दिल्ली की एक अदालत ने साल 2008 के नोट के बदले वोट मामले के एक अहम गवाह के कथित तौर पर अपहरण के मामले में राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और दो अन्य गवाहों के खिलाफ फौजदारी शिकायत को खारिज करने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। अदालत 4 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज कपूर ने शिकायतकर्ता हशमत अली के वकील और अमर सिंह और अन्य के वकील की दलीलों को सुनने के बाद सुनवाई पूरी कर ली। अली वोट के बदले नोट घोटाले में अहम गवाह है। अमर सिंह और उनके सचिव तरण अदालत में आज उपस्थित हुए जबकि तीसरा व्यक्ति रमेश अनुपस्थित रहा क्योंकि उसके खिलाफ जारी सम्मन पर तामील नहीं हुई।
सुनवाई के दौरान अली के वकील ने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल का तरण और रमेश ने खान मार्केट से 25 सितंबर 2008 को उस वक्त अपहरण किया था जब वह नोट के बदले में वोट घोटाले की जांच कर रही संसदीय जांच समिति के समक्ष गवाही देने जाने वाला था। उन्होंने कहा कि अली का अपहरण करने के बाद तरण और रमेश उसे सिंह के आवास पर ले गए। वहां से उसे पुलिस को सौंपा गया। अली के वकील ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट ने सिंह और दो अन्य के खिलाफ उनकी फौजदारी शिकायत को यह कहकर खारिज कर दिया था कि आरोपों की पुष्टि करने के लिए स्वतंत्र गवाह नहीं थे। उन्होंने कहा, (कथित) अपराध किसी स्वतंत्र गवाह के समक्ष नहीं किए गए तो फिर किसी स्वतंत्र गवाह के समक्ष परीक्षण का कहां सवाल उठता है।
उनकी दलीलों का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और अधिवक्ता एस पी एम त्रिपाठी ने कहा कि मजिस्ट्रेट का आदेश न सिर्फ अली की गवाही पर आधारित था बल्कि सीआरपीसी के तहत स्वतंत्र जांच भी की गई। हरिहरन ने यह भी कहा कि यहां तक कि पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में पहले कहा था कि अली के आरोपों की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं है। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अली की पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश 4 अगस्त तक सुरक्षित रख लिया। अली ने इस साल जनवरी में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा सुनाए गए आदेश को चुनौती दी थी।