लखनऊ रू मोहनलालगंज के प्राथमिक विद्यालय परिसर में एक महिला साँसों को अलविदा कह गई। ज़हन में पल रही उम्मीदों से भी उसका नाता टूटा और ख्वाब........उसके लहू के साथ बह गये। यूपी में हुए दरिंदगी के मामले में एडीजीपी सुतापा सान्याल ने महिला के साथ बलात्कार न होने की बात कही। उन्होंने बताया कि अभियुक्त के मुताबिक़ बलात्कार करने में सफल न होने पर ही उस महिला की निर्ममता से हत्या कर दी गई। मृत महिला के गले से चोट के निशान भी मिले हैं। हत्या का आरोपी उस महिला के साथ अस्पताल में काम करने वाला सिक्योरिटी गार्ड ही बताया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक़ घटना को एक व्यक्ति ने ही अंजाम दिया और काफी खून बह जाने से महिला की मौत हो गई।
इन सब से इतर एक बात मन को बार बार और कई बार कचोट चुकी है। आखिर कैसे कह दिया गया कि बलात्कार नहीं हुआ ? दुराचार नहीं हुआ ? हत्या जैसे हल्के शब्दों के साथ अब उस महिला को तौला जा रहा है। जबकि दरिंदगी का नंगा नाच कैमेरों ने सबूत के तौर पर जुटाया। सोशल साइट्स पर महिला की इज्जत रह रह कर उतारी गई। औंधे मुंह पड़ी महिला को सीधा कर तस्वीरबाजी की गई। और प्रशासन अपने मुंह में रुमाल लगाये ताकता रहा। जार जार हुई इंसानियत को अलट पलट के झांकता रहा। बेशक महिला ने दुहाई दी होगी। उस नराधम को ईश्वर की, खुदा की और बच्चों की भी। पर वो न माना और मृत महिला के दोनों बच्चों को अनाथ कर दिया। बिन कपड़ों के पड़ा महिला का शव लोगों के लिए लाइक और शेयर करने का बहाना बन गया। क्या अभी भी लगता है कि दुराचार नहीं हुआ घ् तो मैं बता भी देता हूँ किसने किसने दुराचार किया। निर्वस्त्र पड़ी महिला की फोटो लेने वालों ने। सुरक्षा के उन ठेकेदारों ने जो उसके मृत शरीर को नमूना बनाकर अलटते पलटते रहे। और वे भी जिन्होंने उसकी मजबूरए मायूस तस्वीरों को जमकर उछाला। और फिर उस हत्यारोपी ने।
बहरहाल मुख्यमंत्री ने आनन फानन में आईटी एक्ट के अंतर्गत सोशल साइट्स पर तस्वीरें शेयर होने के मामले में घटनास्थल पर मौजूद पुलिसवालों को निलंबित कर दिया। खबरों के मुताबिक़ सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने मृत महिला के दोनों बच्चों के नाम दस - दस लाख की फिक्स डिपाजिट और इंटर तक मुफ़्त शिक्षा की बात कही। बलसिंह खेड़ा गाँव में हुई इस दरिंदगी की घटना के बाद लापरवाही बरतने के कारण मोहनलाल गंज के इंस्पेक्टर कमरुद्दीन और सब इंस्पेक्टर मुन्नीलाल को निलंबित कर दिया गया। लेकिन इससे एन सी आर बी के दावों को नहीं झुठलाया जा सकता। जिसने आपराधिक दर में 55 फीसदी के इजाफे की बात कही। और न ही उस विवादित बयान को भूला जा सकता है जो आबादी और अपराध को गिनाती है। लड़कों से गल्तियाँ हो जाती हैं इससे नामुराद बलात्कारियों का ज़ज्बा बढ़ाती हैं।
सरकार और प्रशासन अपने नाकामियत की खीझ मार कर पीट कर, तबादले करके, निलंबन करके निकाल रही है। लखनऊ में आप कार्यकर्ताओ द्वारा मोहनलालगंज में हुई घटना के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया। जिस पर नाकाम प्रशासन ने खीझ निकालते हुए लाठी चार्ज कर दिया। वहीं सहानुभूति जताने की झूठी कोशिश कर रही आप पार्टी की अल्का लाम्बा ने मृत महिला की नग्न तस्वीरें सोशल साईट पर शेयर की थी। जिसके कारण उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो गई।
लेकिन सवाल फिर से वास्तविकता को हांशिये में डाल रहा है। और सवाल तो यही है कि क्या अभी भी आपको लगता है कि दुराचार नहीं हुआ ?
---हिमांशु तिवारी---
जागरण इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन
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