शिमला , 06 अगस्त (विजयेन्दर शर्मा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की आज उस समय मुशिकलें ओर बढ़ गईं , जब उनके खिलाफ पहली नजर में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता नजर आ रहा है। इस मामले में केंद्र सरकार ने आज दिल्ली हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। हाईकोर्ट ने आयकर विभाग से कहा कि वह उसके समक्ष मुख्यमंत्री का कर आकलन रिकॉर्ड तथा अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करे। मामला उनके इस्पात मंत्री बने रहने के दौरान का है। अब इस पर सीबीआई को फैसला लेना है। सीबीआई ने इस मसले पर कोर्ट को सीलबंद दो रिपोर्ट भेजी हैं और कोर्ट रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अगले हफ्ते फैसला देगा। चिर परिचित इस फैसले को लेकर पूरे हिमाचल की आज नजरें थीं। यही वजह है कि हर कोई इस ओर नजरें गढ़ाये था। हिमाचल में आज ही मानसून सत्र का आगाज भी हो गया। यही वजह है कि आने वाले दिनों में वीरभद्र सिंह की मुशिकलें ओर बढ़ेंगी।
एक ओर उन्हें कोर्ट के अगले हफते आने वाले फैसले का इंतजार करना होगा। वहीं तब तक विपक्ष के हमलों के साथ साथ पार्टी में अपने विरोधियों से भी निपटना होगा। लेकिन यह तय है कि धन शोधन का यह मामला वीरभद्र सिंह के गले की फांस बन गया है। व उनका राजनैतिक भविष्य ही दांव पर लग गया है। हालांकि माना जा रहा था कि सी बी आई की रिर्पोट आज ही कोर्ट में सार्वजनिक हो जायेगी, लेकिन ऐसा तो नहीं पाया। इससे वीरभद्र सिंह को कुछ दिन के लिये भले ही राहत मिल गई हो। परंतु लगता नहीं कि वह इस मामले पर कोई बचाव कर पायेंगे। क्योंकि उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी माना गया है। लगता है हिमाचल के सी एम पर लटकी संकट की तलवार आसानी से टलती नजर नहीं आ रही।
उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर सीबीआई को यह अंतरिम निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के वर्तमान कार्यकाल में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करे। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ में ‘कॉमन कॉज’ नाम के एक गैर-सरकारी संगठन ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री के तौर पर वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में उन पर लगे धनशोधन, आय से अधिक संपत्ति जमा करने और आपराधिक दुव्र्यवहार के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच कराई जाए। जानेमाने वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जनहित याचिका लंबित रहने के दौरान यह सामने आया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने साई कोठी में 14 जून 2002 को एक पनबिजली परियोजना मेसर्स वेंचर एनर्जी एंड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित कर दी। इस बीच मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर वीरभद्र सिंह ने सफाई देते हुये कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं किया, मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित है।