- वाणिज्य मंत्रालय को आतंरिक व्यापार का पूरा जिम्मा दिया जाए
देश के व्यापारियों के शिखर संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है की भारत की व्यापार कूटनीति को नया आयाम देते हुए देश के आयत-निर्यात व्यापार को विदेश मंत्रालय के अंतर्गत स्थान्तरित कर दिया जाए ! कैट ने श्री मोदी को स्मरण कराया की इस वर्ष गत 27 फरवरी को नई दिल्ली में कैट के राष्ट्रीय महाधिवेशन का उद्घाटन करते हुए स्वयं श्री मोदी ने इस बात को रखा था जिसका स्वागत देश भर में व्यापारियों ने किया था ! कैट ने कहा है की की वहीँ दूसरी ओर वाणिज्य मंत्रालय को देश के आतंरिक व्यापार को सुदृढ़ करने का जिम्मा दिया जाए ! कैट ने कहा है की देश के व्यापार ओर वाणिज्य को एक नई दिशा देने में इस प्रकार का कदम एक बहुत बड़ा नीति सुधार कदम होगा जिससे देश के व्यापार को एक नयी पहचान भी मिलेगी !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा की वर्तमान समय में भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट बेहद चिंता का विषय है जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था बेहद शोचनीय अवस्था में है! भारत के आयात के आंकड़े निर्यात के मुकाबले कहीं ज्यादा है ओर इस स्थिति को देखते हुए भारतीय उत्पादों को विश्व मार्किट में बड़ा बाजार मिले इस हेतु एक बेहद सोची समझी मजबूत नीति के तहत निर्यात को ज्यादा प्रोत्साहन देना जरूरी है ! चूँकि विदेश मंत्रालय हर समय वैश्विक घटनाओं ओर वातावरण का जानकार रहता है और इस नाते से वैश्विक बाजार और उसकी बदलती परिस्थितियां विदेश मंत्रालय की जानकारी में रहती हैं और व्यापारिक कूटनीति से हम विभिन्न देशों से अपने सम्बन्ध और अधिक मजबूत कर सकते हैं इसलिए भारत के आयात-निर्यात व्यापार को विदेश मंत्रालय के आधीन कर देना बेहद उपयुक्त होगा !
श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने यह भी कहा की देश के आतंरिक व्यापार को अब तक बेहद उपेक्षित रखा गया है और इसीलिए बैजूद असीम क्षमचाताओं के आतंरिक व्यापार की कोई पहचान ही नहीं बन पाई है और यह सेक्टर लगभग अनाथ दिखाई देता है जबकि देश की जी डी पी और रोज़गार देने मैं इस सेक्टर का सबसे बड़ा हिस्सा है! इस स्तिथि जो देखते हुए आतंरिक व्यापार को एक सुगठित योजना के तहत बेहद मजबूत किया जाना जरूरी है ! अत : वाणिज्य मंत्रालय को विशेष रूप से आतंरिक व्यापार को रेगुलेट और उसकी देख रेख करने के लिए अधिकृत किया जाए जिससे यह मंत्रालय न केवल व्यापार बल्कि छोटे, कॉटेज और लघु उद्योगों के लिए व्यापार के नए अवसर पैदा करे और एक नीति बनाये जिसके अंतर्गत आतंरिक व्यापार का योजनाबध्द विकास हो ! आतंरिक व्यापार में क्षमताओं की कमी नहीं है इसलिए उन क्षमताओं का आंकलन करके उनका अधिकतम दोहन किया जाना चाहिए ! वाणिज्य मंत्रालय प्रमुख रूप से इस काम को देखे जिससे भारतीय उत्पाद किसी भी वैश्विक चुनौती का सामना कर सकें !
भारत का असंगठित क्षेत्र राष्ट्रीय जी डी पी में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 90 प्रतिशत रोजगार देता है वहीँ दूसरी ओर प्रतिवर्ष लगभग 6 .28 लाख करोड़ रुपये के सामान का वैल्यू एडिशन करता है लेकिन फिर भी भारत का निर्यात आयात से बेहद कम है क्योंकि इस सेक्टर को कोई प्रोत्साहन नहीं है, कागज़ी कार्यवाही बेहद ज्यादा है, अफसरशाही के अड़ंगे है, वैश्विक व्यापार की अधिक जानकारी का अभाव है, वित्तीय मजबूरियां है तथा बैंकों का मित्रवत व्यवहार न होने से निर्यात करने की क्षमता होते हुए भी हम निर्यात नहीं कर पाते ! यही हाल आतंरिक व्यापार का है जिसमें आतंरिक व्यापार को उच्च तकनिकी एवं आधुनिक न बनाना, करों का जाल, जटिल कर प्रणाली, सरकार का कोई विशेष फोकस नहीं, कोई व्यापार नीति नहीं ओर किसी भी तरह का कोई रेगुलेटरी मैकेनिज्म न होने से आतंरिक व्यापार की क्षमताओं का विकास ही नहीं हुआ !
श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने कहा की इन सब स्तिथितियों को देखते हुए देश के आतंरिक ओर विदेश व्यापार को नए परिवेश में ढालना बेहद जरूरी है और यदि दोनों मंत्रालयों को पृथक रूप से दोनों व्यापारिक सेक्टर दे दिए जाएँ तो देश में दोनों व्यापार का बेहद विकास होने के बड़ी संभाव