भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ 25 अगस्त को होने जा रही विदेश सचिव स्तर की वार्ता सोमवार को रद्द कर दी। यह कदम कश्मीर के एक अलगाववादी नेता शब्बीर शाह का आज भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित से मुलाकात के बाद उठाया गया। इस बीच पाकिस्तान ने इस फैसले को दुखद बताया और कहा कि इससे भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने के उसके प्रयास को धक्का लगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि प्रस्तावित बातचीत स्थगित कर दी गई है, क्योंकि विदेश सचिव सुजाता सिंह के इस्लामाबाद दौरे से अब कुछ भी हासिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव सुजाता सिंह की 25 अगस्त को होने वाली यात्रा निरस्त की जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप 'अभी तक वैसा ही है'और यह हमें मंजूर नहीं है। उधर पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कहा कि नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त द्वारा कश्मीरी नेताओं की मुलाकात के बाद भारत के वार्ता रद्द करने के फैसले से अवगत कराया गया। बयान में कहा गया है कि लंबे समय से यह परंपरा रही है कि द्विपक्षीय वार्ता से पहले कश्मीरी नेताओं से मुलाकात की जाती है जिससे कश्मीर पर 'सार्थक बातचीत'हो सके।
अकबरुद्दीन ने कहा, "यह उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान उच्चायोग की हुर्रियत के तथाकथित नेताओं से मुलाकात ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) द्वारा अपनी सरकार के पहले ही दिन से शुरू की गई सकारात्मक कूटनीतिक प्रक्रिया पर आघात पहुंचाया है।"उन्होंने कहा, "भारतीय विदेश सचिव ने इसलिए पाकिस्तान के उच्चायोग को आज (सोमवार को) साफ बता दिया है कि असंदिग्ध तरीके से पाकिस्तान लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और यह स्वीकार्य नहीं है।"
पाकिस्तान केवल 1972 के शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र के जरिए द्विपक्षीय वार्ता के जरिए भारत के साथ मुद्दों को सुलझा सकता है। अकबरुद्दीन ने कहा, "पाकिस्तान के लिए सभी विवादित मुद्दों का समाधान करने का केवल एक ही रास्ता शिमला समझौता और लहौर घोषणा पत्र के ढांचे एवं सिद्धांतों के दायरे में द्विपक्षीय वार्ता है।"अलगाववादियों को बातचीत का न्योता देने के बाद पाकिस्तान के साथ वार्ता पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि आखिर उसने पाकिस्तान के साथ वार्ता का फैसला ही क्यों लिया।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, "मैं समझता हूं कि सरकार को यह बताना चाहिए कि आखिर उसने वार्ता की दिशा में पहले बढ़ने का फैसला ही क्यों किया था।"कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ वार्ता की मेज पर जाने का फैसला लेने से पहले होमवर्क नहीं किया था। उन्होंने कहा, "जहां यह (पाकिस्तानी उच्चायोग का कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के साथ मुलाकात) पाकिस्तान की ओर से कूटनीतिक असावधानी है, वहीं इस तरह की उच्चस्तरीय वार्ता पर आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार ने भी उचित तरीके से होमवर्क नहीं किया था।"
भारतीय जनता पार्टी के नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इस बीच कहा है कि उकसाने वाली कार्रवाई और शांति एक साथ नहीं चल सकती। ज्ञात हो कि भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने हुर्रियत कान्फ्रेंस के चरमपंथी धड़े के नेता सैयद अली गिलानी और उदारवादी धड़े के नेता मीरवायज उमर फारूक सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को दोनों देशों के बीच प्रस्तावित इस्लामाबाद में विदेश सचिव स्तर की वार्ता से पहले बातचीत के लिए बुला लिया जिससे खटास पैदा हो गई।