केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि मरीजों को सरकारी और निजी अस्पतालों से अपना मेडिकल रिकॉर्ड प्राप्त करने का अधिकार है। आयोग ने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमैन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेस को खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की पूर्व अधिकारी निशा प्रिया भाटिया को उनका मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
भाटिया दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर इस इंस्टीट्यूट में भर्ती थीं। इंस्टीट्यूट ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून की धारा 8(1)(एच) का हवाला देते हुए भाटिया का मेडिकल रिकॉर्ड देने से मना कर दिया था। उसका कहना था कि यह धारा अधिकारी को वैसी सूचना रोकने की अनुमति देता है जिससे जांच में बाधा आ सकती हो। इस दावे को अस्वीकार करते हुए सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि मरीजों को अपना मेडिकल रिकॉर्ड प्राप्त करने का अधिकार है। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में इसका प्रावधान है और मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध कराना प्रतिवादी अस्पतालों का कर्तव्य है। उनके मुताबिक विभिन्न सूचना आयोग सरकारी और निजी अस्पतालों के संबंध में मरीजों के इस सूचना के अधिकार को लागू कर सकते हैं। भाटिया ने आयोग के समक्ष आरोप लगाया था कि अपने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने के कारण उन्हें मानसिक रूप से बीमार दर्शाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।