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चीन के नए नक्शों में अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया

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भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए ईमानदार कोशिश के वादे कर रहा चीन अपनी सेनाओं के लिए तैयार नए नक्शे से भारत की चिंता बढ़ा दी है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपने सैनिकों के लिए तैयार डेढ़ करोड़ से अधिक 'युद्ध नक्शों'में अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया है। साथ ही अक्साई चिन समेत वास्तविक नियंत्रण रेखा के विवादस्पद हिस्सों को भी अपनी जमीन बताया है। तीस साल बाद चीन द्वारा अपनी सेनाओं को दिए जा रहे ताजा नक्शों को लेकर सतर्क भारतीय खेमा इस मामले को बीजिंग के साथ उठाने की तैयारी कर रहा है।

महत्वपूर्ण है कि चीन का यह कदम अपने क्षेत्रीय दावों पर जोर देने की कवायद है। सैन्य और कूटनीतिक सूत्र मानते हैं कि चीन के इस कदम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसे चीन के साथ उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान लगातार उठाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि भारत यह कई बार स्पष्ट कर चुका है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है। वहीं भारतीय खेमा पहले भी नक्शों को लेकर अरुणाचल पर चीन के दावों को खारिज करता रहा है।

पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल कहते हैं कि नक्शे पर अपने दावों को लेकर नए चीनी पैंतरे को समझने की जरूरत है। यह नहीं भूलना चाहिए कि जापान के साथ व्यापक कारोबारी रिश्तों के बावजूद समुद्री द्वीपों को लेकर हुए विवाद में चीन ने कोई मुरव्वत नहीं दिखाई। लिहाजा यह ध्यान रखना होगा कि भारत के साथ गहरे आर्थिक रिश्तों के बावजूद चीन अपने क्षेत्रीय दावों पर कड़ा रुख अपना सकता है। सिब्बल कहते हैं कि पिछली सरकार ने सीमा पर चीनी घुसपैठ की घटनाओं को छोटा कर दिखाने की चूक की। नई सरकार को इससे बचना चाहिए।

चीन ने 30 साल बाद अपने नक्शों को जीयोसेंट्रिक कोऑर्डिनेट सिस्टम से अपडेट किया है। चीनी सेना के मुख्यालय के मुताबिक यह कवायद सभी सैनिकों तक एक-समान नक्शा पहुंचाने की है। लांझाओ मिलिट्री एरिया कमांड द्वारा तैयार इन नक्शों को अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों तक पहुंचाया जा रहा है। इस कमांड ने नौ जुलाई तक अपने कागज पर छपे डेढ़ करोड़ से अधिक प्रतियां वितरित कर दी। गौरतलब है कि चीन ने इन नक्शों को अभी सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन, बताया जाता है कि इनमें भारत के अरुणाचल प्रदेश व दक्षिण चीन सागर में स्थित कई द्वीपों को चीनी भू-भाग का हिस्सा बताया गया है। गौरतलब है कि बीते एक साल के दौरान चीनी घुसपैठ के कई मामले सामने आए हैं। दोनों देशों के बीच नए सीमा रक्षा समझौते के बावजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ के मामलों में कोई कमी नहीं आई है।

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