केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चीनी आयात शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया। यह कदम महंगे गन्नो से परेशानी झेल रही चीनी मिलों को राहत देने के लिए उठाया गया है। केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क द्वारा जारी सूचना के मुताबिक कच्ची चीनी और शोधित चीनी या सफेद चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है।
सूचना के मुताबिक बड़े पैमाने पर कच्ची चीनी का आयात करने वाले बड़े उपभोक्ताओं पर भी बढ़ा हुआ उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा। चीनी मिल मालिकों और किसानों के साथ पिछले सप्ताह एक बैठक करने के बाद खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि यदि मिल मालिक किसानों के बकायों का भुगतान करने के लिए तैयार हो जाएं, तो चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाया जा सकता है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक चीनी मिल के पास चीनी का अधिक भंडार है और अभी बजार में उसकी कीमत 34-40 रुपये प्रति किलो चल रही है। लगातार चौथे साल चीनी का जरूरत से अधिक उत्पादन हुआ है और इसके कारण चीनी की कीमत लागत से कम हो गई है। उत्तर प्रदेश की मिलें 30.50 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी बेच रही हैं, जबकि इस पर लागत 37 रुपये प्रति किलो बैठ रहा है।
पासवान ने हलांक जून में कहा था कि आयात शुल्क को वर्तमान 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया जा सकता है। भारतीय चीनी मिल संगठन (इसमा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "हम फैसले का स्वागत करते हैं। वर्तमान अंतर्राष्टीय मूल्य और रुपया-डॉलर विनिमय दर पर आयात शुल्क में की गई इस वृद्धि से चीनी का आयात रुक जाएगा। इससे घरेलू बजाार की स्थिति बेहतर होगी।"उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 5,000 करोड़ रुपये का बकाया है। मिलों ने बकाए का भुगतान इसलिए नहीं किया है, क्योंकि चीनी की कीमत काफी कम हो गई है।