भारत की कांग्रेस पार्टी ने न्यूयार्क की संघीय अदालत के समक्ष याचिका दायर की है, जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित मानवाधिकार हनन मामले को रद्द करने की अपील की गई है। कांग्रेस द्वारा शुक्रवार को दायर की गई याचिका में अदालत के अधिकार क्षेत्र, न्यूयार्क स्थित सिख संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) की वैधानिक औचित्य को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है मामले में कानूनी सीमाओं का उल्लंघन हुआ है।
कांग्रेस ने अपनी याचिका के समर्थन में पार्टी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा द्वारा 2012 में सौंपे गए घोषणापत्र को दोबारा पेश किया है। इस घोषणापत्र में यह दावा किया गया है कि अमेरिकी अदालत द्वारा भेजा गया सम्मन पार्टी को नहीं मिला। वोरा ने कांग्रेस और भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के बीच किसी तरह के संबंध से भी इनकार किया है।
एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू के मुताबिक, एसएफजे को कांग्रेस द्वारा दाखिल याचिका पर प्रतिक्रिया देने के लिए 17 फरवरी तक का समय दिया गया है। पन्नू का आरोप है कि कांग्रेस वोरा के दो साल पुराने घोषणापत्र को पेश कर अमेरिकी अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, जबकि अदालत इस घोषणापत्र को पहले ही खारिज कर चुकी है।