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सलीम अल-जुबौरी इराकी संसद के अध्यक्ष निर्वाचित

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salim al jubouri
इराकी सांसदों ने मंगलवार को नव गठित संसद के अध्यक्ष के रूप में सलीम अल-जुबौरी को चुन लिया। अध्यक्ष का चुनाव होने के साथ ही सुरक्षा संकट से घिरे इराक में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है।  समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अल-जुबौरी को संसद की बैठक में हिस्सा ले रहे 273 सांसदों में से 194 का समर्थन हासिल हुआ। इराक के संविधान के मुताबिक अध्यक्ष को संसद के 328 सदस्यों में से 165 का समर्थन होना जरूरी होता है।

अध्यक्ष पद के दो प्रत्याशियों में सलीम अब्दुल्लाह अल-जुबौरी सुन्नी अरब गुट के थे, जबकि स्वतंत्र संसदीय गुट सिविल अलायंस की ओर से महिला सांसद श्रौउक अल-उबैयाची प्रत्याशी थीं। इराक के पूर्वी प्रांत दियाला में 1971 में जन्मे सलीम अल-जुबौरी ने 2001 में कानून में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की। 2005 में हुए अमेरिकी हमले के बाद वह पहली संसद के लिए चुने गए और विधिक समिति के प्रमुख रहे। वह 2010 में फिर से संसद के लिए चुने गए और मानवाधिकार समिति के अध्यक्ष रहे।

30 अप्रैल को हुए संसदीय चुनाव में जुबौरी दियाला प्रांत के सुन्नी गुट के प्रमुख रहे और दियाला की 14 संसदीय सीटों में से अधिकांश पर कब्जा किया था। इराक के संविधान के मुताबिक, संसद के अध्यक्ष के निर्वाचन के 30 दिनों के भीतर नए राष्ट्रपति का निर्वाचन करना अनिवार्य है। इसके बाद नए राष्ट्राध्यक्ष के पास सांसदों से प्रधानमंत्री को मनोनीत करने को कहने के लिए एक पखवाड़े का वक्त होता है। इसके बाद प्रधानमंत्री नई सरकार के गठन के लिए जिम्मेदार होता है।

मनोनीत प्रधानमंत्री को अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों का चुनाव करने और सूची संसद के सामने पेश करने के लिए 30 दिनों का समय होता है। इससे पहले संसद के प्रथम सत्र की शुरुआत एक जुलाई को हुई थी, लेकिन अध्यक्ष पद पर राजनीतिक मतभेद उत्पन्न होने की वजह से पहले इसे आठ जुलाई और फिर 13 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। देश में सुरक्षा की गंभीर होती स्थिति में नई यूनिटी सरकार इराक के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है जो सुन्नी आतंकवादियों के कारण देश पर मंडरा रहे विभाजन के खतरे को टाल सके।

10 जून को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड ग्रेटर सीरिया (आईएसआईएस) के सुन्नी आतंकवादियों द्वारा मोसुल और तिकरित पर कब्जा कर लेने के बाद से इराक गंभीर सुरक्षा संकट से गुजर रहा है। आतंकवादियों के अचानक और जोरदार हमले के कारण इराकी सुरक्षा बलों को पीछे हटना पड़ा और देश के उत्तरी एवं पश्चिमी क्षेत्रों पर आईएसआईएस के आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया।

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