राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि जहरीली बातें करने वाले भारत को नहीं समझते हैं। राष्ट्रपति के संबोधन में मोदी की तारीफ भी की। उन्होंने 2019 तक 'स्वच्छ भारत'के सरकार के मिशन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की।
राष्ट्रपति ने सांप्रदायिक हिंसा पर कहा, 'हिंसा लोकतंत्र की मूल भावना के साथ धोखा है। जो लोग उत्तेजित करने वाले भड़काऊ भाषणों में विश्वास करते हैं, उन्हें न तो भारत के मूल्यों की और न ही राजनीतिक मन की समझ है। भारत के लोग जानते हैं कि किसी भी तरह की प्रगति को शांति के बिना हासिल करना कठिन है।'
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में शिवाजी के उस पत्र का जिक्र भी किया, जो उन्होंने जजिया कर लगाए जाने पर औरंगजेब को लिखा था। राष्ट्रपति ने कहा, 'शिवाजी ने बादशाह से कहा था कि शाहजहां, जहांगीर और अकबर भी इस कर को लगा सकते थे, परंतु उन्होंने अपने दिलों में कट्टरता को जगह नहीं दी क्योंकि उनका मानना था कि हर बड़े अथवा छोटे इंसान को ईश्वर ने विभिन्न मतों एवं स्वभावों के नमूनों के रूप में बनाया है।'राष्ट्रपति ने कहा कि शिवाजी के 17वीं शताब्दी के इस पत्र में छिपे संदेश से आज प्रेरणा लेने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में गरीबी के मुद्दे को भी छुआ और कहा कि आर्थिक विकास का फायदा निर्धन से निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 6 दशकों में गरीबी का अनुपात 60 फीसदी से भी अधिक की पिछली दर से कम होकर 30 फीसदी से नीचे आ चुका है, इसके बावजूद हमारी जनता का 1/3 हिस्सा गरीबी की रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहा है।