देश में बढ़ते सांप्रदायिक झड़पों पर चर्चा की मांग को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को लोकसभा में अध्यक्ष की आसंदी तक पहुंच गए। उनके साथ अन्य सांसद भी थे। इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों का हंगामा जारी रहा। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक दंगे पर चर्चा कराए जाने और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ विधेयक सदन में लाने की मांग की।
कुछ मिनट बाद राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस सांसद लोकसभा अध्यक्ष की आसंदी के पास चले गए, जिसे देखते हुए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.वीरप्पा मोइली ने आईएएनएस को बताया कि राहुल पहली बार सदन की आसंदी के नजदीक विरोध जताते हुए गए हैं। यह सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ उनके गुस्से को दर्शाता है।"सदन से बाहर आने के बाद राहुल ने मीडिया के सामने अध्यक्ष पर विपक्ष को नहीं बोलने देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "हम चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार को चर्चा मंजूर नहीं है। संसद में ऐसा माहौल था कि सिर्फ एक व्यक्ति की आवाज सभी देशवासियों की मानी जाएगी और सिर्फ एक की आवाज सुनी जा रही है।"सदन में कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्ष ने विरोध जारी रखा। कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। भाजपा सदस्यों ने भी अध्यक्ष की आसंदी के पास विपक्षी सांसदों के जमा हो जाने को लेकर विरोध जताया। महाजन ने हालांकि, उन्हें सीट पर बैठने की सलाह देते हुए कहा कि वह इस हालात से निपटने में सक्षम हैं।
उन्होंने सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा कि वे विपक्षी सदस्यों को सीट पर बैठने के लिए कहें। खड़गे ने कहा कि उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को देखते हुए स्थगन प्रस्ताव की मांग को लेकर सुबह अध्यक्ष से मुलाकात की थी। सदस्यों से प्रश्नकाल के बाद मुद्दा उठाए जाने को कहा गया था। उधर, 'हर तरफ दंगे होने'के खड़गे के बयान पर सत्ता पक्ष ने कड़ा विरोध जताया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने खड़गे के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "वे हताश हैं। यह बेहद आपत्तिजनक है। देश में शांति है। सदन में भी शांति होनी चाहिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित है।"
नायडू ने कहा कि सराकर मुद्दे पर चर्चा करना चाहती है लेकिन संसद की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा, "आप नोटिस दीजिए, हम तैयार हैं।"लोकसभा अध्यक्ष ने खड़गे से उनके बयान को स्पष्ट करने के लिए कहा। साथ ही यह भी बताने के लिए कहा कि ये घटनाएं कहां हुई हैं? इस हंगामे के बीच कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टी के सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष की आसंदी के पास चले आए। महाजन ने कहा कि अगर कांग्रेस ने नोटिस दिया तो चर्चा या समय तय करने पर संसद की कार्य सलाहकार समिति में मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस पर खड़गे ने कहा कि उन्होंने पहले से ही नोटिस दे दिया है। इस पर या तो चर्चा कराई जाए या फिर इसका समय तय किया जाए। राहुल ने भी इस विरोध में साथ देते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस और अन्य सदस्यों ने 'वी वांट जस्टिस', 'होश में आओ'का नारा लगाया। इस हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। देश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर चर्चा कराए जाने की मांग को समर्थन देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य भी अपनी सीट से उठ खड़े हुए।