक्र्रमों के अनुसार 26 जुलाई को प्रातः 9 बजे हल्द्वानी कालाढूंगी चैराहे पर शहीद मेजर राजेश अधिकारी के स्मृति पटल पर श्रृद्धासुमन अर्पित किये जायेंगे। श्री गुप्ता ने कहा कि इस गौरवमय दिवस पर जिलेभर में सफाई का विशेष अभियान चलाया जाये। शहीद स्मारकों एवं महापुरूषों की मूर्तियों की विशेष सफाई आदि भी करायी जाये। आयोजित कार्यक्रमों में शहीदों की वीरांगाओं के साथ ही पूर्व वरिष्ठ सैनिकों व को भी प्रतिभाग करने के लिये आमंत्रित किया जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि विद्यालयों में खेल-कूद, निबंध, पेंटिंग प्रतियोगिता व कारगिल दिवस पर क्वीज प्रतियोगितायें करायी जायें। विकास खण्ड स्तर पर भी इन कार्यक्रमों को कराया जाये, जिसके पुरस्कार वितरण 26 जुलाई को किये जायें। उन्होंने कहा कि लोगों में राष्ट्रीय एकता एवं देश प्रेम की भावना को और अधिक बलवती बनाने के लिये खेल महकमा क्रास कंट्री दौड़ का आयोजन भी करे। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी बीएस रौतेला नेे बताया कि प्रातः 9.30 बजे हल्द्वानी सैनिक कार्यालय में जिलाधिकारी द्वारा शहीदों की पत्नियों को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक आर0सी0 पुरोहित ने बताया कि इस अवसर पर सभी स्कूलों के बच्चों द्वारा 22 जुलाई को कारगिल दिवस पर क्वीज प्रतियोगिता की जायेगी, इसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वाले बच्चों को पुरस्कार भी दिया जायेगा। बैठक में नीरज जोशी उपनगर अधिकारी नगरनिगम, हरबीर सिंह एसडीएम, डा0 राजेश्वर ंिसह जिला उद्यान अधिकारी, मिथिलेश कुमार सिंह सीओ आरएनआर, विनोद लोहनी मण्डी सचिव, वीके टम्टा अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, एडवोकेट ज्योती प्रकाश, वरिष्ठ नागरिक किसन लाल साह, चन्दन सिंह अधिकारी के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।
39 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों का स्थानांतरण, तीन दर्जन को मिली तरक्की
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। आयुर्वेद विभाग के 39 चिकित्सा अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है। इसके अलावा 36 चिकित्सा अधिकारियों को अपर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक व वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के वेतनमान 15600-39100 ग्रेड वेतन 6600 में पदोन्नति दी गई है। आयुष विभाग के प्रमुख सचिव ओमप्रकाश द्वारा जारी तबादला आदेश के अनुसार डा. साधना रानी अग्रवाल को उधमसिंहनगर से वहज पिथौरागढ़, डा. धीरज आर्य को चंपावत से चितगल गांव, पिथौरागढ़, डा. दीपांकर बिष्ट को अल्मोड़ा से दकोट, बागेश्वर, डा. सर्वजीत सिंह को टिहरी जिला चिकित्सालय से उनाल गांव, डा. विनोद रावत को जि.चि. उत्तरकाशी से खरसाली, डा. जयकिशन को जि.चि. उत्तरकाशी से पफडियार, डा. मनीष कुमार को पिरान कलियर से नैल खंसल चमोली, ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज से डा. आरती पाठक को बडियार गांव पौड़ी, डा. कपिल शर्मा को चैड़ाकोट चंपावत, डा. पल्लवी पुष्प को बौंठ भरपूर, टिहरी व डा. भावना सिंह को खातीगांव बागेश्वर, डा. भावना भदोरिया को नथुवावाला से कथियान देहरादून, डा. पूजा कांडपाल को मोना से डालकन्या नैनीताल, डा. पल्लवी भूषण को अखोड़ी टिहरी से पांखू पिथौरागढ़, डा. प्रदीप मेहरा को नैनीताल में ही आयुष विंग जिला जिला चिकित्सालय, डा. अनिल रावत को जि.