दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई पीड़िता के पिता ने गुरुवार को सरकार के उस कदम का स्वागत किया है जिसके तहत गंभीर अपराध के मामले में 16 साल से अधिक उम्र के किशोरों को वयस्क मान कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। पीड़िता के मातापिता ने कहा कि किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर रोक लगाने के लिए इस कदम की तत्काल आवश्यकता थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जुवेनाइट जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन) अधिनियम, 2000 में संशोधन का फैसला किया है, जिसके तहत गंभीर अपराध करने वाले 16 से अधिक उम्र के किशोरों के खिलाफ सामान्य न्यायालयों में मुकदमा चल सकेगा।
पीड़िता के पिता ने आईएएनएस से कहा, "ऐसा कहा जा रहा है कि 16 दिसंबर की घटना के बाद से किशोरों द्वारा किए जाने वाले अपराध में वृद्धि हुई है। इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इसकी तत्काल जरूरत है और सरकार के इस कदम से इसमें मदद मिलेगी।"उन्होंने कहा कि संसद से मंजूरी मिल जाने के बाद ऐसे अपराध की संख्या में गिरावट आएगी। पिता ने कहा, "ज्यादातर मामलों में आरोपी किशोरों की उम्र 16-18 साल के बीच होती है। उन्हें पता है कि वे मामूली दंड के साथ रिहा हो जाएंगे, इसलिए वे बड़ी ढिठाई से यह कृत्य करते हैं। हालांकि, जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी मिलती है, तो यह उन किशोरों के मन में डर पैदा करेगा और अपराध को 50 फीसदी कम करने में मदद मिलेगी।"
गौरतलब है कि उनकी 23 वर्षीय बेटी और फिजियोथेरेपी की प्रशिक्षु के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात राष्ट्रीय राजधानी में छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और मारपीट की थी। पुलिस के मुताबिक, इन छह में से सबसे ज्यादा हिंसक आरोपी किशोर था। युवती के साथ हुई दुष्कर्म और मारपीट की क्रूरता को देखते हुए उसके मातापिता ने किशोर के खिलाफ भी सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने और मृत्युदंड की मांग की थी। हालांकि जुवेनाइल एक्ट के तहत ऐसे अपराधियों के लिए सजा के तौर पर सिर्फ तीन वर्ष तक सुधारगृह में रखे जाने का प्रावधान है।
इस बीच, मंगलवार को दक्षिण दिल्ली के मदनगीर के भीड़भाड़ वाले सड़क पर एक युवक की हत्या में शामिल पांच में से तीन किशोर थे। तीनों किशोरों को सुधारगृह भेजा गया है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के अनुसार अगर आरोपी की उम्र 18 साल से नीचे हुई तो उसके खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में सुनवाई होगी और दोषी पाए जाने पर उसे तीन साल तक सुधारगृह में रहना होगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लोकसभा में पिछले सप्ताह कहा था कि नए कानून से बाल अपराधियों के मन में भय पैदा होगा और पीड़ितों के अधिकार की रक्षा होगी।