केंद्र सरकार ने मंगलवार को किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक लोकसभा में पेश किया। इससे जघन्य अपराधों में शामिल पाए जाने पर 16-18 साल के किशोरों के खिलाफ भी वयस्कों की तरह कार्रवाई किए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
लोकसभा में किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं सुरक्षा) विधेयक, 2014 को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पेश किया। इस संशोधन से किशोर न्याय बोर्डो को जघन्य अपराध में शामिल होने की दशा में 16 से 18 के किशोरों को वयस्क के तौर पर माना जाए या नहीं फैसला लेने की शक्ति हासिल हो जाएगी।
इस तरह के किशोर दोषी करार दिए जाने के बाद जेल भुगतेंगे, लेकिन उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा नहीं दी जाएगी। वर्तमान में यदि आरोपी किशोर है (18 वर्ष कम उम्र का) तो उसके खिलाफ सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में होती है और दोषी करार होने पर उसे तीन वर्षो के लिए सुधार गृह भेजा जाता है। इस विधेयक के जरिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2000 में अन्य बदलाव भी किए गए हैं।