चि. हरिद्वार से सुल्तानपुर कुन्हारी, डा. शशि जोशी को मुनिकीरेती से टिहरी कार्यालय तथा अग्रिम आदेश वह पंचकर्म केंद्र मुनिकीरेती से संबद्ध, डा. नरेंद्रदत्त सेमवाल को भटवाड़ा से मुनिकीरेती, डा. ललित कुमार को मैठानाघाट से राजावाला देहरादून, डा. स्वास्तिक सुदेश को डडौली पौड़ी से ढाढेका ढाना, हरिद्वार, डा. रौली जोशी को बागेश्वर से हल्द्वानी, डा. शैलेष जोशी को बागेश्वर से उच्च न्यायालय नैनीताल, डा. आनंद प्रकाश को बागेश्वर से नथुवाखान नैनीताल, डा. अंकुर त्यागी नैनीसैंण चमोली से लंढौरा हरिद्वार, डा. रजनी वर्मा गडोली से मुस्टिक सौड़ उत्तरकाशी, डा. प्रदीप कुमार बाडव रुद्रप्रयाग से राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय रुड़की, डा. ऋचा गंगवार को गोनियारो नैनीताल से मझोला उफध्मसिंहनगर, डा. विमल बडवाल को मैठाना से जाख चमोली, डा. रामेश्वरी आर्य को अस्कोट से नैनीताल, डा. जयदीप सिंह बिष्ट रैंस से कोटद्वार, डा. वंदना ध्यानी को लाखामंडल से हरबर्टपुर, डा. रंजीत रावत को अलगड़ा से मरखा पिथौरागढ़, डा. नितिन गुनसोला को जिला कार्यालय देहरादून से झाझरा, डा. पवन वर्मा को ओखड़ी से भैंसियारो टिहरी, डा. भारती चैहान को मेदाल से सेलाकुई, डा. अनिता कुकसाल को बिहारीनगर से जिला चिकित्सालय महिला आयुष विंग हरिद्वार, डा. त्रिभुवन बेंजवाल को जि.चि. महिला हरिद्वार से बिहारीनगर, डा. लता पंत को लौबांज बागेश्वर से धनाचूली नैनीताल, डा. सिद्धि पंत को जाखपंथ से नगर पिथौरागढ़ स्थानांतरित किया गया है। चिकित्सा अध्किारी से 6600 ग्रेड वेतन में पदोन्नत डा. रवि कुमार यथावत ऋषिकुल कालेज, डा. दिनेश गर्ग आयुर्वेद निदेशालय, डा. प्रमोद कुमार कपूर को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी चमोली का प्रभार, डा. अल्का अग्रवाल यथावत ऋषिकुल कालेज, डा. अशोक त्यागी को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी उत्तरकाशी का प्रभार, डा. विश्वम्भरदत्त डिमरी को जिला आयुर्वेदिक अध्किारी बागेश्वर का प्रभारी, डा. राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी अपर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी देहरादून, डा. भानुप्रताप सिंह चिकित्सा अधीक्षक पंचकर्म यूनिट उत्तरकाशी, डा. अंबरेषचन्द्र उपाध्याय को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी पौड़ी का प्रभार, डा. योगेश पाल को जिला आयुर्वेदिक अधिकारी रुद्रप्रयाग का प्रभार, डा. अशोक बडोला को जिला आयु. अध्किारी उफध्मसिंगनगर का प्रभार, डा. नरेश गुप्ता वरिष्ठ चिकित्साध्किारी जि.चि. हरिद्वार, डा. सबज कुमार आनंद को जिला आयु. अध्किारी चंपावत का प्रभार, डा. महेंद्र पाल को वरिष्ठ चिकित्साधिकारी चमोली, डा. रविंद्र प्रताप सिंह अपर जिला आयुर्वेदिक अध्किारी अल्मोड़ा, डा. मिथिलेश कुमार वरिष्ठ जिला चिकित्सा अध्किारी हरिद्वार, डा. कृष्ण लाल जि.चि. रुद्रप्रयाग, डा. कृष्ण सिंह नपलच्याल को जि. आयु. एवं यूनानी अध्किारी नैनीताल का प्रभार, डा. रघुवीर सिंह को जि.चि. चमोली, डा. गिरीश जंगपांगी को जि.आयु. अध्किारी पिथौरागढ़ का प्रभार, डा. महेंद्र सिंह गुंज्याल को वरिष्ठ चिकित्सा अध्किारी उधमसिंहनगर, डा. राजेंद्र पांडे जिला चिकित्सालय चंपावत, डा. यतेंद्र रावत को वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी निदेशालय/सहायक औषधि नियंत्रक, डा. संपूर्णानंद रतूड़ी जिला चि. अल्मोड़ा, डा. राजेंद्र भट्ट जि.चि. अल्मोड़ा, डा. राजीव वर्मा गुरुकुल कालेज हरिद्वार, डा. उमेश पाठक जि.चि. पिथौरागढ़, डा. अशोक कुमार शर्मा वरिष्ठ चिकित्सा अध्किारी उत्तरकाशी, डा. जमुनादत्त द्विवेदी जि.चि. बागेश्वर, डा. महेंद्र सिंह जि.चि. उत्तरकाशी, डा. विरेंद्र कुमार जि.चि. पौड़ी, डा. सुरेश शर्मा जि.चि. टिहरी, डा. ओपी बहुखण्डी जि.चि. पौड़ी, डा. मानसिंह जि.चि. टिहरी, डा. उमेश जोशी जि.चि. चमोली व डा. मंजू अग्निहोत्री जिला चिकित्सालय हरिद्वार शामिल हैं।
पर्यावरण विद चंडीप्रसाद भट्ट को गांधी शांति पुरस्कार
