हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम की मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न'के लिए सिफारिश किए जाने पर मंगलवार को देश के दिग्गज धावक मिल्खा सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त की। 'फ्लाइंग सिख'के उपनाम से पहचाने जाने वाले मिल्खा सिंह ने कहा, "मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि गृह मंत्रालय की ओर से मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश की गई है।" मिल्खा सिंह ने कहा, "मेजर ध्यानचंद भारत के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी थे और हॉकी में उन्होंने देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मेरा हमेशा से मानना है कि उन्हें सबसे पहले यह सम्मान मिलना चाहिए था। वह देश के वास्तविक अर्थो में सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय दूत थे और मुझे पूरा विश्वास है कि इस फैसले से पूरा देश खुश होगा।"
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि खिलाड़ियों को भी राजदूत, राज्यपाल जैसे पद दिए जाएं। गौरतलब है कि गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी कि गृह मंत्रालय ने भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को ध्यानचंद के नाम की सिफारिश की है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 1905 में जन्मे ध्यानचंद को मैदान में हॉकी स्टिक के जरिए गेंद पर अद्भुत नियंत्रण के लिए जाना जाता है तथा उन्हें हॉकी का सार्वकालिक महानतम फील्ड हॉकी खिलाड़ी माना जाता है।
ध्यानचंद ने देश को 1928 से 1936 के बीच ओलम्पिक में लगातार तीन बार विजेता बनाया और दुनिया में भारत को लगातार 12 वर्षो तक हॉकी का सिरमौर बनाए रखा। 1948 में संन्यास लेने के आठ वर्षो बाद ध्यानचंद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। भारतीय सेना से वह मेजर पद से सेनानिवृत हुए। उनकी मृत्यु 79 साल की उम्र में तीन दिसंबर, 1979 को नई दिल्ली में हुई। ध्यानचंद की कीर्ति को इसी बात से समझा जा सकता है कि वह जीते जी कींवदंती बन गए थे और उनसे संबंधित अनेक आश्चर्यजनक किस्से प्रचलित हो चुके थे, जो आज भी देश के हॉकी खिलाड़ियों के प्रेरणा का काम करते हैं।
इससे पहले पिछले वर्ष भी खेल मंत्रालय ने उनके नाम की सिफारिश भारत रत्न के लिए की थी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को इस पुरस्कार से नवाजा। सचिन भारत रत्न पाने वाले सबसे युवा और खेल क्षेत्र की पहली शख्सियत हैं।