सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एचएसजीएमसी) को हरियाणा स्थित सभी 52 गुरुद्वारों में गुरुवार 2:30 तक की स्थिति बहाल रखने को कहा है। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी द्वारा इस मामले के घटनाक्रम पर गृह मंत्रालय के नोट का उल्लेख करते हुए प्रधान न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की पीठ ने कहा, "उपर्युक्त घटनाक्रम को देखते हुए हम गुरुद्वारा के विषय में विवेचनीय अधिनियम की अनुसूचि 1, 2, 3 के तहत यथास्थिति से हम संतुष्ट हैं।"
अदालत ने कहा, "इसलिए हम एसजीपीसी और एचएसजीएमसी को आज (गुरुवार) के 2:30 बजे दोपहर तक जो स्थिति है उसे बनाए रखने का निर्देश देते हैं।"कुरुक्षेत्र से एसजीपीसी के सदस्य हरभजन सिंह ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम 2014 की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अदालत ने एसजीपीसी और एचएसजीएमसी को अलग-अलग बैंक खाता खोलने के लिए कहा है जिसमें 52 गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं के चढ़ावे से होने वाली आय जमा कराया जा सके।
मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त तय करते हुए प्रधान न्यायाधीश लोढ़ा ने कहा, "समय सबसे बड़ा मरहम होता है। थोड़े समय तक इंतजार कीजिए। ठंडे दिमाग से आगे बढ़िए और निष्पक्षता से व दृढ़ता से दलील रखिए। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति खराब नहीं होनी चाहिए।"अदालत ने पुलिस प्रमुख से भी कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठाने और अशोभनीय घटना रोकने का आदेश दिया है।
52 गुरुद्वारों में से 8 ऐतिहासिक महत्व के हैं और 17 ऐसे गुरुद्वारा हैं जिनमें से प्रत्येक की आय 20 लाख रुपये प्रति वर्ष है और शेष की आमदनी 20 लाख रुपये से कम है। एसजीपीसी के सदस्य हरभजन सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि यह संविधान के अधिकार क्षेत्र में दखल है और विधानसभा को इस तरह का कानून तैयार करने का अधिकार नहीं है।