पटना। आप विश्वास नहीं करेंगे! मगर यह सच है। कुर्जी मोड़ से मखदुमपुर मोहल्ला की दूरी 1 किलोमीटर से कम है। कुर्जी मोड़ से मखदुमपुर मोहल्ला तक 6 रू. ले रहे हैं। दानापुर बस पड़ाव से गोला रोड तक की दूरी 4 किलोमीटर से अधिक है। दानापुर बस पड़ाव से गोला रोड तक 6 रू. भाड़ा लेते हैं। यह बेइंसाफ का नजारा है। अन्याय के खिलाफ कौन कदम उठाएंगा!
कुछ माह पहले आॅटो संघ के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक की गयी थी। उसमें सहमति बनी थी। एक टेम्पो में 6 लोग और चालक सीट पर 1 लोग बैठेंगे। पटना स्टेशन से दानापुर बस पड़ाव तक 19 रू. भाड़ा निर्धारित किया गया। इस सहमति को ठेंगा दिखा दिया। अपने ढंग से नियम बना लिए। एक टेम्पो में 8 और चालक सीट पर 3 लोगों को बैठाना शुरू कर दिया। पटना स्टेशन से दानापुर बस पड़ाव तक 15 रू. भाड़ा निर्धारित कर दिया। इसी नियम को डीजल से चलाने वाले टेम्पो चालक आगे की ओर बढ़ाते चले जा रहे हैं।
वहीं पेट्रोल से चलाने वाले टेम्पो ने अलग से भाड़ा निर्धारित कर यात्रियों को लूटने लगे हैं। पटना स्टेशन से आशियाना तक ही 20 रू. भाड़ा बटोर रहे हैं। सबसे बुरा हाल है। पटना-दानापुर मुख्य मार्ग का है। कुर्जी मोड़ से मखदुमपुर मोहल्ला तक 6 रू. ले रहे हैं। कुर्जी मोड़ से मखदुमपुर मोहल्ला की दूरी 1 किलोमीटर से कम ही है। वहीं पटना स्टेशन से दानापुर मुख्य मार्ग पर दानापुर बस पड़ाव से गोला रोड तक 6 रू. भाड़ा लेते हैं। दानापुर बस पड़ाव से गोला रोड तक की दूरी 4 किलोमीटर से अधिक है। तब समझ ले कि किस तरह टेम्पो चालक नियम बना रहे हैं और सरकारी नियम को तोड़ रहे हैं। चूंकि यात्रियों को सफर करना है। इस लिए श्रणिक विरोध के बाद जेब से मांगी गयी रकम को भुगतान करने को बाध्य हैं। खुद ही टेम्पो चालक भी गलत समझ रहे हैं। मगर यह कहकर टाल दे रहे हैं कि पिछले बार यात्रियों ने खुशी-खुशी 5 रू.दिए। इस समय तो 1 रू. ही बढ़ोतरी की गयी है। लोगों ने मांग की है कि कुर्जी मोड़ से आईटीआई तक लोकल भाड़ा की तरह 5 रू. ही भाड़ा लिया जाए।
टेम्पो चालकों कहना है कि जिला प्रशासन के द्वारा टेम्पो चालकों पर ही अत्याचार किया जाता है। टेम्पो पड़ाव का अभाव है। किधर भी टेम्पो नहीं लगा सकते हैं। ऐसा करने से भारी दण्ड चुकाना पड़ता है। यहां पर नहीं रोको और वहां पर नहीं रोको का नारा दिया जाता है। आखिरकार टेम्पो चालक किधर जाकर टेम्पो स्टैण्ड करेंगे! हमलोग पुलिस को नाजायज दे देकर परेशान हैं। हम टैक्स देते हैं। अन्य लोग भी टैक्स देते हैं। चार और दो पहिया वाहन किधर भी चाहते हैं। वहां पर वाहन खड़ा कर देते हैं। सिर्फ सरकारी अधिकारियों और पुलिस की आंख की किरकिरी तीन पहिया वाहन ही बनता है। इस ओर इंसान करने की जरूरत है।
आलोक कुमार
बिहार