विपक्षी दलों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रथम स्वतंत्रता दिवस भाषण की आलोचना की और कहा कि उसमें मामूली बातें थीं न कि भविष्य के लिए एक दिशादृष्टि। हालांकि भाजपा ने कहा कि यह मोदी का सीधे लोगों के हृदय से जुड़ने का आशुवाचन है जो लोगों को देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए प्रेरित करेगा। कांग्रेस ने मोदी पर निष्प्रभावी भाषण देने का आरोप लगाया और कहा कि उसमें नये विचार, नई योजनाएं और नई पहलें नहीं थीं। वामदलों ने योजना आयोग को खत्म करने की घोषणा की आलोचना की।
कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, चूंकि नये प्रधानमंत्री का यह पहला भाषण था, लोगों को उनके द्वारा अगले पांच साल के लिए विकासपथ की उनकी दिशादृष्टि की उम्मीद रही होगी। लेकिन यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री इस अवसर पर उठ नहीं पाए और मामूली बातों में फंस गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह राष्ट्र के नाम संबोधन के बजाय एक चुनावी भाषण ज्यादा लग रहा था। तिवारी ने कहा, प्रधानमंत्री ने बड़ी चतुराई से मुद्रास्फीति की उपेक्षा की जो पिछले दो महीने में ऊंचाई पर पहुंच गयी है, उन्होंने पाकिस्तान की सीमापार घुसपैठ, चीन की मानचित्र संबंधी धौंस की अनदेखी की। उन्होंने सांप्रदायिक दंगों पर विराम लगाने की चर्चा करने के दौरान भाजपा के सांप्रदायिक उन्माद फैलाने संबंधी रिकॉर्ड से मुंह मोड़ लिया।
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा कि मोदी का भाषण बिल्कुल निष्प्रभावी था। उन्होंने कहा, उसमें नया कुछ नहीं था। न नये विचार, न नई योजनाएं, और न ही नई पहल प्रधानमंत्री ने घोषित कीं। सांप्रदायिकता को लेकर प्रधानमंत्री का उपहास उड़ाते हुए अहमद ने कहा कि मोदी को याद रखना चाहिए कि भाजपा की राजनीति सांप्रदायिकता पर आधारित है।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने योजना आयोग खत्म करने की मोदी की घोषणा पर सवाल खड़ा किया और कहा, कहने और करने में काफी अंतर है। हमेशा से इन योजनाओं का क्रियान्वयन योजना आयोग करता रहा है। अब आपने (मोदी ने) कहा है कि इसे खत्म करेंगे। अतएव, कौन उसे (लागू) करने जा रहा है और कौन उसकी निगरानी करने जा रहा है।
हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मोदी का भाषण लोगों को देश को एकता, अखंडता और विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरित करेगा। प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा कि सरकार ने 64 साल पुरानी शीर्ष नीति निर्माण इकाई योजना आयोग को खत्म करने और उसके स्थान पर नया संगठन बनाने का निर्णय लिया है जो उभरती आर्थिक जरूरतों का समाधान करेगा और संघीय ढांचा मजबूत करेगा। भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा, प्रधानमंत्री ने गरीबी पर प्रहार करते हुए लोगों को सही मायने में मजबूत करने के तौर तरीके, मुद्रास्फीति से लड़ने, तथा काला धन का पता लगाने के बारे में बात नहीं की।