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बनारस में बाढ़ : देवों की नगरी में पहाड़ बरपा रहे कहर

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  • अब तक, 115 जाने जा चुकी है, 1200 घर बह गए है और 500 लोग घायल 

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आसमान से आई आफत पहाड़ सहित जमीनों पर इन दिनों कहर बरपा रही है। मानव पर दानव की तरह और नदियां है जो सबकुछ बहा लेना जाना चाहती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार या फिर बहराइच, दरभंगा, ऋषिकेश, बिजनौर, देहरादून, बस्ती, श्रावस्ती, पौढी गढवाल या बलरामपुर सहित कई जिलों में आफत के सैलाब से जूझ रहा आम इंसान। जी हां, टूटते पहाड़, दरकती जमीन, डूबते खेत, सिसकती जिंदगियों के बीच आम इंसान पीस रहा है। उत्तराखंड में तो कहीं पहाड़ों ने आफत मचा रखी है, तो कही बादल दुश्मन बने है तो कहीं नदियों ने नाक में दम कर रखा है, लाखों पर जान पर बन आई है। जो जहां फंसा है, वहीं अटक कर रह गया है। यह कुदरत के कैसी तबाही है, जो सबकुछ तहस-नहस कर अपने साथ बहा ले जाने को आतूर है। गंगोत्री, सरजू, गोमती, कोसी,  उत्तरकाशी हरिद्वार का बुरा हाल उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड का हाल बेहाल है। कुदरत के इस कहर में अबतक 65 से अधिक जाने जा चुकी है, जबकि 800 से अधिक घर बाढ़ में बह गए है। 200 से अधिक लोग घायल है। 

बहराइच में एक भाई-बहन समेत चार लोगों और श्रावस्ती में तीन लोगों की बाढ़ के पानी में डूबने तथा दीवार ढहने की घटनाओं में मौत हो गई। अचानक आई बाढ़ के कारण सम्पर्क कटने की वजह से अनेक लोग लापता हैं। बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार में गेरुआ नदी की बाढ़ से वन्यजीवों पर जान का संकट गहरा गया है। बलरामपुर जिले की तहसील तुलसीपुर, बलरामपुर और उतरौला राप्ती नदी की बाढ़ की चपेट में हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ़जनित हादसे में एक व्यक्ति के मरने की खबर है। बलरामपुर-बढ़नी राष्ट्रीय राजमार्ग बाढ़ का पानी भर जाने के कारण बंद कर दिया गया है। बलरामपुर जिला मुख्यालय से बाकी इलाकों का सम्पर्क पूरी तरह कट गया है। लोग अपने घरों की छतों पर पनाह लेने को मजबूर हैं। लखीमपुर खीरी की धौरहरा तहसील के करीब 60 गांवों में घाघरा का पानी भर गया है। बाराबंकी में घाघरा ने रामनगर तथा सिरौली गौसपुर क्षेत्र में विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। नेपाल की नदियों में उफान के बाद बांधों से करीब 10 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से घाघरा ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। उसकी बाढ़ से तराई क्षेत्र के करीब 75 गांव प्रभावित हुए हैं। बड़ी संख्या में लोग घाघरा के बंधे पर शरण लिए हैं। नेपाल की नदियों की बाढ़ से जिले के आठ नदी-नाले उफान पर हैं। मध्य असम के जिलों में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। 

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असम और समीपवर्ती अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश होने के बाद लखीमपुर, धेमाजी, सोनितपुर, नगांव, मोरीगांव और डिब्रूगढ़ में नदियां उफान पर हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उान और पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में भी भीषण बाढ़ होने के कारण असहाय जानवर आत्मरक्षा के लिए ऊंचे स्थानों की ओर जा रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली में भी बाढ़ है। वहां ब्रह्मपुत्र नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। पिछले कई दिनों से अरुणाचल प्रदेश में लगातार बारिश होने से राज्य के कई जिलों में बाढ़ आई है और भूस्खलन हुए हैं। इसके चलते सड़क यातायात बाधित हुआ है और सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। बिहार के नौ जिले अभी तक बाढ़ से प्रभावित हैं और इससे करीब चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ जनित घटनाओं ने अभी तक दो लोगों की जान ली है। जम्मू-कश्मीर के रजौरी जिले में भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ में दो महिलाएं बह गईं जबकि मकान गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। साम्बा जिले से बाढ़ में फंसे 30 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के रिआसी जिले में स्थित वैष्णोदेवी मंदिर के रास्ते में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में नौ तीर्थ यात्री घायल हो गए। 

