महाराष्ट्र सदन में शिवसेना सांसदों द्वारा रमजान के दौरान एक मुस्लिम कर्मचारी का जबरन रोजा खुलवाने की घटना ने बुधवार को राजनीतिक तूफान का रूप ले लिया। संसद के दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ, जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सरकार ने मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया है। इस घटना को लेकर जहां कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लिया वहीं पहले इस मामले में टिप्पणी से इनकार करने के बाद विपक्ष की नाराजगी को देखते हुए मामले की जांच करने का आश्वासन दिया। कांग्रेस ने घटना को 'धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ अपराध'करार दिया।
विवाद खड़ा करने वाले शिव सेना के सांसद रंजन विचारे ने बुधवार को अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्हें पता नहीं था कि कर्मचारी मुस्लिम है। कर्मचारी रमजान के दौरान रोजा रखे हुए था। सांसद ने यह भी कहा कि राज्य के अतिथि गृह में खाने की घटिया गुणवत्ता का वे विरोध कर रहे थे। उनकी पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मामले को 'सांप्रदायिक'रंग देने की आलोचना की और इसे 'मामूली घटना'कहकर हल्का करने की कोशिश की। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सभी नेताओं ने इस पर चुप्पी साध ली, लेकिन पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने केवल इतना कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है।'
विपक्ष हालांकि विचारे के कदम पर हमलावर बना रहा। विपक्ष ने शिव सेना सांसद के कदम को मुसलमानों की भावना आहत करने वाला बताया। कांग्रेस ने संसद के भीतर और बाहर सरकार की आलोचना की। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, "यह घटना अत्यंत निंदनीय है।"दूसरे कांग्रेसी नेता एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि यह देश में धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ सबसे बड़ी घटना है। मोइली ने कहा, "यह अत्यंत संवेदनशील मामला है। ऐसी घटनाएं कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध किया है।"
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घटना संविधान के तहत प्रदत्त धर्म के अनुसरण के निजी अधिकार पर अतिक्रमण है। आजाद ने कहा, "यह भारत के संविधान के उस बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है जिसके तहत हर किसी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी दी गई है।"राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने प्रश्नकाल के बाद सदन में हंगामा किया, जिसके बाद उप सभापति पी.जे.कुरियन ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इस मुद्दे को बाद में जनता दल-युनाइटेड के अली अनवर अंसारी ने शून्यकाल के दौरान उठाया। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति एवं सहिष्णुता का अपमान करार दिया।
सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार सच का पता लगाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि यह अप्रमाणित रिपोर्ट है। इसे लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। वास्तव में जानने की जरूरत है कि असल में क्या हुआ? कुरियन ने इसके बाद सरकार को मामले की सच्चाई का पता लगाने और इसकी रिपोर्ट सदन में पेश करने के निर्देश दिए।
उधर, लोकसभा में शून्यकाल के दौरान केरल से कांग्रेस के सांसद एम. आई. शानवास ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। वहीं, शिवसेना सांसद और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंद गीते ने घटना होने से ही इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना कभी नहीं हुई। लेकिन इसके बाद सभी खबरिया चैनलों पर विचारे को कर्मचारी के मुंह में जबरन खाना ठूंसते दिखाया गया।