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फूलन देवी हत्याकांड : पुलिस ने राणा के लिए मांगी मौत की सजा

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SHER SINGH RANAदस्यु जीवन से राजनीति में आई फूलन देवी की हत्या करने के लिए दोषी ठहराए गए शेर सिंह राणा के खिलाफ सजा पर फैसला अदालत ने मंगलवार को सुरक्षित कर लिया। अभियोजन पक्ष ने जहां राणा को मृत्युदंड देने की मांग की, वहीं बचाव पक्ष ने अदालत से रहम की दरख्वास्त की।  फूलन के पति उम्मेद सिंह ने बातचीत में राणा के लिए मृत्युदंड दिए जाने की मांग की। उम्मेद सिंह ने कहा, "राणा को सांसद की हत्या करने के लिए कठोर दंड दिया जाना चाहिए। वह सांसद एक दलित महिला भी थी। इससे समाज में मजबूत संदेश जाएगा।"

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भरत पाराशर ने राणा के खिलाफ सजा सुनाने के लिए 14 अगस्त की तारीख मुकर्रर की है। इसके पहले आठ अगस्त को न्यायालय ने राणा को दोषी ठहराया था। राणा ने 1981 के बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए फूलन को गोलियों से भून डाला था। बेहमई नरसंहार को फूलन ने ही अंजाम दिया था, जिसमें उसने ठाकुर जाति के 17 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

न्यायालय ने राणा को आम इरादे के साथ हत्या और हत्या की कोशिश करने के आरोपों पर दोषी ठहराया। लेकिन उसे आपराधिक साजिश और हथियार अधिनियम से संबंधित आरोपों से बरी कर दिया गया। हत्या के समय फूलन देवी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की सांसद थीं। उनकी नाटकीय जिंदगी ने कई लेखकों को प्रेरित किया और उनके जीवन की घटनाओं पर बनी फिल्म 'बैंडिट क्वीन'को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।

पुलिस के अनुसार, राणा और उसके साथियों ने अशोक रोड स्थित फूलन के आवास के बाहर 25 जुलाई, 2001 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा, "यह एक ऐसा अपराध है जो पूर्व नियोजित तरीके से किया है और राणा द्वारा सोचसमझ कर किया गया। इसका समाज पर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मैं अदालत से मृत्युदंड दिए जाने की दरख्वास्त करता हूं।"

राणा के वकील मुकेश कालिया ने पुलिस के दावे का खंडन किया और कहा कि इस अदालत ने अपने फैसले में उल्लेख किया है कि अभियोजन पक्ष हत्या के पीछे की मंशा को साबित करने में विफल रहा है। पुलिस ने दावा किया कि मुख्य आरोपी पर कई और आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस पर कालिया ने कहा कि उनका मुवक्किल कई मामलों में बरी हो चुका है। राणा ने अदालत से कहा कि पुलिस ने उसकी छवि धूमिल करने के लिए कई मामले लाद दिए।

राणा ने दलील दी, "मैं आपसे ऐसे फैसले का आग्रह करता हूं जो मुझे सुकून दे। आप भगवान के आसन पर विराजमान हैं और आप जो कुछ कह रहे हैं वह सीधे भगवान के मुख से बाहर आ रहा है।"राणा के अलावा मामले में 11 अन्य आरोपी भी थे। उनमें से एक प्रदीप की नवंबर 2013 में तिहाड़ जेल में हृदयाघात के बाद निधन हो गया और अन्य आरोपी बरी हो गए। राणा को 27 जुलाई, 2001 को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन 2004 में वह उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल से फरार हो गया।  वर्ष 2006 में उसे कोलकाता में गिरफ्तार किया गया और दिल्ली लाकर दोबारा तिहाड़ जेल में कैद किया गया।

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