नेपाल और उत्तराखंड में भारी बारिश से नदियों में आई बाढ़ यूपी के विभिन्न इलाकों में कहर बनकर टूटी है। घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती और बूढ़ी राप्ती में अचानक बढ़े पानी से हजारों गांवों में तबाही का मंजर है और लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित है। सैलाब का असर सड़क तथा रेल यातायात पर भी पड़ा है और बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए सशस्त्र सीमा बल तथा पीएसी को तैनात किया गया है। रविवार को राप्ती नदी का जल स्तर सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 105.47 मीटर तक पहुंच गया जो खतरे के निशान से 0.85 मीटर ऊपर है। शारदा नदी खीरी में, घाघरा अयोध्या में जबकि बूढ़ी राप्ती सिद्धार्थनगर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नेपाल की भादा, कौडि़याला और गेरुआ में बाढ़ आने से बहराइच की घाघरा तथा सरयू नदी और श्रावस्ती में राप्ती नदी का जलस्तर बहुत बढ़ गया है। अरुणाचल में बाढ़ और भूस्खलन, जम्मू में बाढ़ से दो की मौत हो गई है। 

उत्तराखंड के पौड़ी जनपद में चार दिन पहले बादल फटने से हुई तबाही में कितना नुकसान हुआ और कितने लोग मारे गए, इस बात को लेकर अभी तक भ्रम की स्थिति है. लेकिन आपको यह जानकर शायद अचरज होगा कि यमकेश्वर ब्लॉक में बादल फटने के बाद तबाह हुए 9 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक एसडीआरएफ की टीम पहुंच ही नहीं पाई है। आपदा व राहत कार्य में जुटे एक वरिष्ठ अधिकारी ने शासन को इस हकीकत से वाकिफ करवाया है. इन गांव में कितनी तबाही हुई, इसकी खबर शासन को है ही नहीं। पातली, विनक, मुसराली, बोगा, बिरकाटल, डमरोली, कोलसी, घांघर शीला, और मरोड़ा- ये यमकेश्वर ब्लॉक के वे गांव हैं, जो अभी सरकारी इमदाद की बाट जोह रहे हैं. किसी को यह नहीं पता कि कुदरत ने इन गांवों में किस कदर कहर बरपाया होगा, वहां कितना नुकसान हुआ और कितने लोग हताहत हुए। सूबे की सरकार इस बात पर मौन है। 
अचानक बैराजों से छोड़े गए 10 लाख क्यूसेक पानी ने यूपी व बिहार के जिलों में खासकर अवध क्षेत्र के कई जिलों में तबाही मचा दी है। श्रावस्ती में जहां डूबने से 12 लोगों की मौत हो गई, वहीं बहराइच में 5 तो बलरामपुर में 4 व बहराइच में 28 लोगों की मौत हो गई। 

फैजाबाद, गोंडा, सीतापुर, अंबेडकरनगर व बाराबंकी में भी नदियों का कहर जारी है। अधिकारियों के अनुसार भारतीय सूबे उत्तर प्रदेश के बहराइच में नेपाल की ओर से अचानक से आए सैलाब के कारण 400 गांव जलमग्न हो गए हैं और 100 लोग लापता हैं। उत्तराखंड में सैलाब और भूस्खलन के कारण 30 लोगों की मौत हो गई है।नेपाल में भारी बारिश के कारण अलग-अलग स्थानों में हुए भूस्खलन और आई बाढ़ में 84 लोगों की मौत हो गई और 156 लोग लापता हो गए हैं। पश्चिमी क्षेत्र के 10 जिलों को भूस्खलन और बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जबकि जानमाल को हुए वास्तविक नुकसान का ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है। बाढ़ में मवेशियों के शव नजर आ रहे हैं, घर में पानी भरा हुआ है और अन्य संपत्तियां मलबों में दब गई हैं, जबकि खेतों के फसल नष्ट हो गए हैं। बाढ़ की वजह से पास के लखीमपूर खिरी, श्रावस्ती और गोंडा जिले भी प्रभावित हुए हैं। टिहरी बांध के जलाशय में पानी का स्तर 810 मीटर हो गया है, जबकि उसकी अधिकतम सीमा 830 मीटर है। हिमाचल प्रदेश में भी कुदरत अपना कहर बरपा रहा है। लगातार बारिश के चलते कई पहाड़ खि‍सक चुके हैं। यही नहीं स्थानिय लोगों की फसलें और घर तबाह हो रहे हैं। यहां तक की सेब की फसल भी मंडी तक नहीं पहुंच पा रही है। शि‍मला जिले के रामपुर गांव का संपर्क तकरीबन 35 गांवों से टूट चुका है। 



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(सुरेश गांधी)

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