अब गूंज उठेंगे मंदिरों में घंटे, उपवास रखेंगे अनेक नर-नारी, पूजन-पठन भी खूब होगा, काली रात में जागरण भी होगा, झांकियां सजेंगी और एक बार पुनः सब भारतवासी देवात्मा, युग पुरूष परम पवित्र, श्री कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करेंगे। क्यों है श्री कृष्ण सभी का इतना प्यारा? वध तो उसने कंस व अनेक राक्षसों का किया था, उसने धर्म की रक्षा की थी, उसने धरा पर पुनीत प्रेम की गंगा बहाई थी, फिर भी आज वह राक्षस सम मनुष्यों का भी प्यारा है अधर्मी भी उसे श्रद्धा व सम्मान की नजर से निहारते हैं, क्यों है ऐसा......... और क्या कभी पुनः इस धरा पर हम साक्षात् इन देवताओं को देखेंगे? क्या धर्म अपनी दयनीय स्थ्तिि पर रोकर पुनः अपने उद्धार की याचना नहीं कर रहा है?
सत्य तो यही है कि आज धरा पर तमोप्रधानता की कालिमा छाई हुई है, अनेक राक्षसों ने धरा पर जन्म ले लिया है। दानवता सिर उठा रही है, मानवता सिर छुपा रही है। धर्म तो सम्पूर्ण रूप से अधर्म में बदल गया है। नैतिकता पूरी तरह लोप नजर आती है। चारों ओर रावण का साम्राज्य नजर आ रहा है, दुर्योधन व दुषासन तो जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं। अनेक कंस पैदा हो गये हैं तो क्या आज श्री कृष्ण जैसे परमवीर की इस धरा पर आवष्यकता नहीं है।
हमें जानना चाहिए - एक तो वह श्री कृष्ण जिसे द्वापर में असुरों का संहार करते दिखाया है, जिसे महाभारत में अर्जुन के सारथी के रूप में दिखाया है। दूसरा वह श्री कृष्ण सतयुग का प्रथम राजकुमार था, जो बाद में श्री नारायण के रूप में विष्व महाराजन बना। हम मुख्यतः यहाँ सतयुग स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ देवात्मा श्री कृष्ण की ही चर्चा करेगें। वर्तमान समय कलयुग का अंतिम काल है, महाविनाष हमारे समक्ष मुँह बाये खड़ा है। पवित्र देवताओं का आगमन ऐसी तमोप्रधान धरा पर संभव नहीं है।देवताओं के लिए प्रकृति का सतोप्रधान होना भी परम आवष्यक है।इस काली धरा पर तो अवतरण होता है परमपिता षिव का जो इसे स्वर्ग बनाकर अपने धाम लौट जाते है और तत्पष्चात् यह धरा देवताओं के लिए खाली हो जाती है और यहाँ जन्म होता है देवी-देवताओं का।उसमें सर्वप्रथम आते हंै श्री कृष्ण......... उनके धरा पर जन्म लेते ही यहाँ सुख, षांति, प्रेम, पवित्रता वा सम्पन्नता का साम्राज्य प्रारंभ हो जाता है। श्री कृष्ण सम्पूर्ण पवित्र है वे 16 कला सम्पूर्ण वा सर्व गुण सम्पन्न हंै।
तो आओ हम ऐसे प्यारे श्री कृष्ण का अभिनंदन करें। अब तक तो उनकी पूजा अराधना की, उनका आह्वान भी किया। अब जबकि निकट भविष्य में श्री कृष्ण आने वाले हंै तो सभी भक्तों से हम एक प्रष्न पूछना चाहते हैं........वे आयंेगें और यदि आपको वे कुछ करने की आज्ञा दे ंतो आप क्या करेंगें ? वे केवल पूजा, भावना, श्रद्धा या प्रेम से ही प्रसन्न होने वाले नहीं हैं, उनका प्रेम है पवित्रता से वा सचरित्रता से। अनेक भक्त वैसे तो श्री कृष्ण के पुजारी है, परन्तु उनके जीवन में पवित्रता का नामोनिषान नहीं है, इसलिए उनसे दूर है। तो जब वे आयेंगें तो अवष्य ही पवित्र आत्माओं के मध्य ही आयेंगें।
आइये इस जन्माष्टमी पर हम श्री कृष्ण की श्रेष्ठ कामना को पूर्ण करें। उन्होंने भी तो हमारी जन्म-जन्म कामनाएं पूर्ण की ।तो स्वयं ही चिंतन करें, अब तक तो उनकी पूजा ही की, इस बार पूजा करते हुए स्वयं को भी पूज्य और गुणवान बनाने का संकल्प लें। व्रत रखें तो याद करें.........मुझे जीवन में कोई अच्छा व्रत भी लेना है-चाहे षुद्ध खान-पान का व्रत लें, चाहे दूसरों को सुख देने का व्रत लें। चाहे कोई बुराई छोड़ने का व्रत लें। तब ये जन्माष्टमी मनाना बड़ा ही कल्याणकारी होगा और हम अपने प्राणों के प्यारे नंद नंदन का अभिनंदन कर सकेंगें।