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मणिपुर में इरोम शर्मिला फिर गिरफ्तार

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सेना को असीमित अधिकार देने वाले सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को पूर्वोत्तर से हटाने की मांग को लेकर पिछले करीब 14 साल से अनशन कर रहीं कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को शुक्रवार को एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। दो दिन पहले ही मणिपुर की एक अदालत ने उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे। अदालत के आदेश पर बुधवार को रिहा होने के बाद भी इरोम मणिपुर में इस अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद हालांकि स्वयं इरोम, उनकी मां और उनके समर्थकों ने पुलिस का विरोध किया। लेकिन इसके बावजूद पुलिस इरोम को वहां से ले गई।

इरोम ने दो नवंबर, 2000 को इंफाल हवाई अड्डे के नजदीक कथित तौर पर असम रायफल्स की गोलीबारी में 10 लोगों की मौत के बाद इस अधिनियम को हटाने की मांग को लेकर चार नवंबर, 2000 को अनशन शुरू किया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें आरोपी के लिए एक बार में एक साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है।

इरोम के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें इंफाल स्थित जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के विशेष वार्ड में भर्ती कराया गया था। वहां जिस कक्ष में वह भर्ती थीं, उसे उप-कारा घोषित कर दिया गया था। इरोम को पिछले करीब 14 साल से हर बार 364 दिन के बाद रिहा और फिर गिरफ्तार कर लिया जाता रहा है। उन्हें नाक के जरिये जबरन दिन में तीन बार तरल रूप में भोजन दिया जा रहा था। उन्होंने निर्वाचन आयोग से चुनावों में मतदान करने की अनुमति देने की मांग भी की थी, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इसकी अनुमति नहीं दी, क्योंकि कानून जेल में रहने वाले लोगों को मतदान करने की अनुमति नहीं देता।

यह अधिनियम सुरक्षा बलों को देखते ही गोली मारने, किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने तथा कहीं भी तलाशी लेने जैसे असीमित अधिकार देता है। यह अधिनियम मणिपुर, त्रिपुरा, असम, नगालैंड, अरुणाचल तथा जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में लागू है। देश के विभिन्न हिस्सों में यह अधिनियम उग्रवाद व आतंकवाद पर काबू पाने के लिए लागू किया गया है।

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