विवादित जासूसी कांड मामले में नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्टसे बड़ी राहत मिली है. देश की सर्वोच्च अदालत ने मामले पर गौर करने से इनकार कर दिया है. इसी के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के निलंबित अधिकारी प्रदीप शर्मा के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच गुजरात पुलिस से सीबीआई को सौंपने की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली गई है.
न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही प्रदीप शर्मा के वकील को जासूसी प्रकरण का मुद्दा उठाने से रोक दिया. अदालत ने उनसे कहा कि वह अपनी बहस सिर्फ इस बिन्दु तक सीमित रखें कि उनके खिलाफ राज्य पुलिस की जांच किस तरह से पक्षपातपूर्ण है. न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि उनका किसी व्यक्ति या केन्द्र में सत्तारूढ़ सरकार से कोई सरोकार नहीं है और वे कानून की किताबों के अनुसार ही चलेंगे.
सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा, 'हम कानून की किताबों के अनुसार ही चलेंगे. इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी सरकार आती है और कौन सी सरकार जाती है. लेकिन हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम आपको यह बिन्दु नहीं उठाने देंगे, क्योंकि आप खुद ही अपनी याचिका से इन अंशों (जासूसी कांड से संबंधित) को हटाने के लिए तैयार हो गए थे.'
इसके साथ ही नरेंद्र मोदी के निजी जीवन से संबंधित अंशों को याचिका से हटाने संबंधी न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए न्यायाधीशों ने कहा, 'यह सुप्रीम कोर्ट को एक सज्जन पुरुष का आश्वासन था. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. हमें नामों, व्यक्ति और सरकार बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता.'शर्मा के वकील सुनील फर्नांडिस ने कहा कि राज्य सरकार उनके मुवक्किल को निशाना बना रही है, क्योंकि उसके बड़े भाई (गुजरात काडर में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी) ने कई मामलों में राज्य सरकार के नजरिए का पालन नहीं किया था.
राज्य सरकार ने शर्मा के सभी आरोपों का जोरदार प्रतिवाद किया और कहा कि वह खुद अनेक कथित गैरकानूनी वित्तीय सौदों के सिलसिले में निगरानी के दायरे में हैं. अंत में न्यायालय ने शर्मा को भरोसा दिलाया कि गुजरात के तमाम मामलों की तरह ही शीर्ष अदालत उनके साथ भी न्याय करेगी. शीर्ष अदालत ने मोदी की छवि खराब करने के इरादे से शर्मा के कथन पर 12 मई 2011 को कड़ी आपत्ति जाहिर की थी और उन्हें याचिका से उन अंशों को निकालने का निर्देश दिया था.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रदीप शर्मा के खिलाफ 2008 से राजकोट इलाके में भूमि घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता सहित पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं. शर्मा ने इन सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.