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। प्रसिद्ध गांधीवादी व पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2013 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया। महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती पर 1995 में यह पुरस्कार शुरू किया गया था। इसके तहत एक करोड़ रूपये नकद , प्रशस्ति पत्र और पट्टीका प्रदान की जाती है। पिछली सरकार ने श्री भट्ट को यह पुरस्कार देने की घोषणा की थी। वर्ष 1934 में जन्में श्री भट्ट चिपको आंदोलन के अग्रणीय नेताओं में से एक है। उन्हें 1982 में मैग्सेसे और 2005 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में वे हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) के अध्यक्ष भी है। इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार हमारे इस विश्वास की अभिव्यक्ति है कि गांधी जी जिन आदर्शों का पालन करते थे, वह हमारी सामूहिक जीवंत विरासत का हिस्सा है। इस विरासत में ‘एक राष्ट्र’ होने का विचार व्याप्त है। यह हमारी विविधता का, हमारी बहु-संस्कृति का, हमारी विभिन्न भाषाओं, धर्मों तथा विभिन्न जीवन शैलियों का समारोह है। यह उनका विचार था जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया। लोकतंत्र के प्रति हमारी गहन तथा अविचल प्रतिबद्धता इसी विचार से उपजी है। हमने इन आदर्शों से मार्गदर्शन लेना जारी रखा हैय हम उनके प्रति प्रतिबद्ध हैं, इसलिए नहीं कि यह हमारा बीता हुआ समय है वरन् इसलिए क्योंकि यह हमारा भविष्य भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें सदैव यह ध्यान में रखना होगा कि हम महात्मा गांधी की विरासत के न्यासी हैं। न्यासी के रूप में उस विरासत की संरक्षा, सुरक्षा करना तथा उसका प्रसार करना हमारा पावन कर्तव्य है जो संपूर्ण मानवता की धरोहर है। श्री भट्ट का सम्मान करते हुए हम उन सभी अनगिनत महिलाओं और पुरुषों को सम्मानित कर रहे हैं जो प्रकृति के न्यासी बने तथा जिन्होंने अपने अंगीकार द्वारा हमारे स्वराज का विस्तार किया। उन्होंने श्री भट्ट की पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनके समर्पित, अथक तथा बहुमूल्य कार्य के लिए प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि श्री भट्ट हमारे समय के ऐसे आजीवन गांधीवादी, समर्पित तथा आधुनिक दूरद्रष्टा पर्यावरणविद हैं जिनका जीवन ही उनका संदेश है। उनका कार्य ऐसे अनोखे प्रेम का साकार स्वरूप है जो प्रेम बहुत पहले ही सार्वभौमिक बन चुका है। इस प्रेम में प्रकृति तथा प्रकृति के तहत संपूर्ण रचना से प्रेम का समावेश है। 1973 में उनके द्वारा शुरू किए गए चिपको आंदोलन में भी ईंधन तथा घास इकट्ठा करने के पहाड़ी लोगों के विधिसम्मत अधिकारों की प्राप्ति तथा बड़े पैमाने पर वनों के कटान के कारण उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए इसी प्रकार का शांतिपूर्ण तथा अहिंसक सत्याग्रह शुरू किया गया था। इसमें उस रचना की रक्षा की खास जिम्मेदारी पर जोर दिया गया है जो मानव को प्रदान की गई है। चिपको आंदोलन न केवल गूढ़ प्रेम का आंदोलन था वरन् अभी भी बना हुआ है। वह प्रेम जो पेड़ों से लिपटने में निहित है। इसका अर्थ है प्रकृति को इसकी सभी विविधताओं, उपहारों तथा अनुग्रहों सहित अपनाना। यह तुच्छ लालच के विरुद्ध प्रेम का आंदोलन है। राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी के शब्दों में उनके समक्ष नैतिकताविहीन अर्थतंत्र का कोई महत्त्व नहीं था। इस साधारण सी ढाल ने ऐसा नैतिक ढांचा खड़ा किया है जिसके तहत मानवीय दक्षता को संचालित होना है। अर्थतंत्र के केंद्र में नैतिकता रखकर गांधी ने हमें ऐसा विचार प्रदान किया है जिसका महत्त्व हमें अब समझ में आने लगा है। श्री भट्ट का आंदोलन, न्यासी होने के इस विचार का एक सर्वोत्तम उदाहरण है। उनके कार्यों के माध्यम से, श्री भट्ट ने इस देश को तथा कुल मिलाकर संपूर्ण विश्व को यह याद दिलाया है कि हम भविष्य के लिए भी उत्तरदायी हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अहिंसा केवल एक पद्धति अथवा उपकरण नहीं है। इसमें राज्य तथा उन लोगों की मानवता सहित, जिन्हें हम चुनौती दे रहे हैं, दूसरों की मानवता को स्वीकार करने की अपेक्षा होती है। यह एक ऐसी सक्रिय ताकत है जो मैं और तुम का अंतर खत्म करते हुए दूसरों को गले लगाती है। भट्ट के आंदोलन में संकटग्रस्त तथा अचेतन लक्ष्यों से शारीरिक रूप से लिपटते हुए अहिंसा को अपनाने का रास्ता दिखाया गया है। श्री भट्ट ने न केवल अपनी जिम्मेदारी के प्रति हमारी समझ को गहन किया है बल्कि पूरे विश्व को अहिंसा की शक्ति पर एक प्रेरणादायक पाठ प्रदान किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि 2019 में गांधी की 150वीं जन्म जयंती मनाई जाएगी तथा इसे हम शौचालय रहित घरों की अपमानजनक स्थिति खत्म करके तथा सरकार द्वारा पूरे देश में स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन तथा सफाई सुनिश्चित करने के लिए घोषित स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाकर ही सही मायने में मना सकते हैं।
केन्द्र से अतिरिक्त बिजली की मांग के लिए भेजे प्रस्ताव: सीएम
देहरादून, 15 जुलाई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नई दिल्ली एम्स में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों एंव ऊर्जा क्षेत्र में राज्य में कार्य करने वाली विभिन्न संस्थाओं के अधिकारियों के साथ ऊर्जा उत्पादन सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य है, हमारी विषम भौगोलिक परिस्थतियों को देखते हुए केन्द्र सरकार से अतिरिक्त बिजली की मांग के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाल में आयी आपदा के कारण सभी क्षेत्रों को काफी नुकसान हुआ है, इसमें ऊर्जा उत्पादन पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बने, इसके लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने राज्य में कार्य कर रही ऊर्जा क्षेत्र की संस्थाओं से राज्य हित में उत्पादन बढ़ाने की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में बिजली कटौती के पक्ष में नही है और इसके लिए बाहर से बिजली खरीद कर राज्यवासियों को नियमित रूप से बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। मुख्यमंत्री ने टी.एच.डी.सी. के अधिकारियों को निर्देश दिये कि बिजली उत्पादन में तेजी लाये, ताकि इसका लाभ राज्य को भी मिल सके। उन्होंने टी.एच.डी.सी. अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्यवासियों से जुड़े मुद्दों का भी शीघ्र समाधान किया जाय। मुख्यमंत्री ने एन.एच.पी.सी., जे.पी.पांवर, जी.वी.के. सहित अन्य कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों से राज्य में संचालित बिजली परियोजनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने सचिव ऊर्जा से भी राज्य में बिजली उत्पादन और वितरण की स्थिति की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने निर्देश दिये कि लाइन लाॅस को कम किया जाय। राज्य सरकार द्वारा संचालित बिजली परियोजनाओं पर और अधिक ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश में बिजली उत्पादन और वितरण व्यवस्था को मजबूत किया जाय। पुराने बिजली घरों की मरम्मत की जाय, ताकि बिजली उत्पादन में वृद्धि हो सके। मुख्यमंत्री ने सचिव ऊर्जा को यह भी निर्देश दिये कि जिन बिजली परियोजनाओं को सभी प्रकार की स्वीकृतियां मिल गई है, उन पर कार्य तेजी से पूरा किया जाय, ताकि प्रदेश को उनका लाभ मिल सके। उन्होंने लम्बित परियोजनाओं के संबंध में भी प्रभावी पहल करने के निर्देश दिये। बैठक में सचिव ऊर्जा डाॅ. उमाकांत पंवार, प्रबंध निदेशक जल विद्युत निगम जे.पी.पटेल, टी.एच.डी.सी., एन.एच.पी.सी., जी.वी.के., जे.पी.पांवर आदि संस्थाओं के अधिकारी उपस्थित थे।